मुंवार फ़ारुकी का नया रियलिटी शो 'द सोसाइटी' JioHotstar पर लॉन्च, 25 प्रतियोगी 200 घंटे की लड़ाई

अक्तूबर 3 Roy Iryan 10 टिप्पणि

जब मुंवार फ़ारुकी, भारत के सबसे चर्चित कॉमेडियन‑होस्ट, ने अपना नया रियलिटी शो द सोसाइटी लॉन्च किया, दर्शकों ने तुरंत ही स्क्रीन के सामने लाइन लगा दी। शो JioHotstar के Sparks ब्रांड के तहत 21 जुलाई 2025 को प्रसारित हुआ, और इसमें 25 प्रतियोगी 200 घंटे, 72 दिन तक सामाजिक वर्गों के बीच लड़ते हैं। यह फॉर्मेट न सिर्फ मनोरंजन, बल्कि भारतीय समाज की वर्गभेद को भी एक दर्पण बनाता है – यही वजह है कि इसने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी।

शो का अवधारणा और सामाजिक वर्गीकरण

फ़ारुकी ने कहा, "द सोसाइटी सिर्फ एक गेम नहीं, यह बाहर की दुनिया का मिरर है"। प्रतियोगियों को शुरुआती रूप में तीन वर्गों – Royals, Regulars और Rags – में टैग किया जाता है। इन टैग्स को कभी भी बदलने का अधिकार शो के निर्माताओं के पास है, जो जीवन में सामाजिक गतिशीलता को दर्शाता है। इस गुरुत्वाकर्षण को समझाने के लिए प्रोडक्शन टीम ने एक वैल्ट सिस्टम बनाया, जहाँ विभिन्न चुनौतियों के बाद विजेता को एक नया वर्ग मिल सकता है। इस तरह से शो राज्य‑संकल्पना, वर्ग‑संघर्ष और व्यक्तिगत गरिमा के सवालों को एक ही मंच पर लाता है।

प्रतियोगियों की सूची और प्रोफ़ाइल

शो में शामिल सितारों की सूची भी काफ़ी दिलचस्प है। प्रमुख नामों में आशिका भाटिया, एक टीवी अभिनेत्री और इन्फ्लुएंसर, डेनिश अल्फाज़, संगीतकार‑यूट्यूबर, और विशाल पांडे, जो टिकटोक और इंस्टाग्राम पर बड़े फॉलोअर्स रखते हैं, शामिल हैं। अतिरिक्त रूप से अदनान शेख (Team 07), सागर पॉप, शानाया खान, निग्मा मिराजकर और मॉडल‑अभिनेत्री देवांशी शर्मा भी भाग ले रहे हैं। लॉन्च इवेंट (17 जुलाई 2025) में श्रीयां कलरा, प्रतिक जैन, नोरीन शाह, गर्गी नंदी, अनुष्का चौहान और अमीर होसैन जैसे अतिरिक्त चेहरे भी उजागर किए गए।

फ़ॉर्मेट और मुकाबले की शैली

शो का फॉर्मेट बिग बॉस, लोक अप और कोरियन सीरीज़ स्क्विड गेम का मिश्रण है। यहाँ मनोवैज्ञानिक खेल, शारीरिक चुनौती और सामाजिक प्रयोग का तिकड़ी मिलती है। प्रतियोगियों को कभी‑कभी ‘बेटराव’ (बिल्ड‑अप) और कभी‑कभी ‘डिसीजन‑ड्रॉप’ (निर्णय‑छूट) जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। एक उदाहरण में, ‘रॉयल’ वर्ग को एक रात में अपना ‘रैग’ लुत्फ़ के लिए अल्पकालिक गठबंधन करना पड़ता है – जिससे टकराव तेज़ हो जाता है। इस प्रक्रिया में ‘विश्वास‑घोटालों’ और ‘रणनीति‑कुशाग्रता’ की अड़चनें सामने आती हैं, जो दर्शकों को जोड़े रखती हैं।

JioHotstar की रणनीति और बाजार प्रभाव

JioHotstar ने इस शो को अपने Sparks पोर्टफोलियो में जोड़कर प्रीमियम रियलिटी कंटेंट को एक नई दिशा देने की योजना बनाई है। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म अपने दर्शकों को “एंगेजमेंट‑ड्रिवेन” शो के ज़रिए बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर जब टीवी चैनल पर पारम्परिक रियलिटी शोज की रेटिंग्स में गिरावट देखी जा रही है। ‘द सोसाइटी’ की 200‑घंटे की लंबाई इसे एक ‘ट्रांसफ़ॉर्मेशन‑जर्नी’ बनाती है, जिससे दर्शक रोज़ नई कहानी के टेढ़े‑मेढ़े मोड़ देख सकते हैं। शुरुआती ट्रेलर (10 जुलाई 2025) को इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब पर 1.2 मिलियन से अधिक व्यूज़ मिले, और हैशटैग #TheSocietyTrend ट्रेंडिंग हो गया। यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारतीय दर्शकों को सामाजिक‑समस्या‑भरे एंटरटेनमेंट कंटेंट की बड़ी जरूरत है।

