पेरिस पैरालंपिक 2024: होकाटो होतोझे सेमा ने पुरुष शॉट पुट F57 में ब्रॉन्ज मेडल जीता

सितंबर 7 विवेक शर्मा 0 टिप्पणि

पेरिस पैरालंपिक 2024: होकाटो होतोझे सेमा ने पुरुष शॉट पुट F57 में ब्रॉन्ज मेडल जीता

पेरिस के Stade de France में आयोजित हो रहे पैरालंपिक 2024 में भारत के होकाटो होतोझे सेमा ने पुरुष शॉट पुट F57 इवेंट में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। सेमा, जो मूल रूप से नागालैंड के रहने वाले हैं और भारतीय सेना के एक 40 वर्षीय जवान हैं, ने 14.65 मीटर के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ यह शानदार जीत दर्ज की। यह उनके अपने पिछले रिकॉर्ड्स से कई बेहतर था, और इस सफलता ने उन्हें भारतीय पैरालंपिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पायदान पर खड़ा कर दिया।

सेमा की इस सफलता की यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। 2002 में ऑपरेशंस के दौरान एक लैंड माइन विस्फोट में उन्होंने अपना बायां पैर खो दिया था। इस दुर्घटना के बाद उन्हें लंबी रिकवरी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा। इस कठिनाई के बावजूद, भारतीय सेना के पारा स्पोर्ट्स नोड ने उन्हें पारा खेलों से परिचित कराया और शॉट पुट में उनकी ताकत को पहचान कर उन्हें इस दिशा में प्रोत्साहित किया। पिछले आठ वर्षों में, सेमा ने अपनी अपर बॉडी स्ट्रेंथ को इस्तेमाल कर इस खेल में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

इस प्रतियोगिता में सेमा ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दी। ईरान के यासिन खोस्रावी ने कई पैरालंपिक रिकॉर्ड्स सेट किए और 15.96 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता। ब्राजील के थियागो डोस सैंटोस ने 15.06 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल अपने नाम किया। भारत के सोमां राणा ने 14.07 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पांचवां स्थान प्राप्त किया।

सेमा का कांस्य पदक उनकी चौथी कोशिश में 14.18 मीटर थ्रो करने वाले फिनलैंड के तेजो कूपिक्का को पछाड़ने के बाद सुरक्षित हुआ। पुरुष शॉट पुट F57 क्लासिफिकेशन, उन एथलीटों के लिए है जो बैठकर प्रतिस्पर्धा करते हैं, यह इवेंट बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें ऊपरी शरीर की ताकत से ही पूरी शक्ति उत्पन्न करनी होती है।

सेमा की यात्रा और उनकी उपलब्धि

सेमा की इस पदक यात्रा की शुरुआत 2023 एशियाई खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ हुई थी। वहीं, 2024 वर्ल्ड चैंपियनशिप में वह चौथे स्थान पर रहें। इन उपलब्धियों ने उनके आत्मविश्वास को और भी मजबूत किया और उनकी तैयारी का नतीजा पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने के रूप में मिला।

सेमा की यह उपलब्धि वास्तव में उनकी दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और अनुशासन का नतीजा है। खेल जगत में उनका यह योगदान न केवल भारत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उन सभी व्यक्तियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

सेमा ने न केवल अपने खेल कौशल से प्रभावित किया, बल्कि अपने जीवट और जीने की जिजीविषा से भी अपने प्रशंसकों को एक संदेश दिया कि परिस्थिति चाहे कितनी भी विपरीत हो, यदि आप में दृढ़ निश्चय है, तो आप किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। वह अब पैरालंपिक पदक विजेता के रूप में अपने देश वापस लौटेंगे, और उनके इस सफलता को हमेशा याद रखा जाएगा।

होकाटो होतोझे सेमा का यह पदक जीतना सचमुच एक बड़ी सफलता है और भारतीय पैरालंपिक दल के लिए एक गर्व का क्षण भी। इसके साथ ही, असंख्य भारतीयों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी। यह दिखाता है कि अगर इंसान दृढ़ निश्चय कर ले, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है और अपने सपनों को साकार कर सकता है।

निष्कर्ष

होकाटो होतोझे सेमा का जीतना न केवल उनके व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम है बल्कि भारतीय सेना की ताकत और समर्पण का भी प्रतीक है। उनका यह पदक जीतना दिखाता है कि हमें अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में कितनी भी कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े, अगर हम अडिग रहें, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।

होकाटो होतोझे सेमा और उनकी जैसे अन्य एथलीटों को पाकर भारत सचमुच धन्य है, जिन्होंने अपने साहस और दृढ़ संकल्प से देश का नाम ऊंचा किया है। उनके इस पदक जीतने के बाद पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है और उनके आने वाले जीवन और करियर में उन्हें और अधिक सफलता की शुभकामनाएं दे रहा है।

विवेक शर्मा

विवेक शर्मा (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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