अंशिक सूर्य ग्रहण: समझें, देखें, सुरक्षित रहें
जब चंद्रमा सूरज को पूरी तरह नहीं ढकता, बल्कि कुछ हिस्से को आंशिक रूप से छुपा देता है, तो इसे अंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। यह दृश्य अक्सर कुछ मिनट से एक घंटे तक रहता है और बहुत रोमांचक होता है, बशर्ते आप इसे सही तरीके से देखें। इस लेख में हम बात करेंगे कि अंशिक सूर्य ग्रहण कब होता है, किन जगहों पर दिखता है और इसे कैसे सुरक्षित देख सकते हैं।
अंशिक सूर्य ग्रहण कब और कैसे होता है?
सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में नहीं आने पर चंद्रमा का केवल कुछ हिस्सा ही सूरज को ढकता है। जब यह संरेखण होता है तो पृथ्वी के कुछ हिस्सों में अंशिक सूर्य ग्रहण दिखता है। भारत में अक्सर इस तरह के ग्रहण दिसम्बर, मार्च या अक्टूबर में देखे जाते हैं, क्योंकि यही महीने सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के अंतरिक्ष में बेहतर संरेखण देते हैं। अगले साल का अंशिक सूर्य ग्रहण 23 अक्टूबर को भारत के उत्तरी और मध्य भागों में दिखेगा।
सुरक्षित देखने के उपाय
धूप में सीधे सूरज को देखना आँखों को बहुत नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए अंशिक सूर्य ग्रहण देखते समय सही सुरक्षा जरूरी है। सबसे आसान तरीका है सौर टेम्परड ग्लास या विशेष ग्रहण चश्मा उपयोग करना, जो यूवी और इन्फ्रारेड किरणों को ब्लॉक करता है। अगर आपके पास ये नहीं है तो आप घर के दो शीशे की मदद से एक छोटा प्रोजेक्शन बना सकते हैं: एक कागज़ पर छोटा छेद बनाएं, धूप को उस छेद से पत्ती पर पड़ने दें और फिर उस छाया को दीवार पर देखें। याद रखें, किसी भी साधारण धूप के चश्मे या मेटलेड शीशे से सूरज देखना खतरे भरा है।
ग्रहण के दौरान मोबाइल या कैमरा का इस्तेमाल भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि लेंस की फोकसिंग आँखों को बहुत तेज़ प्रकाश पहुँचा सकती है। अगर आप फोटो लेना चाहते हैं तो अपने उपकरण पर सौर फिल्टर लगाकर ही करें। यह फिल्टर सूर्य की रोशनी को काफी हद तक कम कर देता है, जिससे आपके कैमरे की सेंसर भी सुरक्षित रहती है।
ग्रहण देखना एक सामाजिक इवेंट भी बन सकता है। परिवार या दोस्तों के साथ एक छोटी gathering रखें, जहाँ सभी को सुरक्षित उपकरण मिलें। बच्चों को खास तौर पर समझाएँ कि बिना प्रोटेक्टिव ग्लास के सूरज को कभी नहीं देखना चाहिए। इस तरह का समूह अनुभव न सिर्फ मज़ेदार होता है, बल्कि सुरक्षा के नियम भी याद रखने में मदद करता है।
अगर आप अंशिक सूर्य ग्रहण को पूरी तरह से देखना चाहते हैं, तो अपने स्थान को पहले से जांच लें। भारत में कुछ शहर जैसे वाराणसी, लखनऊ, कानपुर आदि में इस वर्ष का ग्रहण अधिक समय तक दिखेगा। आप स्थानीय समाचार या मौसम ऐप में “सूर्य ग्रहण” अलर्ट देख सकते हैं, जिससे आप सही समय पर तैयार हो सकें।
ग्रहण के बाद आसमान में कुछ देर तक बदलाव रहता है—सूर्य का किनारा थोड़ा चाँदी जैसा दिखेगा, जिसके पीछे अंधेरे का एक छोटा हिस्सा रहेगा। यह दृश्य बहुत ही आकर्षक है और अक्सर लोग इसे फोटो में कैद करना चाहते हैं। बस याद रखें, फोटो लेती वक्त भी सुरक्षा के नियम न भूलें।
कुल मिलाकर, अंशिक सूर्य ग्रहण एक आसान और शानदार खगोलीय घटना है, जो सही तैयारी से बेहद मज़ेदार बन सकती है। ऊपर बताए गए सुरक्षा टिप्स को अपनाएँ, सही समय और जगह चुनें, और इस प्राकृतिक शो का आनंद उठाएँ। आशा है आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी और अगली बार आप बिना किसी जोखिम के अंशिक सूर्य ग्रहण देख पाएँगे।
21 सितंबर 2025 को अंशिक सौर ग्रहण का दृश्य होगा, जिसका अधिकतम अंधकार भाग न्यूज़ीलैंड और अंटार्कटिका में 85.5% तक पहुँचेगा। यह भारत में नहीं दिखेगा, बल्कि दक्षिणी गोलार्द्ध के कई देशों में देखा जा सकेगा। इस ग्रहण का संबंध हिंद पंचांग के अश्विन अमावस्या और उत्तरेकाल्पनि नक्षत्र से है। दर्शकों को सुरक्षित देखे के लिए विशेष इबैजिंग ग्लास की जरूरत होगी।