रतन टाटा की वसीयत में शामिल शंतनु नायडू, जानिए उनके उल्लेख का महत्व
रतन टाटा की वसीयत: शंतनु नायडू का उल्लेख
रतन टाटा, जिनके नाम के साथ एक प्रभावशाली और उद्यमशील युग जुड़ा हुआ है, की मृत्यु की खबर ने एक व्यापक चर्चा को जन्म दिया है। इन चर्चाओं के केंद्र में शंतनु नायडू का नाम विशेष रूप से उभर कर सामने आया है। नायडू, जिन्हें रतन टाटा के विश्वासपात्र के रूप में जाना जाता है, ने 'द गुडफेलोज' नामक एक विशेष स्टार्टअप की स्थापना की थी। यह स्टार्टअप मुख्यतः बुजुर्ग लोगों की देखभाल के लिए समर्पित है। इस परिपेक्ष्य में, टाटा ने अपने 10,000 करोड़ रुपये की वसीयत में नायडू का विशेष उल्लेख किया है।
‘द गुडफेलोज’ के प्रति टाटा का विश्वास
रतन टाटा द्वारा उनके स्टार्टअप में हिस्सेदारी त्याग देना इस बात का प्रमाण है कि टाटा को नायडू की दिशानिर्देश और इसकी संभावित सफलता में पूरा भरोसा था। टाटा की वसीयत में इस जानकारी का शामिल होना न केवल नायडू के भविष्य को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह टाटा द्वारा स्कॉलरशिप जैसे पहलुओं में उन्हें समर्थन देने का भी उदाहरण है। नायडू के विदेशी शिक्षा पर खर्च की जिम्मेदारी उठाना टाटा के उन्हें सपोर्ट करने की भावना को दर्शाता है।
रतन टाटा की वसीयत की अन्य प्रमुख बातें
रतन टाटा की वसीयत के अन्य भाग भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि शंतनु नायडू का उल्लेख। उनके द्वारा अलिबाग में स्थित 2,000 वर्ग फीट के बीच बंगले और मुंबई के जूहू तारा रोड पर स्थित दो मंजिला निवास का भी प्रावधान रखा गया है। इनके अलावा, उनकी वसीयत में ₹350 करोड़ से ज्यादा की फिक्स्ड डिपॉजिट्स शामिल हैं। टाटा संस में उनका 0.83% का स्टेक 'रतन टाटा इनडोमेंट फाउंडेशन' को हस्तांतरित किया जाना तय हुआ है।
संपत्ति | मूल्य |
---|---|
बीच बंगला, अलिबाग | 2,000 वर्ग फीट |
दो-मंजिला निवास, जूहू तारा रोड | मूल्यांकित नहीं |
फिक्स्ड डिपॉजिट | ₹350 करोड़ से अधिक |
टाटा संस में स्टेक | 0.83% |
इसके अतिरिक्त, रतन टाटा ने अपने पालतू कुत्ते टिटो के लिए बेहतरीन देखभाल सुनिश्चित की है, जिसके लिए उनके लंबे समय के रसोइये राजन शॉ को जिम्मेदारी दी गई है। उनके बटलर सुब्बैयाह को भी शेयर आवंटित किए गए हैं।
रतन टाटा और शंतनु नायडू के रिश्ते
रतन टाटा और शंतनु नायडू के बीच का रिश्ता सालों में बना है। टाटा के अद्वितीय व्यक्तित्व और दूरदर्शी दृष्टिकोण को नायडू के माध्यम से देखा जाता है। उनके व्यवसायिक और व्यक्तिगत संबंध ने एक ऐसा वातावरण तैयार किया जहाँ नायडू ने अपने मार्गदर्शक की विचारधारा को प्रकट करने में सक्षम रहे। टाटा का उनके प्रति इतना भरोसा जताना नायडू के भविष्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर, 2024 को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वे 86 वर्ष के थे। उनकी अनुपस्थिति को महसूस करना मुश्किल होगा, लेकिन उनकी वसीयत उनके सहयोगियों और उनके प्रियजनों के लिए उनकी विरासत के रूप में जीवित रहेगी। यह उनके द्वारा स्पर्श किए गए हर जीवन और उनके द्वारा स्थापित हर संबंध के लिए समर्पित है।
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