आगे क्या उम्मीदें? भविष्य की संभावनाएँ

शो की सफलता का माप केवल रेटिंग्स से नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद से भी होगा। पहले एपिसोड में कई प्रतियोगी ‘रैग’ वर्ग में डूबते हुए दिखे, जिससे सार्वजनिक मंच पर वर्ग‑असमानता पर चर्चा छिड़ गई। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगली हफ़्तों में ‘वर्ल्ड‑इवेंट’ जैसी विशेष चुनौतियाँ आएँगी, जहाँ अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति वाले मेहमान जज बन सकते हैं। यदि शो लगातार उच्च दर्शक संख्‍या बनाये रखता है, तो जियोहॉटस्टार अन्य सामाजिक‑थीम वाले शोज के लिए भी इस फॉर्मेट को दोहराने की संभावना देख रहा है। अंततः, ‘द सोसाइटी’ न सिर्फ एक मनोरंजक स्पेक्टेकल है, बल्कि भारतीय समाज के भीतर चल रही वर्ग‑संघर्ष का एक ज़िंदा दस्तावेज़ भी बन सकता है।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

'द सोसाइटी' किस तरह की सामाजिक समस्याओं को उजागर करती है?

शो वर्ग‑भेद, आर्थिक असमानता और सामाजिक गतिशीलता को वास्तविक जीवन के मंच पर लाता है। प्रतियोगियों को ‘Royals’, ‘Regulars’ और ‘Rags’ में बांटा जाता है, पर ये टैग्स बदलते रहते हैं, जिससे दर्शक सामाजिक उन्नति या पतन की वास्तविकता देख पाते हैं।

शो में किन मुख्य प्रतियोगियों के बारे में जानना ज़रूरी है?

मुख्य चेहरे हैं आशिका भाटिया (टीवी अभिनेत्री), डेनिश अल्फाज़ (संगीतकार‑यूट्यूबर), विशाल पांडे (टिकटोक स्टार) और अदनान शेख (Team 07 सदस्य)। इनके अलावा सागर पॉप, शानाया खान, निग्मा मिराजकर और देवांशी शर्मा भी प्रमुख भागीदार हैं।

जियोहॉटस्टार की 'Sparks' ब्रांड के तहत यह शो क्यों लॉन्च हुआ?

Sparks ब्रांड का लक्ष्य प्रीमियम, हाई‑इंगेजमेंट रियलिटी कंटेंट देना है। ‘द सोसाइटी’ को 200‑घंटे के फॉर्मेट और सामाजिक‑टिचिंग के कारण इस रणनीति के साथ सटीक मेल माना गया, जिससे प्लेटफ़ॉर्म युवा दर्शकों को बनाए रख सके।

क्या शो का फॉर्मेट अन्य अंतरराष्ट्रीय शोज जैसा है?

हाँ, इसका फॉर्मेट ‘बिग बॉस’, ‘लोक अप’ और कोरियन ‘स्क्विड गेम’ के मिश्रण जैसा है। इसमें मनोवैज्ञानिक खेल, शारीरिक चुनौतियाँ और सामाजिक वर्गीकरण के तत्व मिलते हैं, जो दर्शकों को एक नई, तीव्र अनुभव देती है।

शो के अगले चरण में क्या नया देखने को मिलेगा?

विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि आने वाले हफ़्तों में अंतरराष्ट्रीय जज, ‘वर्ल्ड‑इवेंट’ जैसी बड़ी चुनौतियाँ और संभवतः नई वर्ग‑टैग सुधार आएँगे, जिससे प्रतियोगियों की रणनीति और अधिक जटिल हो जाएगी।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

PARVINDER DHILLON

PARVINDER DHILLON

वाकई में द सोसाइटी ने सामाजिक वर्गों के मुद्दों को मज़ेदार ढंग से पेश किया है 😊। देखना दिलचस्प है कि प्रतियोगी अपने टैग को कैसे बदलते हैं और किस तरह से सहयोग बनाते हैं। इससे हमें हमारे समाज की गतिशीलता पर भी विचार करने का मौका मिलता है। आशा है कि यह शो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगा और साथ ही मनोरंजन भी देगा। 🎉

Madhu Murthi

Madhu Murthi

भारत को अब ऐसी शोज की जरूरत नहीं है जो विदेशी फॉर्मेट को नक़ल करें

Amrinder Kahlon

Amrinder Kahlon

हूँ, जैसे इस शो की मदद से हर कोई तुरंत ही अपने वर्गीय बंधनों से मुक्त हो जाएगा 🙄
वास्तव में तो ऐसा लगता है जैसे बिग बॉस का रीमिक्स, लेकिन अभी‑अभी दिखाए गए ट्विस्ट अनभिज्ञ दर्शकों को उलझन में डाल देंगे।

