कोरोना रेमेडीज आईपीओ पर 24.5% ग्रे मार्केट प्रीमियम, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमसी का भी उछाल

दिसंबर 9 Roy Iryan 18 टिप्पणि

ग्रे मार्केट प्रीमियम के जरिए निवेशकों की भावनाएँ बताते हुए, कोरोना रेमेडीज लिमिटेड का आईपीओ अभी शुरू हुआ है, लेकिन बाजार में इसकी ताकत का अंदाजा लग चुका है। दिसंबर 9, 2025 तक, इसके ₹1,062 के इश्यू प्राइस पर ₹260 का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) दर्ज किया गया — यानी 24.5% का अतिरिक्त लाभ। ये आंकड़ा आईपीओ सेंट्रल के डेटा के अनुसार है, जो बता रहा है कि निवेशक इस फार्मास्यूटिकल कंपनी को लिस्टिंग से पहले ही खरीदने के लिए तैयार हैं। कंपनी का आईपीओ 8 दिसंबर को खुला और 10 दिसंबर को बंद हुआ, लेकिन ग्रे मार्केट में इसकी डिमांड अभी भी बढ़ती जा रही है।

कोरोना रेमेडीज: ब्रांड्ड फार्मा का नया नाम

कोरोना रेमेडीज लिमिटेड भारत में स्थित एक ब्रांडेड फार्मास्यूटिकल कंपनी है, जिसके पास महिला स्वास्थ्य, कार्डियो-डायबिटो, पेन मैनेजमेंट और यूरोलॉजी जैसे क्षेत्रों में 71 ब्रांड्स हैं। ये सभी ब्रांड्स डिसेंबर 2025 तक एक व्यापक रेंज में बिक रहे थे। इसका रेड हैरिंग प्रोस्पेक्टस 2 दिसंबर को दायर किया गया था, और इस बार कंपनी ने 100% बुक-बिल्ट ऑफर का चयन किया — यानी कोई फिक्स्ड प्राइस नहीं, बल्कि बाजार की मांग के आधार पर निर्धारित कीमत। यह बात बताती है कि कंपनी अपने आईपीओ को बड़े पैमाने पर सफल बनाने की उम्मीद कर रही है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमसी: अलग अलग रिपोर्ट्स, एक ही भावना

जबकि कोरोना रेमेडीज का GMP शानदार है, तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमसी का आईपीओ अभी शुरू नहीं हुआ — 12 दिसंबर को शुरू होगा। लेकिन ग्रे मार्केट में इसकी भी भागदौड़ शुरू हो चुकी है। आईपीओ सेंट्रल के अनुसार, इसका GMP ₹85 (3.9%) था, लेकिन चाणक्य निपोथी की रिपोर्ट में यह ₹105 से बढ़कर ₹125 हो गया। वहीं, StockArt.co.in ने ₹140 का अंदाजा लगाया — जो ₹2,165 के इश्यू प्राइस पर 6.47% के बराबर है। ये अंतर क्यों? क्योंकि ग्रे मार्केट कोई रेगुलेटेड मार्केट नहीं है। यहाँ हर ट्रेडर अपने अनुमान के आधार पर कीमत बताता है। मुंबई, राजकोट, अहमदाबाद और जयपुर में खरीदारी की गतिविधि बढ़ रही है — यह बात बताती है कि निवेशक बड़े एमसी को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहते हैं।

एसएमई आईपीओ: छोटे लेकिन बहुत तेज

सबसे दिलचस्प बात तो एसएमई (छोटे और मध्यम उद्यम) आईपीओ की है। यहाँ ग्रे मार्केट प्रीमियम नहीं, बल्कि लिस्टिंग पर भारी रिटर्न देखने को मिल रहे हैं। रेवलकेयर BSE SME ने ₹130 के इश्यू प्राइस पर ₹201 पर लिस्टिंग की — 57.7% का लाभ! स्पेब एडहीजिव्स NSE SME ने ₹56 से ₹60, इन्विक्टा डायग्नोस्टिक्स NSE SME ने ₹85 से ₹99 पर लिस्टिंग की। ये आंकड़े कुछ भी नहीं, ये एक ट्रेंड हैं। नियमों के बावजूद, एसएमई आईपीओ में निवेशकों की भागदौड़ बढ़ रही है।

