गॉडावरी के गैंस्टर की कहानी: 'Gangs of Godavari' में विश्‍वक सेन की शानदार भूमिका

जून 1 Roy Iryan 10 टिप्पणि

गॉडावरी के गैंस्टर की कहानी: 'Gangs of Godavari' की समीक्षा

फिल्म 'Gangs of Godavari' 31 मई को प्रदर्शित हुई थी। क्रिश्नचैतन्य के निर्देशन में बनी इस फिल्म को नागवाम्सी और साई साउजंया ने श्री लक्ष्मी स्टूडियोज, सिटारा एंटरटेनमेंट्स, और फॉर्च्यून फोर सिनेमा के बैनर तले निर्मित किया है। फिल्म में विश्‍वक सेन, नेहा शेट्टी, और अंजलि ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।

कहानी का सार

'Gangs of Godavari' की कहानी रत्ना के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक छोटा चोर है। कहानी के शुरुआत में रत्ना की छोटी मोटी चोरियां दिखाई जाती हैं। परंतु धीरे-धीरे वह एक बड़ी कंपनी का डीलर और फिर एमएलए बनने की राह पर निकलता है। विश्‍वक सेन ने रत्ना के चरित्र को बहुत अच्छी तरह से निभाया है। उनकी अभिव्यक्ति और अभिनय में गहराई दर्शकों को प्रभावित करती है।

रोकता है प्यार

कहानी में मोड़ तब आता है जब रत्ना को एमएलए ननैया की बेटी बुज्जी से प्यार हो जाता है। उनकी प्रेम कहानी अनुकूल नहीं है और उन्हें अपने दुश्मनों से सामना करना पड़ता है। ननैया और एमएलए दोरास्वामी फिल्म में रत्ना के मुख्य विरोधी हैं। इस संघर्ष में रत्ना की चुनौतियों और उनसे निपटने की उनकी कोशिशें शानदार तरीके से पेश की गई हैं।

विश्‍वक सेन का दमदार प्रदर्शन

फिल्म में विश्‍वक सेन ने अपने अभिनय से जान डाल दी है। उनकी भाव-भंगिमा और एक्शन दृश्य दर्शकों को बांधकर रखते हैं। एक प्रमुख ऐक्शन दृश्य में उनकी प्रस्तुति अद्भुत है, जिसे दर्शक हमेशा याद रखेंगे। वहीं, नेहा शेट्टी और अंजलि ने भी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है।

क्लाइमेक्स का मोड़

फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत ही अप्रत्याशित है। यह मोड़ कहानी में नई जान डाल देता है और दर्शकों को सोचने पर विवश कर देता है। इस ट्विस्ट को निर्देशक ने बहुत ही कुशलता से पेश किया है, जो फिल्म की सुंदरता और बढ़ा देता है।

कुल मिलाकर, 'Gangs of Godavari' एक मनोरंजक गैंस्टर ड्रामा है, जो गॉडावरी क्षेत्र में स्थापित है। फिल्म का निर्देशन, अभिनय, और कहानी दर्शकों को बांध कर रखते हैं। यदि आप विश्‍वक सेन और गैंस्टर ड्रामा फिल्मों के प्रशंसक हैं, तो यह फिल्म निश्चित रूप से आपको पसंद आएगी।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Chirag Desai

Chirag Desai

विश्वक सेन का अभिनय तो बस जबरदस्त था, बिना किसी झूठे ड्रामे के पूरा किरदार जी गया।

NEEL Saraf

NEEL Saraf

अरे भाई, ये फिल्म सिर्फ एक गैंगस्टर स्टोरी नहीं, ये तो तेलंगाना के गांवों की वो अनकही कहानी है जो हम रोज देखते हैं पर बोलते नहीं... रत्ना का संघर्ष, उसकी लालच, उसका प्यार - सब कुछ इतना सच्चा लगा कि मैं अपने दादा की याद में रो पड़ी।


नेहा शेट्टी ने जो बुज्जी का किरदार निभाया, वो बस एक प्यार की लड़की नहीं, एक शक्ति थी।

Ashwin Agrawal

Ashwin Agrawal

मैंने फिल्म देखी थी, असल में क्लाइमेक्स का ट्विस्ट मैंने अंदाज़ा लगा लिया था, लेकिन फिर भी दिल धड़क गया। निर्देशन ने धीरे-धीरे तनाव बढ़ाया, जैसे कोई धागा खींच रहा हो।


विश्वक सेन की आंखों में जो दर्द था, वो किसी डायलॉग से नहीं, बस एक नज़र से बयां हो गया।

