सौर ग्रहण क्या है? पूरी जानकारी यहाँ पढ़िए
सौर ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य के कुछ हिस्से को ढँक देता है। यह दृश्य बहुत ही आकर्षक और कभी‑कभी डराने वाला लग सकता है, इसलिए इसे समझना जरूरी है। इस लेख में हम सौर ग्रहण के मुख्य पहलू, देखने का सही समय और सुरक्षा के टिप्स बताएँगे।
सौर ग्रहण के तीन मुख्य प्रकार
सौर ग्रहण को तीन भागों में बाँटा जाता है – पूर्ण, अंशिक और रिंग‑ऐन्युलर। पूर्ण ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह सूर्य को ढँक देता है और थोड़ी देर के लिए रात जैसा अंधकार दिखता है। अंशिक ग्रहण में केवल सूर्य का कुछ हिस्सा ही छिपता है, इसलिए उजाला नहीं जाता। रिंग‑ऐन्युलर में चंद्रमा छोटा दिखता है, इसलिए सूर्य का एक चमकदार रिंग बनता है। भारत में आमतौर पर अंशिक या रिंग‑ऐन्युलर ग्रहण देखे जाते हैं।
अगला सौर ग्रहण कब और कहाँ दिखेगा?
वर्तमान में 2025 का सबसे नज़दीकी सौर ग्रहण 14 अक्टूबर को होगा, लेकिन यह मुख्य रूप से अफ्रीका और यूरोप में देखा जाएगा। भारत में अगला प्रमुख सौर ग्रहण 26 अप्रैल 2024 को अंशिक रूप में आया था, और अगले बड़े अंशिक ग्रहण की संभावना 2027 में है। सटीक टाइमिंग और दृश्यता के लिए स्थानीय मौसम विभाग या जियोफिजिकल एजेंसी की साइट पर अपडेट चेक करें।
अगर आप भारत में रहते हैं तो अपने शहर के पास सूर्य के नीचे आने वाले क्लाउड कवर और धुंध को भी ध्यान में रखें। अक्सर साफ़ आसमान में ही ग्रहण का अनुभव बेहतर मिलता है।
ग्रहण देखने के दौरान सबसे जरूरी बात है आँखों की सुरक्षा। साधारण सनग्लासेस नहीं चलेंगे, आपको विशेष सौर फ़िल्टर या इन्फ्रारेड‑ब्लॉकिंग एनोडायॉक्साइड कोटेड चश्मा चाहिए। अगर आपके पास ये नहीं हैं तो डाइरेक्ट देखना बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे स्थायी नेत्र क्षति हो सकती है।
सुरक्षित देखने के लिए एक आसान तरीका है प्रोजेक्शन तकनीक। एक सफ़ेद कागज़ या कंचा पर सूर्य की छाया बनाकर उसे दीवार पर डालें, फिर धीरे‑धीरे छाया बदलती देखें। इससे आप बिना आँखों को नुकसान पहुँचाए ग्रहण को देख सकते हैं।
सौर ग्रहण के समय कई जगह पर खास आयोजन होते हैं – स्कूल, विज्ञान केंद्र या स्थानीय समुदाय के साथ। ऐसे इवेंट में आमतौर पर विशेषज्ञ होते हैं जो सही उपकरण और सुरक्षा की जानकारी देते हैं। यदि संभव हो तो ऐसे इवेंट में भाग लेकर अनुभव बढ़ा सकते हैं।
सौर ग्रहण सिर्फ एक दृश्य घटना नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों के लिये भी बहुत महत्व रखता है। यह सूर्य की सतह के विभिन्न स्तरों को अध्ययन करने का मौका देता है, जिससे सौर विकास, स्पेस वेदर और पृथ्वी पर असरों को समझा जाता है। अनुसंधान में मदद करने के लिये कई संस्थाएँ डेटा संग्रह करती हैं, इसलिए कभी‑कभी आप भी स्थानीय विज्ञान समूह में शामिल हो सकते हैं।
अंत में, अगर आप इस टैग पेज पर आए हैं तो आप सौर ग्रहण से जुड़ी खबरें, अपडेट या विशेषज्ञ राय ढूँढ़ रहे होंगे। यहाँ से आप नवीनतम जानकारी, देखने के टिप्स और सुरक्षा उपाय आसानी से पा सकते हैं। देखते समय सावधानी बरतें, और इस दुर्लभ दृश्य को सुरक्षित और पूरी तरह आनंद लें।
21 सितंबर 2025 को अंशिक सौर ग्रहण का दृश्य होगा, जिसका अधिकतम अंधकार भाग न्यूज़ीलैंड और अंटार्कटिका में 85.5% तक पहुँचेगा। यह भारत में नहीं दिखेगा, बल्कि दक्षिणी गोलार्द्ध के कई देशों में देखा जा सकेगा। इस ग्रहण का संबंध हिंद पंचांग के अश्विन अमावस्या और उत्तरेकाल्पनि नक्षत्र से है। दर्शकों को सुरक्षित देखे के लिए विशेष इबैजिंग ग्लास की जरूरत होगी।