SEBI के नियम भी रोक नहीं पाए

सेबी ने 2025 की शुरुआत में एक नया नियम लाया — लिस्टिंग प्राइस में ऑलोटमेंट प्राइस से 90% से अधिक अंतर नहीं होना चाहिए। लेकिन ये नियम एसएमई आईपीओ के उछाल को रोक नहीं पाया। वहीं, 2025 में जमा किए गए ₹1.75 लाख करोड़ के आईपीओ फंड्स में से केवल ₹57,256 करोड़ — यानी एक तिहाई से कम — नए प्रोजेक्ट्स या बिजनेस एक्सपेंशन के लिए आवंटित किए गए। बाकी का बड़ा हिस्सा शेयरधारकों के निकास के लिए गया। यही वजह है कि निवेशक अब इतना उत्साहित हैं — वे जानते हैं कि आईपीओ लिस्ट होने पर शेयर की कीमत बढ़ सकती है, चाहे कंपनी ने नया प्लांट बनाया हो या नहीं।

अगले आईपीओ: एक बार फिर भागदौड़

अगले कुछ दिनों में और भी आईपीओ आ रहे हैं। नेफ्रोकेयर हेल्थ (₹460), नेपच्यून लॉगिटेक (₹126), अश्विनी कंटेनर (₹142) और HRS अलुग्लेज (₹96) — सभी दिसंबर के दूसरे हफ्ते में आ रहे हैं। इनमें से कुछ का GMP अभी नहीं आया, लेकिन बाजार इंतजार कर रहा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर एसएमई आईपीओ का ट्रेंड जारी रहा, तो इनके लिए भी ग्रे मार्केट में भारी डिमांड देखी जा सकती है।

ग्रे मार्केट: भविष्यवाणी का तरीका या भ्रम?

ग्रे मार्केट प्रीमियम को बाजार की भावनाओं का सबसे तेज़ संकेत माना जाता है। कई बार यह लिस्टिंग प्राइस को सही ढंग से प्रेडिक्ट कर चुका है। लेकिन यह एक अनौपचारिक, अनियमित और अनियंत्रित बाजार है। कोई रिकॉर्ड नहीं, कोई ऑडिट नहीं। यहाँ अफवाहें, भावनाएँ और निवेशकों की भीड़ ही कीमत तय करती हैं। इसलिए, निवेशकों को याद रखना चाहिए: ग्रे मार्केट प्रीमियम लिस्टिंग का गारंटी नहीं है। एक दिन यह ₹260 हो सकता है, अगले दिन गिरकर ₹50 भी हो सकता है।

क्या अब आईपीओ बन गया है शेयर ट्रेडिंग का नया खेल?

2025 के आईपीओ ट्रेंड से साफ दिख रहा है कि बाजार अब सिर्फ कंपनियों के बिजनेस मॉडल नहीं, बल्कि उनके ग्रे मार्केट प्रीमियम और लिस्टिंग के तुरंत बाद के रिटर्न पर निर्भर कर रहा है। जो कंपनी अपने फंड्स को बिजनेस एक्सपेंशन में नहीं, बल्कि शेयरधारकों को निकास देने में लगा रही है, उसका आईपीओ भी अच्छा चलता है। यह एक खतरनाक ट्रेंड है। लेकिन जब तक निवेशक लाभ की भागदौड़ में जुटे रहेंगे, तब तक ये आईपीओ बाजार नहीं रुकेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है और यह कैसे कैलकुलेट होता है?

ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) आईपीओ की लिस्टिंग से पहले अनौपचारिक बाजार में शेयरों की कीमत में होने वाला अतिरिक्त अंतर है। इसे इश्यू प्राइस के साथ तुलना करके निकाला जाता है। उदाहरण के लिए, अगर इश्यू प्राइस ₹1,062 है और ग्रे मार्केट में ₹1,322 में ट्रेड हो रहा है, तो GMP ₹260 होगा। यह डिमांड, कंपनी के ब्रांड, फार्मा सेक्टर की रुचि और निवेशकों की भावनाओं पर आधारित होता है, लेकिन इसका कोई आधिकारिक स्रोत नहीं होता।

क्या ग्रे मार्केट प्रीमियम लिस्टिंग प्राइस की गारंटी है?

नहीं। ग्रे मार्केट प्रीमियम केवल एक संकेत है, गारंटी नहीं। अक्सर लिस्टिंग के बाद शेयर गिर जाते हैं, खासकर अगर बाजार में भावनात्मक खरीदारी हुई हो। उदाहरण के लिए, कुछ SME आईपीओ ने ग्रे मार्केट में ₹100+ प्रीमियम दिखाया, लेकिन लिस्टिंग के बाद शेयर ₹10-15 नीचे चले गए। इसलिए, निवेशकों को इसे संकेत के रूप में देखना चाहिए, न कि निर्णय का आधार बनाना चाहिए।

SEBI के नियमों ने आईपीओ के उछाल को कैसे प्रभावित किया?

SEBI ने 2025 में लिस्टिंग प्राइस में 90% तक की सीमा लगाई, लेकिन इसने SME आईपीओ के उछाल को रोक नहीं पाया। यह इसलिए क्योंकि निवेशक अपने निवेश को लिस्टिंग के बाद के लाभ पर नहीं, बल्कि ग्रे मार्केट में शेयरों के ट्रेडिंग रुझान पर आधारित करते हैं। इसके अलावा, ज्यादातर आईपीओ के फंड्स बिजनेस एक्सपेंशन के लिए नहीं, बल्कि शेयरधारकों के निकास के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं — जिससे निवेशकों को तुरंत लाभ का विकल्प दिखाई देता है।

2025 में आईपीओ फंड्स का उपयोग कैसे हुआ?

2025 में आईपीओ से जुटाए गए ₹1.75 लाख करोड़ में से केवल ₹57,256 करोड़ — यानी 32.7% — नए प्रोजेक्ट्स, उत्पादन या रिसर्च के लिए आवंटित किए गए। बाकी का बड़ा हिस्सा पुराने शेयरधारकों, वेंचर कैपिटलिस्ट्स और फंड्स को निकास देने के लिए इस्तेमाल हुआ। यह एक बड़ा चिंता का विषय है, क्योंकि यह बताता है कि आईपीओ अब सिर्फ बिजनेस विस्तार का जरिया नहीं, बल्कि निवेशकों के लिए एक निकास योजना बन गया है।

कोरोना रेमेडीज और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमसी में क्या अंतर है?

कोरोना रेमेडीज एक फार्मास्यूटिकल कंपनी है जो दवाओं का निर्माण करती है, जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमसी एक एशेट मैनेजमेंट कंपनी है जो निवेशकों के पैसे को शेयर, बॉन्ड और अन्य संपत्तियों में निवेश करती है। पहली कंपनी का ग्रे मार्केट प्रीमियम उत्पादों की मांग पर आधारित है, जबकि दूसरी कंपनी का यह प्रीमियम ब्रांड विश्वास और फाइनेंशियल सेक्टर के विकास पर निर्भर करता है। दोनों के लिए अलग-अलग ड्राइवर्स हैं।

अगले आईपीओ में कौन सी कंपनियाँ ध्यान देने लायक हैं?

