तमिलनाडु कांग्रेस के पूर्व प्रमुख ई. वी. के. एस. एलंगोवन का निधन: 75 वर्ष की उम्र में दिवंगत

दिसंबर 15 Roy Iryan 18 टिप्पणि

ई. वी. के. एस. एलंगोवन: एक समर्पित राजनीतिज्ञ का निधन

तमिलनाडु के प्रतिष्ठित कांग्रेस नेता और पूर्व तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) अध्यक्ष ई. वी. के. एस. एलंगोवन का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जन्म 21 दिसंबर 1948 को इरोड जिले में हुआ था। उनके निधन के साथ ही भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत हो गया। उनके राजनीति में प्रवेश और योगदान के किस्से न केवल तमिलनाडु में बल्कि पूरे भारतवर्ष में विख्यात हैं।

ई. वी. के. एस. एलंगोवन का सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में गहरा प्रभाव रहा था। वह भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता ई. वी. के. सम्पत के पुत्र और प्रसिद्ध समाज सुधारक पेरियार ई. वी. आर. रामासामी के भाई कृष्णासामी के पोते थे। इससे उनके राजनीतिक भविष्य की नींव बचपन से ही मजबूत हुई थी। राजनीति में उनकी गहरी रूचि और उनके समर्पण का ही परिणाम था कि वे कांग्रेस पार्टी में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर पाए।

उनका राजनीतिक सफर और उपलब्धियाँ

उनका राजनीतिक सफर और उपलब्धियाँ

ई. वी. के. एस. एलंगोवन ने राजनीति में अपने करियर की शुरुआत 40 साल पहले की थी। उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा में इरोड ईस्ट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा, वे केंद्र सरकार में 2004 से 2009 तक प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कपड़ा मंत्री के पद पर भी विराजमान रहे। उनका योगदान कपड़ा उद्योग में कई सकारात्मक बदलावों का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

वर्ष 1984 में उन्होंने सत्यामंगलम विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में अपनी पहचान बनाई और कई महत्वपूर्ण सरकारी नीति निर्माण प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इसके अलावा, 2023 के उपचुनावों में, जिन्होंने उनके पुत्र तिरुमगन एवेरा की मौत के बाद खाली हुई सीट पर जीत हासिल की थी, उन्होंने इरोड ईस्ट विधानसभा सीट भी अपने नाम की थी। यह उनके राजनीतिक कैरियर का एक और गौरवशाली अध्याय था।

एलंगोवन की विरासत और प्रभाव

ई. वी. के. एस. एलंगोवन का करियर डॉ.विडियन और कांग्रेस के आदर्शों से गहराई से प्रेरित था। उनके योगदान ने तमिलनाडु और राष्ट्रीय राजनीति के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को और मजबूती दी। उनका निधन सिर्फ कांग्रेस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीतिक भूमि के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।

उनके जीवन और कार्यों से अनेक उभरते राजनीतिज्ञों ने प्रेरणा ली और उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया। अब जब वे हमारे बीच नहीं रहे, उनकी यादें और उनका योगदान सदैव हमारे साथ रहेगा। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में उनकी कमी को पूरा करना कठिन होगा, लेकिन उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्शों को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Rohan singh

Rohan singh

ई. वी. के. एस. का निधन बहुत दुखद है। वो एक ऐसे नेता थे जिनकी बात सुनकर लगता था कि राजनीति में इंसानियत अभी भी जिंदा है। उनकी सादगी और दृढ़ता को कोई नहीं भूल सकता।
आज के वक्त में ऐसे लोग बहुत कम रह गए हैं।

Karan Chadda

Karan Chadda

कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका है भाई। अब तो बस नाम लेकर चलोगे, असली नेता कहाँ हैं? 😔

