सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट – भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ी सुरक्षा और चयन का आधार

जब हम सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट, भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा निर्धारित एक वित्तीय अनुबंध को समझते हैं, तो याद रखिए कि यह खिलाड़ी के वेतन, बीमा और खेल‑जीवन की स्थिरता को तय करता है। यह अनुबंध भारत की राष्ट्रीय टीम के पुरुष और महिला दोनों खिलाड़ियों पर लागू होता है, और इसकी घोषणा हर साल BCCI (भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड) द्वारा की जाती है। इस लेख में हम देखते हैं कि कैसे यह अनुबंध विभिन्न स्तरों पर खेल को आकार देता है।

सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के मुख्य तत्व

पहला तत्व है BCCI, भारत का मुख्य क्रिकेट प्रशासनिक निकाय की भूमिका। BCCI प्रत्येक वर्ग (A, B, C) के लिए अलग‑अलग वेतन तय करता है, जिसमें इष्टतम प्रदर्शन वाले खिलाड़ियों को उच्च वर्ग दिया जाता है। दूसरा महत्वपूर्ण घटक महिला क्रिकेट, भारत की महिला राष्ट्रीय टीम और उसकी विकास रणनीति है। हालिया सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट अपडेट में महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष रूप से बेहतर वेतन और बीमा कवरेज शामिल किया गया, जिससे उनकी पेशेवर सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार आया। तीसरा भाग है ICC रैंकिंग, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा जारी खिलाड़ी और टीम की क्रमिक सूची। रैंकिंग में ऊपर आने वाले खिलाड़ियों को अक्सर सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट के उच्च वर्ग में स्थान मिलता है, इसलिए प्रदर्शन और रैंकिंग के बीच प्रत्यक्ष संबंध बनता है।

इन तत्वों को जोड़ते हुए हम देख सकते हैं कि सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट खिलाड़ियों को वित्तीय स्थिरता देता है, चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है, और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतियोगिता की स्तर को ऊँचा करता है। उदाहरण के तौर पर, जब भारत की महिला टीम ने Servo Cup में शानदार जीत हासिल की, तो कई खिलाड़ी नई सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट ग्रेड में अपग्रेड हुए, जिससे उनका वेतन दो गुना हो गया। इसी तरह, ICC ODI रैंकिंग में सुधार करने वाले खिलाड़ी अक्सर B श्रेणी से A श्रेणी में बदलते हैं, जिससे उनके लाभ में सीधा इज़ाफ़ा होता है।

सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट केवल वेतन तक सीमित नहीं रहता; यह बीमा, फिजिकल फिटनेस बिंदु, और खेल के बाहर की शिक्षा समर्थन भी प्रदान करता है। BCCI ने पिछले साल एक नई नीति लागू की जिसके तहत प्रत्येक अनुबंधधारी खिलाड़ी को एक वर्ष की पेशेवर प्रशिक्षण योजना मिलती है, जिसमें पोषण, मनोविज्ञान और तकनीकी कोचिंग शामिल है। इस प्रकार अनुबंध खिलाड़ी के समग्र विकास में योगदान देता है, न कि सिर्फ आर्थिक पहलू में।

अब सवाल उठता है – क्या सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट सभी खिलाड़ियों को समान रूप से फायदा पहुंचाता है? वास्तविकता में, अनुबंध वर्गीकरण में अंतर है और यह अक्सर मौसमी प्रदर्शन पर निर्भर करता है। कई युवा खिलाड़ी ‘लेखा‑स्थिति’ के कारण वर्ग C में फँसते हैं, जबकि उनकी क्षमता उच्च वर्ग में पहुँचने की मापदंडों को पार करती है। इस समस्या को हल करने के लिए BCCI ने प्रदर्शन‑आधारित रिव्यू प्रक्रिया पेश की, जिसमें हर छह महीने में एक बार खिलाड़ी के आँकड़े और फिटनेस रेटिंग का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है।

एक और पहलू जो अक्सर अनदेखी रह जाता है, वह है अंतरराष्ट्रीय लीग में भागीदारी का प्रभाव। जब कोई खिलाड़ी IPL या WBBL जैसे टॉप लीग में अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उसकी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में बदलाव की संभावना बढ़ जाती है। इससे खिलाड़ी को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर निरंतर प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा, ICC की नई ‘रैंक‑टु‑रिवॉर्ड’ प्रणाली ने यह तय किया है कि रैंकिंग में शीर्ष 10 में रहने वाले खिलाड़ियों को अतिरिक्त बोनस मिलेंगे, जिससे सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट का महत्व और भी बढ़ गया।

प्रवासी खिलाड़ियों के लिये भी सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट का असर स्पष्ट है। US F‑1 वीजा में गिरावट की खबरें सुनने के बाद कई युवा क्रिकेटर विदेश में पढ़ाई और खेल को संयोजित करने की कोशिश कर रहे हैं। सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट उन्हें आर्थिक सुरक्षा देता है, जिससे विदेश में रहकर भी वे राष्ट्रीय टीम के चयन में बने रह सकते हैं। इस तरह का समर्थन भारत के टैलेंट पूल को व्यापक बनाता है।

आखिर में, सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट एक बहु‑स्तरीय ढांचा है जो खिलाड़ी की आर्थिक, स्वास्थ्य और प्रदर्शन संबंधी आवश्यकताओं को एक साथ संबोधित करता है। यह BCCI की नीति, महिला क्रिकेट की प्रगति, ICC रैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय लीग सहभागिता के साथ गहराई से जुड़ा है। अब आप नीचे दिए गए लेखों में देख सकते हैं कि कैसे विभिन्न खेल‑इवेंट्स, अनुबंध अपडेट और नीति परिवर्तन इस ढांचे को प्रभावित करते हैं। इन लेखों को पढ़कर आप अपने खेल‑जीवन में सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट की भूमिका को बेहतर समझ पाएँगे।

PCB ने 2025‑26 के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में बाबर आज़ाम और रिज़वान को घटाया, Category A खाली

सितंबर 27 Roy Iryan 0 टिप्पणि

पीसीबी ने 2025‑26 के अंतरराष्ट्रीय सीज़न के लिए 30 खिलाड़ियों के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट जारी किए। बाबर आज़ाम और मोहम्मद रिज़वान को Category A से हटाकर Category B में रख दिया गया, जबकि इस दौर में कोई भी खिलाड़ी Category A में नहीं रहा। कुल 12 नई उपनामों ने अपनी जगह बनाई, पाँच खिलाड़ी प्रदर्शन के आधार पर उन्नति पाई, और कई प्रमुख खिलाड़ी गिरावट या बर्खास्तगी का सामना कर रहे हैं।

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