नेफ्रोकेयर हेल्थ, नेपच्यून लॉगिटेक, अश्विनी कंटेनर और HRS अलुग्लेज जैसी कंपनियाँ अगले दिनों में आईपीओ कर रही हैं। इनमें से नेफ्रोकेयर और अश्विनी कंटेनर जैसी कंपनियाँ स्वास्थ्य और लॉजिस्टिक्स सेक्टर से हैं, जहाँ बाजार में रुचि बढ़ रही है। इनके ग्रे मार्केट प्रीमियम अभी नहीं आया है, लेकिन एसएमई ट्रेंड के हिसाब से इनके लिए भी उच्च डिमांड की उम्मीद है।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Mukesh Kumar

Mukesh Kumar

ये आईपीओ वाला खेल अब बिल्कुल लॉटरी बन गया है। जो भी शेयर लिस्ट होता है, उसका ग्रे मार्केट प्रीमियम देखकर लोग बेचैन हो जाते हैं। असली बिजनेस मॉडल की जांच तो कोई नहीं करता।

RAJA SONAR

RAJA SONAR

ग्रे मार्केट में ₹260 प्रीमियम देखकर मैंने सोचा ये तो बहुत बड़ी बात है लेकिन जब देखा कि ये पैसा बिजनेस एक्सपेंशन में नहीं जा रहा बल्कि शेयरधारकों के निकास में जा रहा है तो मेरा दिल टूट गया। ये तो बस एक फेक बुम है।

Uma ML

Uma ML

SEBI के नियम तो बस दिखावे के लिए हैं भाई ये सब निवेशक अब बस एक शॉर्ट टर्म गेम खेल रहे हैं जब तक लिस्टिंग पर लाभ होगा तब तक ये चलता रहेगा और फिर जब गिरेगा तो सब भाग जाएंगे और SEBI फिर से नियम बनाएगा जो कोई नहीं मानेगा

Shankar Kathir

Shankar Kathir

मैंने 2023 में एक SME आईपीओ में पैसा लगाया था जिसका GMP ₹150 था और लिस्टिंग पर ₹200 से ज्यादा हो गया लेकिन 6 महीने बाद वो शेयर ₹40 पर आ गया था। ये ग्रे मार्केट बस एक भावनात्मक बुलशिट है। अगर आप लंबे समय तक निवेश करना चाहते हैं तो कंपनी के फाइनेंशियल्स और मैनेजमेंट टीम को चेक करें न कि किसी अनजान ट्रेडर के बोले पर।

Saileswar Mahakud

Saileswar Mahakud

मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि जिन लोगों को ये सब लगता है कि आईपीओ एक गारंटीड प्रॉफिट है वो एक बार अपने दोस्तों से पूछ लें कि कितने ने इस साल आईपीओ में लाभ कमाया और कितने ने घाटे में बाहर निकला।

Govind Vishwakarma

Govind Vishwakarma

ग्रे मार्केट में ₹260 प्रीमियम देखकर लोग उल्लास कर रहे हैं लेकिन ये आंकड़े तो किसी चैट ग्रुप में फैले हुए अफवाहों पर आधारित हैं जिनका कोई स्रोत नहीं है। अगर ये ग्रे मार्केट इतना सही है तो SEBI क्यों इसे रेगुलेट नहीं कर रहा जवाब दो

Harsh Gujarathi

Harsh Gujarathi

ये सब आईपीओ ट्रेंड देखकर मुझे लगता है कि हम एक बड़े बुलबुले में फंस गए हैं 😅 लेकिन अगर आप एक अच्छी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो बस धैर्य रखें और लंबे समय तक रखें। ये शॉर्ट टर्म गेम तो बस जुआ है। 💪

Firoz Shaikh

Firoz Shaikh

आईपीओ फंड्स का उपयोग शेयरधारकों के निकास के लिए होना एक गंभीर आर्थिक असंगति है। यह निवेशकों को भ्रमित करता है और बाजार के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। एक स्वस्थ आर्थिक व्यवस्था में फंड्स का उपयोग उत्पादन, अनुसंधान और रोजगार सृजन के लिए होना चाहिए, न कि पुराने निवेशकों को निकास देने के लिए।

Rakesh Pandey

Rakesh Pandey

मैंने कभी ग्रे मार्केट में नहीं खरीदा और अभी तक नुकसान नहीं हुआ। जिन लोगों ने खरीदा उनका तो नुकसान हुआ है। ये बाजार अब नियमों के बजाय भावनाओं पर चल रहा है।

