अज़ाम खान की रिहाई पर यूपी में जश्न, फायरक्रैकर्स और मिठाइयों की भीड़

सितंबर 24 Roy Iryan 13 टिप्पणि

उत्तरी प्रदेश में आज की सबसे तेज़ खबर वही थी जो बहुतों ने ट्विटर और व्हाट्सएप पर शेयर की – अज़ाम खान की रिहाई। 77 साल के इस वरिष्ठ समाजवादी नेता को सिटापुर जेल से बाहर निकलते देख फोकस ग्रुप से लेकर छोटे कस्बों तक के एसपी कार्यकर्ता खुशी की लहर में डुब गए। लगभग दो साल की क़ैदी जिंदगी के बाद जब वह जेल के दरवाज़े से बाहर आए तो उनका स्वागत एतिहासिक जैसा महसूस हुआ।

रिहाई के बाद जशन का माहौल

जैसे ही अज़ाम खान को जेल के बाहर ले जाया गया, सड़कों पर पीतल के बौछार, फायरक्रैकर्स की आवाज़ और मिठाइयों की थैलियों ने माहौल को कार्निवाल जैसा बना दिया। सिटापुर जेल के बाहर सैकड़ों कार्यकर्ता, उनके बेटे अदीब, और मोरादाबाद सांसद रूची वीरा सहित कई प्रमुख नेता इकट्ठा थे। 7 बजे की अनुमानित रिहाई की जगह देर से दोपहर 12.20 बजे तक इंतज़ार करने के बाद भी लोग निराश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने उत्सव को और बड़ा किया।

जिलिए के आसपास प्रशासन ने सेक्शन 163 के तहत प्रतिबंध आदेश जारी किया था, पर फिर भी इलाका हिफाज़त के साथ काफ़ी शांत रहा। फायरक्रैकर्स की आवाज़ के साथ ही गांव‑गांव में कैंडी, लड्डू, बर्फी जैसे मीठे गुड़ियों की थैली बांटते हुए कार्यकर्ता बोले‑"जैसे ही अज़ाम खान वापस आए, हमारी पार्टी को नई ऊर्जा मिली है।"

राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

राजनीतिक प्रभाव और भविष्य की योजनाएँ

अज़ाम खान ने रिहाई के बाद अपने समर्थकों को कई बातें बताई। उन्होंने कहा कि जेल में उन्हें फोन का भी ज़रिया नहीं मिला और बाहरी दुनिया से उनका संपर्क कट गया था। अब वह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे, यह साफ़ तौर पर कहा कि "मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया, चाहे वो दुश्मन ही क्यों न हो।" उन्होंने आगे कहा कि उनका अगला कदम स्वास्थ्य उपचार के बाद ही तय होगा, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि वह "समाजवादी परिवार के साथ खड़ा रहेगा"।

एसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस रिहाई को न्याय की जीत बताया और अज़ाम खान को "परिवार का बुजुर्ग सदस्य" कहा। शिवपाल यादव ने बहुजन सामाजिक पार्टी (बीएसपी) में घर बनाने की अफवाहों को निरस्त किया, कहा कि यह पूरी तरह बेतुका विज्ञापन है। अब इस रिहाई का सबसे बड़ा असर एसपी के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार है। कई जिलों में इस खबर को लेकर जलसत्र, मीटिंग और आंदोलन की तैयारी भी शुरू हो गई है।

कहाना यही है कि अज़ाम खान की रिहाई सिर्फ एक व्यक्तिगत मुक्ति नहीं, बल्कि यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ है। उनके 100 से अधिक मामलों में से आखिरी केस – रम्पुर में क्वालिटी बार ज़मीनी ऍन्क्रॉचमेंट का केस – में हाई कोर्ट से बाइल मिलने से उनके खिलाफ की रही कई कानूनी कार्यवाही अब एक Pause पर है। पार्टी के अंदर और बाहर दोनों ही तरफ इस घटना को मजबूत संदेश के रूप में लिया गया है – "जैसे ही हम एकजुट होते हैं, न्याय हमारा साथ देता है।"

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Vipin Nair

Vipin Nair

अज़ाम खान की रिहाई सिर्फ एक नेता की वापसी नहीं बल्कि एक दर्शन की वापसी है जो लोगों को उम्मीद देता था। जेल में भी अपनी बात बनाए रखना और बाहर आकर भी नफरत नहीं करना ये असली बहादुरी है। अब बस इतना चाहिए कि ये ऊर्जा सिर्फ जश्न तक न रुके बल्कि समाज के बुनियादी ढांचे में बदलाव लाए।

