अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तैयारी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्साइज नीति घोटाला मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और सुनवाई के लिए 28 जून 2024 की तारीख तय की है।
अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क
केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में दलील पेश की है कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश 'स्पष्ट रूप से अवैध' और 'उल्टा' था। उन्होंने तर्क दिया कि याचिका खारिज करने में न्यायालय ने कानूनी धारणाओं का अनुपालन नहीं किया और उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
केजरीवाल की गिरफ्तारी और आरोप
अरविंद केजरीवाल को 6 मई 2024 को विवादास्पद एक्साइज नीति के लागू करने में कथित अनियमितताओं के संबंध में गिरफ्तार किया गया था। इस नीति को जुलाई 2022 में निरस्त कर दिया गया था। सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रहे हैं और सीबीआई ने इस संदर्भ में चार्जशीट भी दाखिल की है, जिसमें केजरीवाल और 14 अन्य को आरोपी बताया गया है।
राजनीतिक उद्देश्य के आरोप
केजरीवाल ने इस मामले को 'राजनीति से प्रेरित' बताते हुए किसी भी प्रकार की गलत कृत्य करने से इनकार किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह मामला उनकी छवि धूमिल करने के उद्देश्य से गढ़ा गया है और इसमें कोई ठोस सबूत नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में यह माना गया था कि केजरीवाल का जमानत पर रिहा होना मामले की जांच को प्रभावित कर सकता है। यह भी तर्क दिया गया था कि उनकी रिहाई से साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का जोखिम है। हालांकि, केजरीवाल के वकीलों ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है।
कानूनी प्रक्रिया
इस पूरे मामले में कानूनी प्रक्रिया और मानदंडों का बारीकी से पालन किया जा रहा है, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसियों का भी योगदान है। सीबीआई की प्रारंभिक जांच और चार्जशीट दाखिल करने के बाद, अब यह सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले में अंतरिम जमानत प्रदान करता है या नहीं।
इस बीच, केजरीवाल के समर्थक और राजनीतिक सहयोगी लगातार उनकी निर्दोषता की बात कर रहे हैं और इसे तथ्यों के साथ प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। दिल्ली की राजनीति में इस मामले के प्रभाव को लेकर भी व्यापक की जा रही है, क्योंकि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के कारण एक महत्वपूर्ण राजनेता हैं और यह मामला सार्वजनिक एवं राजनीतिक ध्यान का केंद्र बना हुआ है।
भविष्य की दिशा
अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाले दिनों में उनके राजनीतिक करियर और दिल्ली की राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। माना जा रहा है कि इस मामले से जुड़े तथ्यों और तर्कों के आधार पर न्यायालय की निर्णायकता अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जहाँ पर इस मामले की सुनवाई होगी और न्यायालय अपनी अंतिम राय देगा। इस घटित होने वाली घटना का राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव डालने की संभावना है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी समय में चीजें कैसे आगे बढ़ती हैं।
Shardul Tiurwadkar
ये सब राजनीति है, न्याय नहीं। जब तक लोग अपने दिल से सोचेंगे, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।
Abhijit Padhye
अरे भाई, अगर कोई मुख्यमंत्री गिरफ्तार हो गया तो अब दिल्ली का क्या होगा? ये सब लोग तो बस नेता बनने के लिए बातें करते हैं, काम नहीं करते।
VIKASH KUMAR
बस रुको... अरविंद जी को जमानत मिल गई तो क्या होगा? 😱 फिर से वो ट्वीट करेंगे, फिर से टीवी पर आएंगे, फिर से हमें बताएंगे कि वो निर्दोष हैं... और हम सब फिर से उनके लिए चिल्लाएंगे! 🙃
UMESH ANAND
कानून का अनुपालन अत्यंत आवश्यक है। यदि एक व्यक्ति राजनीतिक पद पर है, तो उसके लिए विशेष व्यवहार का आधार नहीं बनाया जा सकता। न्याय समान होना चाहिए।
Rohan singh
हम सब चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए। चाहे वो कोई भी हो। बस थोड़ा धैर्य रखो, न्याय का रास्ता धीमा होता है, लेकिन सही होता है।
Karan Chadda
अरे ये सब बकवास है! जो चोरी करता है वो बैठ जाए, नहीं तो ये देश ही खत्म हो जाएगा! 🇮🇳🔥
Shivani Sinha
kya baat hai ye sab... kuchh proof toh dikha de kya? log sirf bhasha chalate hai... sach toh koi nahi bata raha
Tarun Gurung
देखो, इस मामले में दोनों तरफ के तर्क हैं। एक तरफ एजेंसियां कह रहीं हैं कि अनियमितता हुई, दूसरी तरफ कहते हैं कि ये सब राजनीति है। असली सवाल ये है कि क्या दिल्ली के लोगों को ये चाहिए? ये न्याय या ये निशान? जब तक हम इस बात को समझ नहीं लेंगे, तब तक ये चक्र चलता रहेगा।
Rutuja Ghule
ये सब बहाना है। एक व्यक्ति जो राजनीति में आया है, उसकी नैतिकता ही सवाल है। जमानत देने की बात कैसे कर रहे हो? अगर निर्दोष हैं तो अदालत में साबित करो। नहीं तो ये सब नाटक है।
Shardul Tiurwadkar
तुम लोगों ने बिल्कुल सही कहा। न्याय की बात तो अभी शुरू हुई है। जब तक सब कुछ बाहर नहीं आ जाता, हम अपनी राय नहीं बदलेंगे।