Shivani Sinha

Shivani Sinha

एलंगोवन तो बस एक और पुराना नेता था जिसने अपने बच्चों को राजनीति में घुसा दिया। अब तो सब बेटा-बेटी का राजनीति में बाप बन गए। कोई नया दिमाग नहीं आ रहा।

Tarun Gurung

Tarun Gurung

ई. वी. के. एस. का काम बस कपड़े के उद्योग तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने छोटे उद्यमियों को भी जगह दी, जिनकी आवाज़ कोई सुनता नहीं था।
उनके ज़माने में मंत्री बनने के बाद भी घर वापस आकर चाय की दुकान पर बैठकर लोगों की बात सुनते थे।
आज के नेता तो बस ट्वीट करते हैं, वो तो बात करते थे।
उनके बारे में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए, न कि बस एक निधन का खबर बन जाए।
मैंने उन्हें एक बार इरोड में देखा था - बिना बॉडीगार्ड के, बस एक टोपी और एक बैग लिए।
उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी - जैसे वो जानते हों कि वो क्यों यहाँ हैं।
आज तो हर कोई नेता बनना चाहता है, लेकिन कोई नेता बनना नहीं चाहता।
वो नेता थे जिन्होंने अपनी जीभ से नहीं, अपने काम से बात की।
उनके बाद कोई भी नेता अगर राजनीति को अपना बिजनेस समझे, तो वो उनकी याद को बेइज्जत कर रहा है।
मैं जिस गाँव से हूँ, वहाँ अभी भी बुजुर्ग उनके नाम का जिक्र करते हैं - जैसे कोई देवता का।
हमें बस एक बार उनकी जिंदगी को एक बार अच्छे से पढ़ना चाहिए।
उनके बिना राजनीति एक बिना दिल का शरीर है।
हमारे पास जो भी अच्छा बचा है, वो उनका तोहफा है।

Rutuja Ghule

Rutuja Ghule

ये सब बहुत बड़ी बातें हैं, लेकिन असल में ये सब नेता तो बस अपने परिवार के लिए बैठे रहते थे। कोई आम आदमी का क्या ख्याल रखता था? ये सब नेता तो बस अपने नाम के लिए राजनीति करते थे।

vamsi Pandala

vamsi Pandala

अरे ये तो बस एक और पुराना नेता मर गया, कोई नया आएगा ना? इतना रोना क्यों? अब तो हर दिन कोई न कोई मर रहा है।

nasser moafi

nasser moafi

अब तो ये लोग तो बस अपने नाम के लिए राजनीति करते थे 😏
पर असली बात ये है - उन्होंने अपने बेटे को भी अपनी जगह दे दी। अब तो राजनीति फैमिली बिजनेस बन गई।
लेकिन... वो जो करते थे, वो अच्छा करते थे।
अब तो हर कोई बस ट्वीट करता है।
उनकी तुलना में आज के नेता बिना लाइट वाले लैंप हैं। 🤷‍♂️

Saravanan Thirumoorthy

Saravanan Thirumoorthy

कांग्रेस का एक और नेता गया अब तो ये पार्टी कहाँ जा रही है
इतने सालों तक ये लोग क्या कर रहे थे
हमारे देश के लिए कुछ नहीं किया

Tejas Shreshth

Tejas Shreshth

एलंगोवन का जीवन एक विश्लेषणात्मक अध्ययन के लिए एक आदर्श प्रसंग है - जहाँ पारंपरिक राजनीतिक वंशावली और नवीन सामाजिक न्याय के बीच एक जटिल टेंशन थी।
उनकी विरासत को बस एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संक्रमण के रूप में देखना चाहिए।
क्या आप जानते हैं कि उनके पिता के समय तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए शिक्षा का दरवाजा बंद था? उन्होंने इसे खोला।
ये बस एक नेता नहीं, एक सामाजिक संरचना का निर्माता था।
अब तो हर कोई बस नेता का नाम लेकर चलता है, लेकिन निर्माण का कोई विचार नहीं।
उनके बाद का राजनीतिक जीवन एक बेकार की नकल है।
आपको पता है कि उन्होंने एक बार एक गरीब मजदूर के बेटे को अपने घर में रख लिया था? उसने आज एक इंजीनियर बनकर अपना नाम बनाया।
ये बस एक नेता नहीं, एक जीवन रूपांतरण का उदाहरण है।
आज के नेता तो बस फोटोशूट करते हैं।
उनके बिना राजनीति एक बिना आधार का इमारत है।
हमें उनके बारे में नहीं, बल्कि उनके जीवन के सिद्धांतों के बारे में बात करनी चाहिए।