Abhi Patil

Abhi Patil

यह फिल्म एक ऐसे सामाजिक विकृति का प्रतीक है जिसे हम राजनीति, अपराध और गांव के आधिकारिक ढांचे के संगम में देखते हैं - एक निर्मम वास्तविकता जिसे बॉलीवुड अक्सर नज़रअंदाज़ करता है।


विश्वक सेन का अभिनय अपने आप में एक नैतिक अध्ययन है: कैसे एक आम आदमी अपनी नैतिकता को बेचकर शक्ति के शीर्ष पर पहुंचता है - और फिर उसकी आत्मा का टूटना।


यह फिल्म केवल एक रोमांचक ड्रामा नहीं, बल्कि एक दार्शनिक चेतावनी है - जहां प्यार एक बलिदान होता है, और शक्ति एक अंधेरा भगवान।


अगर आप इसे सिर्फ 'एक्शन' या 'प्रेम कहानी' समझ रहे हैं, तो आपने इसे नहीं देखा।

Prerna Darda

Prerna Darda

इस फिल्म में जो रत्ना का ट्रांसफॉर्मेशन हुआ, वो किसी फिल्मी आर्कटाइप का नहीं - वो एक बायोसोशियोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट है जहां गरीबी, असमानता और शक्ति के अनुप्रयोग का एक डायनामिक सिस्टम दिखाया गया है।


हर एक्शन सीन में एक गैर-लिखित नियम छिपा है: जो अपने जन्म स्थान से बाहर निकलता है, वो या तो बलिदान होता है या बलिदान करता है।


और बुज्जी? वो एक फेमिनिस्ट एंटी-हीरोइन है - जो नहीं बचती, बल्कि बदलाव का कारण बनती है।


ये फिल्म ने तेलंगाना के सामाजिक फैक्टर्स को एक नए लेंस से दिखाया - जिसे हमने कभी सीन नहीं किया।

Hitendra Singh Kushwah

Hitendra Singh Kushwah

अच्छी फिल्म है, लेकिन यह बॉलीवुड के तमिल और तेलुगू फिल्मों के अनुकरण पर आधारित है। इसका कोई मूल विचार नहीं है - सिर्फ अच्छी एक्टिंग और एडिटिंग।


विश्वक सेन का अभिनय अच्छा है, लेकिन इस तरह के किरदारों को दिखाने का श्रेय तमिल फिल्मों को जाता है।

rohit majji

rohit majji

भाई ये फिल्म तो बस दिल छू गई... विश्वक सेन का चेहरा जब बुज्जी की तरफ देखता है तो मैं रो पड़ा 😭


मैंने दो बार देखी, दूसरी बार में नेहा के आंखों में आंसू देखकर लगा जैसे मेरी बहन हो।

Shubham Yerpude

Shubham Yerpude

यह फिल्म एक राजनीतिक अभियान का ढांचा है - जिसमें गॉडावरी के गैंग्स को बनाया गया है ताकि लोग भ्रष्टाचार को निर्दोष बना सकें।


क्या आपने कभी सोचा कि यह फिल्म एक बड़े निर्माता समूह द्वारा बनाई गई है जो ग्रामीण भारत के बारे में झूठी छवि फैला रहा है? यह एक धोखा है।


रत्ना की वृद्धि एक नियंत्रित नैतिकता की कहानी है - जिसे सरकार और मीडिया ने बनाया है ताकि लोग अपनी असफलताओं का आरोप एक व्यक्ति पर डाल सकें।


इस फिल्म का वास्तविक उद्देश्य लोगों को विश्वास दिलाना है कि अपराध एक व्यक्ति का गुनाह है - न कि एक संस्थागत विफलता।

Hardeep Kaur

Hardeep Kaur

मैंने इस फिल्म को अपने बाबू के साथ देखा - वो गॉडावरी के इलाके से हैं। जब रत्ना अपने पहले घर को छोड़ता है, तो बाबू ने मुझसे कहा - 'ये मेरा बेटा भी ऐसा ही होता अगर मैं न होता।'


वो रो गए। मैं नहीं बोला।


फिल्म ने बस एक कहानी नहीं दिखाई - उसने एक जीवन का दर्द दिखाया।

Devi Rahmawati

Devi Rahmawati

इस फिल्म का एक अहम पहलू यह है कि यह दर्शकों को एक ऐसे व्यक्ति के दृष्टिकोण से देखने का अवसर देती है जिसे समाज अक्सर 'बुरा' कहता है।


रत्ना के जीवन की प्रत्येक चरण एक व्यक्तिगत चयन का परिणाम है - लेकिन उन चयनों के पीछे एक सामाजिक ढांचा है जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।


इस फिल्म ने एक नए तरीके से शिक्षा, अवसरों और अपराध के बीच के संबंध को उजागर किया है।


मैं इसे अपने छात्रों के साथ चर्चा के लिए उपयोग करूंगी।

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