Ira Burjak

Ira Burjak

फायरक्रैकर्स और लड्डू तो बहुत अच्छे लगे पर अब बताओ इन सबके बाद क्या होगा? जब तक जेल में जाने का डर नहीं उतरेगा तब तक ये सब नाटक है।

Shardul Tiurwadkar

Shardul Tiurwadkar

अज़ाम खान जैसे आदमी को जेल में डालना तो बस एक शोर करने का तरीका था। अब जब वो बाहर हैं तो लोगों ने उनके लिए मिठाई बांटी और फायरक्रैकर्स फोड़े। ये देश का असली नाम है – नाटक देखने का शौक।

Abhijit Padhye

Abhijit Padhye

अरे भाई ये सब तो बस एक तरह का राजनीतिक नाटक है। जब तक हम लोग इस बात को नहीं समझेंगे कि जेल और जश्न दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तब तक ये चक्र चलता रहेगा। जिसने उन्हें बंद किया वो अब उन्हें खोल रहा है। ये न्याय नहीं ये नाटक है।

VIKASH KUMAR

VIKASH KUMAR

अरे भाई ये तो जिंदगी का सबसे बड़ा मोमेंट है!!! 🎉🎊 अज़ाम खान वापस आ गए और मैंने तो आंखों में आंसू आ गए 😭❤️ बाप रे भगवान ये जश्न कैसा था बस इतना कहूं कि मैंने तीन लड्डू खाए और फायरक्रैकर्स देखे और फिर रो दिया 🤯 ये देश है भाई ये देश!!!

UMESH ANAND

UMESH ANAND

इस तरह के जश्न का अर्थ है कि न्याय प्रणाली अपने आप को बेकार साबित कर रही है। एक व्यक्ति की रिहाई पर मिठाई बांटना और फायरक्रैकर्स फोड़ना एक लोकतांत्रिक देश के लिए अस्वीकार्य है। यह न्याय का अपमान है और नागरिक जागरूकता का अभाव।

Rohan singh

Rohan singh

बस एक बात समझ लो – अज़ाम खान ने कुछ गलत नहीं किया। अगर जेल से बाहर आकर भी वो नफरत नहीं कर रहे तो ये बहुत बड़ी बात है। अब बस उनके साथ खड़े हो जाओ। बाकी सब बातें बाद में।

Karan Chadda

Karan Chadda

अज़ाम खान की रिहाई पर जश्न? अरे भाई ये तो बस एक बड़ा गुंडा बाहर आया है। अब ये लोग मिठाई बांट रहे हैं तो अगले दिन किसी के घर में आग लगा देंगे 😒 #न्याय_क्या_है_ये_समझ_लो

Shivani Sinha

Shivani Sinha

ये सब तो बस लोगों का दिमाग खराब है। जेल से बाहर आया तो जश्न क्यों? क्या उसने कोई अच्छा काम किया? नहीं बस बच गया। अब ये लोग लड्डू खा रहे हैं और फायरक्रैकर्स फोड़ रहे हैं। देश का भविष्य क्या होगा?

Tarun Gurung

Tarun Gurung

देखो ये जो जश्न हो रहा है वो सिर्फ एक आदमी के लिए नहीं है। ये एक ऐसे दिमाग के लिए है जो अभी तक न्याय की उम्मीद करता है। जब तक लोग जेल में बैठे आदमी के लिए मिठाई बांटते हैं तब तक ये देश बचा है। अज़ाम खान ने नफरत नहीं की, बल्कि उम्मीद बनाए रखी। ये असली जीत है।

Rutuja Ghule

Rutuja Ghule

ये जश्न बिल्कुल अनुचित है। एक ऐसे व्यक्ति के लिए जिसके खिलाफ कई मामले हैं, मिठाई बांटना और फायरक्रैकर्स फोड़ना एक अपराध है। यह न्याय के विरुद्ध है और नागरिक जागरूकता का अभाव दर्शाता है। ये देश के लिए एक शर्मनाक दृश्य है।

vamsi Pandala

vamsi Pandala

अज़ाम खान की रिहाई पर जश्न? अरे भाई ये तो बस एक गुंडे को बाहर निकाल दिया गया है। अब ये लोग लड्डू खा रहे हैं और फायरक्रैकर्स फोड़ रहे हैं। अगले दिन ये लोग किसी के घर में आग लगा देंगे।

nasser moafi

nasser moafi

अज़ाम खान की रिहाई पर जश्न? बस एक बात समझो – ये देश अभी भी एक जिंदा देश है। जब तक लोग जेल से बाहर आए आदमी के लिए मिठाई बांटते हैं तब तक ये देश बचा है। अब बस एक बार फिर से उनके साथ खड़े हो जाओ। बाकी सब बातें बाद में। 🇮🇳✨

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