लोकसभा में जिम्मेदार विपक्ष की आवश्यकता पर मोदी का जोर
18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि देश को एक जिम्मेदार विपक्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसद में हो रहे हंगामे और नाटक को हटाकर जनता रचनात्मक बहस और सार्थक चर्चाएं देखना चाहती है। मोदी ने विपक्ष से अपील की कि वे अपनी भूमिका को सही ढंग से निभाएं और लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करें।
तीसरे कार्यकाल में सरकार तीन गुना अधिक काम करने को तैयार
प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वासन दिया कि उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार अपने तीसरे लगातार कार्यकाल में तीन गुना अधिक काम करेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार के विकास और प्रगति की जनता ने उनसे अपेक्षा की है, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। मोदी ने यह भी कहा कि सरकार हर व्यक्ति को साथ लेकर चलने की कोशिश करेगी और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में प्रतिबद्ध रहेगी।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर विशेष विचार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए बताया कि इस साल 25 जून को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ है। उन्होंने उस घटना को भारत के लोकतंत्र पर एक 'काला धब्बा' बताया, जब संविधान को दरकिनार कर दिया गया था। मोदी ने यह भी दोहराया कि उनकी सरकार 'श्रे�त्र भारत' और 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करेगी।
विपक्ष की भूमिका पर मोदी की चिंता
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि अब तक विपक्ष काफी निराशाजनक रहा है। उन्होंने भविष्य में विपक्ष से जिम्मेदार और रचनात्मक भूमिका निभाने की उम्मीद जताई। मोदी का कहना है कि देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है, जो सरकार को समय-समय पर सही दिशा में चलने के लिए मार्गदर्शन और आलोचना कर सके। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सशक्त लोकतंत्र के लिए प्रभावी और सकारात्मक विपक्ष अनिवार्य है।
सरकार की प्राथमिकताएं
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का हर कदम देश की जनता के लिए उठाया जाएगा और उनकी आवश्यकताओं को सर्वोपरि रखा जाएगा। मोदी ने खासकर युवा और महिलाओं के विकास पर जोर दिया और कहा कि रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन किए जाएंगे।
संसद में बहस और विचारों की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने संसद की गरिमा बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि वहाँ बहस होनी चाहिए, न कि हंगामा। उन्होंने कहा कि सार्थक बहस सरकार को न केवल खुद को साबित करने का मौका देती है बल्कि नए विचारों और सुझावों को भी सामने लाती है। उन्होंने कहा कि इससे लोकतंत्र मजबूत होता है और जनता की भलाई होती है।
नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि लोकसभा में एक जिम्मेदार और सक्रिय विपक्ष का होना बेहद जरूरी है ताकि सरकार समय-समय पर अपने कार्यों के लिए चुनौती महसूस कर सके और अपने काम में और सुधार ला सके।
भारत का आर्थिक विकास और समृद्धि
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत के आर्थिक विकास और समृद्धि पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों को और गति दी जाएगी और नई नीतियां लागू की जाएंगी जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेंगी। मोदी ने यह भी बताया कि मौजूदा सरकार का उद्देश्य है कि हर भारतीय को अवसर मिले और किसी को भी पीछे न छूटा जाए।
नागरिक सेवाओं को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार नागरिक सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ और असरदार बनाएगी। उन्होंने कहा कि नई तकनीकों और डिजिटलाइजेशन का उपयोग कर नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया जाएगा और लोगों की समस्याओं का तुरंत समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