Hitendra Singh Kushwah

Hitendra Singh Kushwah

ये सब बहुत अच्छा लगता है, लेकिन असल में ये सब बस एक बड़ी फिल्म है। कोई असली बदलाव नहीं हुआ।
अब तो बस नाम लेकर चलो।

sarika bhardwaj

sarika bhardwaj

ये तो बस एक और राजनीतिक बाप का निधन है। अब बेटे को नियुक्त कर दिया गया है। ये राजनीति का नहीं, फैमिली बिजनेस है।
और ये लोग अभी भी आदर्श की बात करते हैं 😒

Dr Vijay Raghavan

Dr Vijay Raghavan

एलंगोवन का निधन एक अपूर्ण अध्याय है।
उनके बाद कोई नहीं आया।
कांग्रेस तो अब बस अपने नाम के लिए राजनीति कर रही है।
उनके जीवन को याद करने की बजाय, हमें उनके जैसे नेता बनाना चाहिए।

Partha Roy

Partha Roy

ये तो बस एक और पुराना नेता गया, अब तो हर दिन कोई न कोई मर रहा है
कांग्रेस का क्या हुआ अब
कोई नया नेता नहीं आया
बस बेटे को चढ़ा दिया

Kamlesh Dhakad

Kamlesh Dhakad

मैं इरोड से हूँ। उनके बारे में बचपन से सुनता आया हूँ।
एक बार मैंने उन्हें एक छोटे से बाजार में देखा - बिना बॉडीगार्ड के, बस एक गाड़ी और एक टोपी।
उन्होंने मुझे एक चाय दी थी।
उनकी बातों में दर्द था, लेकिन आशा भी।
अब जब वो नहीं हैं, तो लगता है जैसे गाँव का एक बुजुर्ग चला गया हो।

ADI Homes

ADI Homes

मैं तो बस एक आम आदमी हूँ।
मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।
लेकिन मैंने उनके बारे में सुना है।
उनकी याद बस एक नेता की नहीं, बल्कि एक इंसान की है।
अब तो लोग बस नाम लेते हैं।
लेकिन वो जो करते थे, वो असली था।

Hemant Kumar

Hemant Kumar

एलंगोवन ने बहुत कुछ किया, लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये थी कि उन्होंने अपने बेटे को अपने बजाय बनाया।
ये नहीं कि बेटे को नियुक्त किया, बल्कि उसे बनाया।
उनके बेटे ने भी उसी तरह से काम किया।
ये राजनीति का असली विरासत है।

NEEL Saraf

NEEL Saraf

हमें उनकी याद में नहीं, बल्कि उनके जैसे नेता बनना चाहिए।
उनकी बातें आज भी सुनने लायक हैं।
उन्होंने बस एक बात कही - ‘राजनीति तुम्हारी नहीं, लोगों की है’।
अब तो हर कोई अपनी नहीं, अपने घर की बात करता है।
हमें उनकी बात सुननी चाहिए।

Ashwin Agrawal

Ashwin Agrawal

मैं तो बस एक छोटा सा शहरी आदमी हूँ।
मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।
लेकिन जब मैंने उनकी कहानी सुनी, तो लगा जैसे कोई बुजुर्ग अपने बेटे को समझा रहा हो।
उनकी बातें अभी भी जीवित हैं।

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