अज़ाम खान की रिहाई पर यूपी में जश्न, फायरक्रैकर्स और मिठाइयों की भीड़

सितंबर 24 Roy Iryan 0 टिप्पणि

उत्तरी प्रदेश में आज की सबसे तेज़ खबर वही थी जो बहुतों ने ट्विटर और व्हाट्सएप पर शेयर की – अज़ाम खान की रिहाई। 77 साल के इस वरिष्ठ समाजवादी नेता को सिटापुर जेल से बाहर निकलते देख फोकस ग्रुप से लेकर छोटे कस्बों तक के एसपी कार्यकर्ता खुशी की लहर में डुब गए। लगभग दो साल की क़ैदी जिंदगी के बाद जब वह जेल के दरवाज़े से बाहर आए तो उनका स्वागत एतिहासिक जैसा महसूस हुआ।

रिहाई के बाद जशन का माहौल

जैसे ही अज़ाम खान को जेल के बाहर ले जाया गया, सड़कों पर पीतल के बौछार, फायरक्रैकर्स की आवाज़ और मिठाइयों की थैलियों ने माहौल को कार्निवाल जैसा बना दिया। सिटापुर जेल के बाहर सैकड़ों कार्यकर्ता, उनके बेटे अदीब, और मोरादाबाद सांसद रूची वीरा सहित कई प्रमुख नेता इकट्ठा थे। 7 बजे की अनुमानित रिहाई की जगह देर से दोपहर 12.20 बजे तक इंतज़ार करने के बाद भी लोग निराश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने उत्सव को और बड़ा किया।

जिलिए के आसपास प्रशासन ने सेक्शन 163 के तहत प्रतिबंध आदेश जारी किया था, पर फिर भी इलाका हिफाज़त के साथ काफ़ी शांत रहा। फायरक्रैकर्स की आवाज़ के साथ ही गांव‑गांव में कैंडी, लड्डू, बर्फी जैसे मीठे गुड़ियों की थैली बांटते हुए कार्यकर्ता बोले‑"जैसे ही अज़ाम खान वापस आए, हमारी पार्टी को नई ऊर्जा मिली है।"

राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

अज़ाम खान ने रिहाई के बाद अपने समर्थकों को कई बातें बताई। उन्होंने कहा कि जेल में उन्हें फोन का भी ज़रिया नहीं मिला और बाहरी दुनिया से उनका संपर्क कट गया था। अब वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे, यह साफ़ तौर पर कहा कि "मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया, चाहे वो दुश्मन ही क्यों न हो।" उन्होंने आगे कहा कि उनका अगला कदम स्वास्थ्य उपचार के बाद ही तय होगा, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि वह "समाजवादी परिवार के साथ खड़ा रहेगा"।

एसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस रिहाई को न्याय की जीत बताया और अज़ाम खान को "परिवार का बुजुर्ग सदस्य" कहा। शिवपाल यादव ने बहुजन सामाजिक पार्टी (बीएसपी) में घर बनाने की अफवाहों को निरस्त किया, कहा कि यह पूरी तरह बेतुका विज्ञापन है। अब इस रिहाई का सबसे बड़ा असर एसपी के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार है। कई जिलों में इस खबर को लेकर जलसत्र, मीटिंग और आंदोलन की तैयारी भी शुरू हो गई है।

कहाना यही है कि अज़ाम खान की रिहाई सिर्फ एक व्यक्तिगत मुक्ति नहीं, बल्कि यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ है। उनके 100 से अधिक मामलों में से आखिरी केस – रम्पुर में क्वालिटी बार ज़मीनी ऍन्क्रॉचमेंट का केस – में हाई कोर्ट से बाइल मिलने से उनके खिलाफ की रही कई कानूनी कार्यवाही अब एक Pause पर है। पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही तरफ इस घटना को मजबूत संदेश के रूप में लिया गया है – "जैसे ही हम एकजुट होते हैं, न्याय हमारा साथ देता है।"

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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