मोदी ने यह भी कहा कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों और सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा ताकि किसानों को बेहतर उत्पादन और लाभ मिल सके।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की स्थिति
मोदी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की बढ़ती स्थिति पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विदेश नीति के क्षेत्र में भी उनकी सरकार ने विशेषज्ञता और कुशलता के साथ काम किया है, जिसका परिणाम यह है कि आज भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण और सक्षम खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता हमेशा से देश के नागरिकों की सुरक्षा और समृद्धि रही है और वे इसे बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
Chirag Desai
बिल्कुल सही कहा, अब तक विपक्ष तो बस चिल्लाता रहा, कोई सुझाव नहीं।
Hardeep Kaur
मोदी जी ने जोर दिया है कि विपक्ष जिम्मेदार हो, लेकिन क्या हम भूल रहे हैं कि विपक्ष के पास भी संसाधन, समय और आवाज़ की कमी है? एक तरफ जहां सरकार सब कुछ ले रही है, वहीं विपक्ष को बस चिल्लाने का मौका दिया जा रहा है। असली बात ये है कि लोकतंत्र का मतलब सिर्फ सरकार का बल नहीं, बल्कि विपक्ष की आवाज़ को सुनना है।
Abhi Patil
अरे भाई, ये सब बातें तो लोकतंत्र के बारे में एक बुनियादी अध्ययन के बाद ही कही जानी चाहिए। आधुनिक राजनीति में विपक्ष की भूमिका तो बस एक विरोधी शक्ति के रूप में है, जो अधिकारियों के अतिक्रमण को रोकती है। लेकिन जब विपक्ष अपने आप को एक विचारधारा के रूप में नहीं, बल्कि एक राजनीतिक दल के रूप में देखता है, तो वह बस शक्ति के लिए लड़ता है। और यही वजह है कि आज का विपक्ष असंगठित, अक्षम और अनुचित लगता है। एक जिम्मेदार विपक्ष तो वही होगा जो राष्ट्रीय हित के आधार पर नीतियों की आलोचना करे, न कि राजनीतिक बदलाव के लिए जनता को भ्रमित करे।
Prerna Darda
सरकार तीन गुना काम करने का वादा कर रही है, लेकिन ये तीन गुना किस आधार पर? क्या ये विकास के गुणवत्ता का बढ़ावा है या सिर्फ मात्रा का? हम अक्सर GDP, डिजिटल इंडेक्स, इंफ्रास्ट्रक्चर के आंकड़ों से भ्रमित हो जाते हैं, लेकिन असली विकास तो वही है जहां एक ग्रामीण महिला को बिजली, स्वच्छ पानी, और शिक्षा मिल रही हो। जिम्मेदार विपक्ष का मतलब है - ये बातें उठाना, न कि सरकार के नाम के लिए चिल्लाना।
rohit majji
ये विपक्ष की बात है तो मैं तो बस इतना कहूंगा कि जब तक लोग अपने घरों में बैठे चिल्लाते रहेंगे, तब तक कोई बदलाव नहीं आएगा 😊💪
Uday Teki
सच में बहुत अच्छा बोला गया 😊 जिम्मेदार विपक्ष चाहिए, न कि बस शोर मचाने वाले 😇
Haizam Shah
तीन गुना काम करने का वादा? बस एक बार देखो कि पिछले दो कार्यकाल में जो वादे हुए थे, उनमें से कितने पूरे हुए? विपक्ष अगर जिम्मेदार नहीं है तो सरकार तो बस अपने वादों के नाम पर नाटक कर रही है। अब तक का काम देखो, फिर बताओ कि तीन गुना काम कैसे होगा? ये तो बस वादे हैं, न कि योजनाएं।
Vipin Nair
विपक्ष की भूमिका लोकतंत्र की नाड़ी है न कि उसका शरीर। जब विपक्ष अपने आप को विरोध के लिए नहीं, बल्कि सुधार के लिए देखता है तो लोकतंत्र सचमुच जीवित होता है। मोदी जी की बात सही है, लेकिन ये भी याद रखना होगा कि विपक्ष की आवाज़ को दबाना भी लोकतंत्र के खिलाफ है।
Devi Rahmawati
प्रधानमंत्री जी के इस संबोधन को एक ऐतिहासिक अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जिसमें वे लोकतंत्र की संरचनात्मक आवश्यकताओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर रहे हैं। विपक्ष की भूमिका को राजनीतिक विरोध के रूप में नहीं, बल्कि एक संवैधानिक और नैतिक दायित्व के रूप में समझना आवश्यक है। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के इस संदर्भ में, विपक्ष का जिम्मेदार बनना न केवल एक राजनीतिक आवश्यकता है, बल्कि एक सामाजिक और नैतिक कर्तव्य भी है।