कुवैत में भयानक आग: केरल के 26 लोगों की मौत, सात गंभीर रूप से घायल
कुवैत में हाल ही में एक छह मंजिला आवासीय इमारत में लगी भीषण आग ने 49 मजदूरों की जान ले ली। इस त्रासदी में मारे गए लोगों में से 26 केरल से थे। मृतकों की पहचान और उनके परिवारों को सूचित किये जाने का काम तेजी से चल रहा है। इनमें से 15 मृतकों की पहचान हो चुकी है, जिनमें एर्नाकुलम के डेनी राफेल, कोल्लम के वाय्यंकरा के शमीर और पंडलम, पथानामथित्ता के आकाश शामिल हैं।
एर्नाकुलम के डेनी राफेल और कोल्लम के लुकोस और साजन जॉर्ज भी इसी त्रासदी के शिकार हुए हैं। साजन जॉर्ज, जो एक प्रशिक्षु मेकेनिकल इंजीनियर थे, महज 17 दिन पहले ही कुवैत गए थे। वहीं, लुकोस पिछले 18 साल से कुवैत में काम कर रहे थे। शोक की इस घड़ी में इन परिवारों को धैर्य बंधाना बेहद कठिन हो रहा है। अश्रुपूरित आंखों के बावजूद, ये परिवार अब अपने प्रियजनों के पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए कुवैत की अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं।
पीड़ित परिवारों के लिए सहायता
इस दुर्घटना में घायल होने वाले सात केरलवासियों का इलाज कुवैत के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। इन गंभीर रूप से घायल लोगों की स्थिति को देखते हुए केरल की राज्य सरकार ने त्वरित कदम उठाए हैं। केरल की सरकार ने घोषणा की है कि इस ह्रदय-विदारक घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा जबकि घायलों के परिवारों को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
केरल के प्रसिद्ध व्यवसायी, यूसुफ अली और रवि पिल्लई ने भी पीड़ितों के परिवारों की सहायता के लिए आर्थिक मदद की घोषणा की है। यूसुफ अली ने बताया कि पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद की जाएगी ताकि वे इस कठिन समय से गुजर सकें।
तलाशी और राहत प्रयास
कुवैत में इस आगजनी की घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चलाया गया। दमकल कर्मियों ने बड़ी मेहनत से आग पर काबू पाया और प्रभावित लोगों को बचाने का प्रयास किया। एजेंसियों का कहना है कि आग लगने की वजह की जांच जारी है। आवासीय इमारत में रहने वाले मजदूरों के परिवारों ने भी अपने परिजनों की मदद के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
कुलमिलाकर, यह त्रासदी ने अनगिनत परिवारों को असहनीय पीड़ा दी है। इस घटना ने न केवल केरल बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ऐसे कठिन समय में, सरकार और समाज के सभी लोगों को मिलकर इन पीड़ितों और उनके परिवारों की मदद करने का संकल्प लेना चाहिए। केरल के ये लोग जो अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए विदेश गये थे, वे अब वापस नहीं लौटेंगे।
कम से कम उनकी यादें और उनके परिवारों के लिए सहायता के प्रयास उनके योगदान को सम्मानित कर सकते हैं। आखिरकार, इंसानियत की यही तो पहचान है कि हम एक दूसरे के दुख में साथ खड़े होते हैं और मदद का हाथ बढ़ाते हैं। अब यह समय है जब हम इन परिवारों के साथ खड़े हों और उन्हें यह यकीन दिलाएं कि वे अकेले नहीं हैं।
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