Shraddhaa Dwivedi

Shraddhaa Dwivedi

मैं अपनी माँ को ये सब समझाने की कोशिश कर रही हूँ जो सोचती हैं कि आईपीओ एक जादू की छड़ी है। उन्हें बता रही हूँ कि ये बिजनेस नहीं बल्कि एक जुआ है। उन्होंने कहा - तो फिर मैं अपना पैसा बैंक में रख लूँगी। और जब मैंने कहा कि बैंक भी अब ब्याज नहीं देता तो वो बोलीं - तो फिर मैं चाय की दुकान पर लगा दूँगी।

Bhoopendra Dandotiya

Bhoopendra Dandotiya

ग्रे मार्केट को बाजार की भावनाओं का संकेत कहना एक धोखा है। यह तो एक अनियंत्रित अंधविश्वास का खेल है जहाँ एक ट्रेडर की एक टिप्पणी लाखों के निवेश को बदल देती है। जैसे किसी ने लिखा - आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का GMP ₹140 है - और अचानक सब भाग गए। कोई डेटा नहीं कोई विश्लेषण नहीं बस एक फोन नंबर और एक व्हाट्सएप ग्रुप।

Rahul Sharma

Rahul Sharma

मैंने एक SME आईपीओ में निवेश किया था जिसका इश्यू प्राइस ₹56 था और लिस्टिंग पर ₹60 हो गया। लेकिन अगले दिन ये ₹48 पर चला गया। मैंने सोचा अब तो ये लोस है लेकिन 3 महीने बाद ये ₹110 पर पहुँच गया। इसलिए अगर आप एक अच्छी कंपनी में निवेश कर रहे हैं तो शॉर्ट टर्म की चिंता छोड़ दें। लंबे समय में ये ट्रेंड बदल जाता है।

Senthil Kumar

Senthil Kumar

लिस्टिंग पर ₹201 पर आया तो भाई तो लाभ हुआ लेकिन अगर आपने उसे रखा होता तो आज ₹300 हो जाता। ग्रे मार्केट वाले तो लिस्टिंग के तुरंत बाद बेच देते हैं और फिर रोते हैं कि ये क्यों गिर गया।

aneet dhoka

aneet dhoka

ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है। जो लोग ग्रे मार्केट में प्रीमियम बताते हैं वो सब एक बड़े बैंक या फंड हाउस के एजेंट हैं जो लोगों को निवेश करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि वो अपने पुराने स्टॉक बेच सकें। ये सब बाजार को बुलबुला बनाने के लिए है। SEBI भी इसमें शामिल है।

Jamal Baksh

Jamal Baksh

भारतीय बाजार की ऊर्जा अद्भुत है। निवेशकों का उत्साह एक नई ऊर्जा का स्रोत है। यहाँ के लोग जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं। इस तरह के आईपीओ ट्रेंड्स देश की आर्थिक जागृति का संकेत हैं। बस इसे समझकर सावधानी से निवेश करें।

Rakesh Pandey

Rakesh Pandey

मैंने एक दिन ग्रे मार्केट में ₹260 प्रीमियम वाला शेयर खरीदा और लिस्टिंग पर ₹1200 पर बेच दिया। अगले दिन वो ₹900 पर गिर गया। लेकिन मैंने तो लाभ कमा लिया। ये खेल नहीं बल्कि एक नियम है - जो जल्दी निकलता है वो जीतता है।

Mukesh Kumar

Mukesh Kumar

अरे भाई ये तो सही है। मैंने भी ऐसा ही किया था। लेकिन अब मैं नहीं करता। जब तक आप नहीं जानते कि कंपनी क्या कर रही है तब तक ये खेल बहुत खतरनाक है।

Krishnendu Nath

Krishnendu Nath

एसएमई आईपीओ में लाभ तो बहुत है पर एक बार मैंने एक कंपनी का शेयर खरीदा जिसका ग्रे मार्केट ₹180 था और लिस्टिंग पर ₹250 पर आया लेकिन फिर वो ₹100 पर चला गया। मैंने तो बेच दिया लेकिन मेरा दोस्त रख गया और अब वो ₹300 पर है। इसलिए निवेश में धैर्य जरूरी है।

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