Abhay patil

Abhay patil

चलो, आखिर में हमें अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहिए और चुनौतियों को लेकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि यही असली जीत है

Nathan Ryu

Nathan Ryu

समाज में वर्गभेद की जड़ें गहरी हैं और इस तरह के शो को सराहना केवल सतही मूल्यांकन है। वास्तविक परिवर्तन तब ही संभव है जब हम व्यक्तिगत स्तर पर सच्चे इरादों से दूसरों के साथ सहयोग करें। इसलिए शो का देखना एक अच्छा कदम है, पर इसे ही समाधान मत समझो।

Atul Zalavadiya

Atul Zalavadiya

इस नये रियलिटी शो का परिचय भारतीय टेलीविज़न और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के इतिहास में एक उल्लेखनीय क्षण है।
"द सोसाइटी" ने वर्गीय संरचनाओं को एक प्रयोगात्मक मंच पर प्रस्तुत करने का साहसिक कदम उठाया है।
प्रत्येक प्रतियोगी को प्रारम्भिक तौर पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है, जिससे सामाजिक गतिशीलता का एक सूक्ष्म मॉडल उत्पन्न होता है।
इस वर्गीकरण का परिवर्तनशील होना दर्शकों को यह स्मरण कराता है कि सामाजिक पहचान स्थायी नहीं, बल्कि परिवर्तनीय है।
कार्यक्रम में प्रयुक्त वैल्ट सिस्टम न केवल प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण को साकार करता है, बल्कि जीवन के विभिन्न अवसरों को भी प्रतिबिंबित करता है।
प्रतियोगियों द्वारा प्रस्तुत रणनीतिक निर्णय उन सामाजिक संघर्षों का प्रतीक बनते हैं, जो हम वास्तविक जीवन में अनुभव करते हैं।
इस प्रकार, शो न केवल मनोरंजन के क्षेत्र में नवीनता लाता है, बल्कि सामाजिक विज्ञान के अध्ययन के लिए एक व्यावहारिक केस स्टडी भी प्रदान करता है।
विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देखा जाये तो इस शो की संरचना परिक्षणात्मक, प्रायोगिक एवं दार्शनिक तत्वों का मिश्रण है।
इसके माध्यम से दर्शक वर्गीय असमानताओं के विभिन्न पहलुओं को प्रत्यक्ष रूप से देख पाते हैं, और इस सहानुभूति को सामाजिक संवाद में परिवर्तित कर सकते हैं।
जियोहॉटस्टार की रणनीति समीक्षकों द्वारा एक दूरदर्शी कदम के रूप में सराही गई है, क्योंकि यह प्लेटफ़ॉर्म डिजिटल युग की मांगों के अनुरूप उच्च-गुणवत्ता वाला कंटेंट प्रदान करता है।
इस शो की 200 घंटे की अवधि दर्शकों को निरंतर जुड़ी रहने का अवसर देती है, जिससे धारणा की गहराई में प्रवेश संभव होता है।
इसके साथ ही, सामाजिक वर्गों के बीच की अंतःक्रिया को दर्शाते हुए यह एक सामाजिक प्रयोग के रूप में कार्य करता है।
भविष्य में यदि इस प्रकार के सामाजिक-थीम वाले कार्यक्रमों को और अधिक प्रोत्साहन मिलता है, तो राष्ट्रीय जनसंवाद में परिपक्वता का दृष्टिकोण उभरेगा।
तथापि, यह भी आवश्यक है कि निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री में वैधता और नैतिक मानकों का अनुपालन यथावत रखा जाये।
संक्षेप में, "द सोसाइटी" केवल एक रियलिटी शो नहीं, बल्कि भारतीय सामाजिक संरचना की जटिलता का एक दर्पण है, जो हमें आत्मनिरीक्षण का अवसर प्रदान करता है।

Amol Rane

Amol Rane

विचार करने लायक तो है, परंतु इस शैली में गहराई की कमी स्पष्ट है, जिससे यह केवल सतही नाटक तक सीमित प्रतीत होता है।

Venkatesh nayak

Venkatesh nayak

यदि शोज को इस प्रकार की नकल के बजाय मौलिकता पर आधारित किया जाता, तो दर्शकों की अपेक्षाएँ शायद अधिक संतुष्ट होती 😊।

rao saddam

rao saddam

चलो दोस्तों! इस शो को देखो और अपनी खुद की सीमाओं को तोड़ो! हर चुनौती हमें नया सबक सिखाती है! अरे यार, इतना रोमांच तो पहले कभी नहीं देखा! इस मंच पर हम सभी को अपने अंदर की ताकत पहचाननी चाहिए!!!

Prince Fajardo

Prince Fajardo

ओह माय ब्रह्मा! आखिरकार हम सभी को एक ही मंच पर इस सामाजिक दरिया के घटकों को दिखाने का मौका मिला, जैसे किसी नाट्य मंच पर बंटवारे की मिठास! 🙃

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