साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति बने सिरिल रामाफोसा, निवेशकों ने व्यक्त की सकारात्मक प्रतिक्रिया

जून 20 Roy Iryan 18 टिप्पणि

सिरिल रामाफोसा का शपथ ग्रहण

साउथ अफ्रीका के सिरिल रामाफोसा को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई, जिसने पूरे देश में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई है। यह शपथ ग्रहण समारोह 15 मई 2019 को आयोजित किया गया था, जहां उन्हें 400 सीटों वाली नेशनल असेंबली में 230 वोट मिलकर जीत हासिल हुई। इस जीत ने न केवल देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है, बल्कि आर्थिक जगत में भी एक नई जान फूंक दी है।

निवेशकों का उत्साह

रामाफोसा के राष्ट्रपति बनने के बाद से निवेशकों में एक सकारात्मक उत्साह देखा जा रहा है। उनकी जीत की घोषणा के बाद से साउथ अफ्रीका की मुद्रा रैंड ने डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई है। इसके साथ ही, देश का प्रमुख शेयर सूचकांक, JSE ऑल-शेयर, भी 1.5% की वृद्धि के साथ बंद हुआ। यह संकेत देता है कि निवेशक रामाफोसा की नीतियों से काफी उम्मीदें रखते हैं और वे भविष्य में आर्थिक सुधारों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।

रामाफोसा की प्राथमिकताएँ

रामाफोसा ने अपने कार्यकाल के दौरान आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकास को प्राथमिकता देने का वादा किया है। उनका कहना है कि वे देश में उच्च बेरोजगारी दर को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इसके अलावा, उनका लक्ष्य राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों की स्थिति में सुधार और कारोबारी माहौल को और बेहतर बनाना है।

भूमि वितरण का मुद्दा

राजनीतिक तौर पर सबसे प्रभावशाली मुद्दों में से एक, भूमि निरस्तीकरण बिना मुआवजा के, भी रामाफोसा के एजेंडे में सर्वाधिक प्राथमिकता पर है। यह मुद्दा न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक आयाम भी गहरे हैं। रामाफोसा ने इस बारे में एक समावेशी और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाने का वादा किया है।

आर्थिक चुनौतियाँ

हालांकि रामाफोसा की जीत ने आर्थिक क्षेत्र में उत्साह उत्पन्न किया है, लेकिन उन्हें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन में से प्रमुख हैं: देश की वित्तीय संकट, सुस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना, और सामाजिक तथा आर्थिक असमानताओं को दूर करना।

भावी नीतियाँ और उम्मीदें

रामाफोसा की नई सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे ऐसे नीतिगत कदम उठाएंगे, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करें, शासन में सुधार लाए, और सामाजिक तथा आर्थिक असमानताओं को कम करें। अगर वे अपने वादों को निभा पाते हैं तो निस्संदेह यह देश के लिए एक नया दौर साबित होगा।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Rohan singh

Rohan singh

ये तो बहुत अच्छी खबर है! अब तो साउथ अफ्रीका में भी बदलाव का दौर शुरू हो गया है। उम्मीद है निवेश बढ़ेंगे और रोजगार भी।

Tarun Gurung

Tarun Gurung

रामाफोसा की नीतियाँ अगर असली मतलब से लागू हो गईं तो ये देश के लिए एक नया आयाम हो सकता है। भ्रष्टाचार कम होगा, बेरोजगारी घटेगी, और आर्थिक स्थिरता आएगी। बस इतना चाहिए कि वो वादे पूरे करें।

Karan Chadda

Karan Chadda

अरे भाई ये सब तो बस धोखा है! अफ्रीका में कभी कुछ नहीं बदलता। इंडिया में तो हमारे नेता भी ऐसे ही वादे करते हैं और फिर? 😒

Rutuja Ghule

Rutuja Ghule

ये सब निवेशकों की भावनात्मक प्रतिक्रिया है। बिना डेटा के इतना उत्साह कैसे? रैंड की वृद्धि बस एक अस्थायी उछाल है। असली चुनौतियाँ तो अभी बाकी हैं।

Partha Roy

Partha Roy

भूमि वितरण का मुद्दा तो बहुत गहरा है... लेकिन अगर ये बिना मुआवजे देने लगे तो ये आर्थिक बर्बादी होगी। जो जमीन लेने वाला है उसे पहले बताओ कि वो कौन है।

ADI Homes

ADI Homes

मुझे लगता है ये शुरुआत अच्छी है। अगर वो नीतियों में लगे रहें तो अफ्रीका के लिए एक नया उदाहरण बन सकता है। बस धीरे-धीरे काम करना होगा।

vamsi Pandala

vamsi Pandala

और फिर क्या? अगले 6 महीने में वो भी बैठ जाएंगे और किसी को भी नहीं सुनेंगे। ये सब तो बस टीवी के लिए है। असली लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता।

UMESH ANAND

UMESH ANAND

इस तरह के शासन के लिए नैतिक जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति के रूप में उन्हें न्याय, निष्पक्षता और निरंतरता का आधार बनाना चाहिए। यह केवल एक राजनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक सामाजिक दायित्व है।

nasser moafi

nasser moafi

हां भाई, अफ्रीका में भी अब इंडिया जैसा हो रहा है... वादे करना शुरू, फिर भूल जाना। 😂🇮🇳🇿🇦

NEEL Saraf

NEEL Saraf

मुझे लगता है कि रामाफोसा का असली चैलेंज है - लोगों को भरोसा दिलाना। जब तक लोग नहीं मानेंगे कि बदलाव होगा, तब तक कोई निवेश नहीं करेगा। ये बात समझना जरूरी है।

Dr Vijay Raghavan

Dr Vijay Raghavan

भूमि का मुद्दा अगर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की तरह नहीं लिया गया तो ये नीति फेल हो जाएगी। इसमें राष्ट्रीय भावना भी शामिल है।

Tejas Shreshth

Tejas Shreshth

आर्थिक सुधारों की बात तो बहुत आम है। लेकिन क्या उन्होंने कभी सोचा कि बेरोजगारी का मूल कारण शिक्षा का अभाव है? नहीं। वो तो बस निवेशकों को खुश करना चाहते हैं।

sarika bhardwaj

sarika bhardwaj

जब तक स्टेट-ऑल्ड एंटरप्राइजेज को रिफॉर्म नहीं किया जाता, तब तक ये सब बकवास है। एक राष्ट्रपति के लिए ये नहीं कि वो कितना बोलता है, बल्कि वो कितना बदलाव लाता है।

Kamlesh Dhakad

Kamlesh Dhakad

अच्छा हुआ कि कुछ नया आया। बस इतना चाहिए कि वो अपने वादों को निभाएं। हम इंतजार कर रहे हैं।

Saravanan Thirumoorthy

Saravanan Thirumoorthy

रामाफोसा अच्छा है लेकिन जिस तरह से भारत में लोग निवेश कर रहे हैं उस तरह अफ्रीका में नहीं होगा। हमारी आर्थिक व्यवस्था बहुत अलग है

Hemant Kumar

Hemant Kumar

अगर आर्थिक सुधारों के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए तो ये देश वाकई बदल सकता है। बस एक बार जरूरत के हिसाब से योजना बनाओ।

Shivani Sinha

Shivani Sinha

क्या ये सब सच है या फिर बस ट्रेंड है? मुझे लगता है लोगों को अभी भी बहुत कुछ समझ नहीं आ रहा है। लेकिन अगर ये बदलाव आए तो बहुत बढ़िया होगा 😊

Hitendra Singh Kushwah

Hitendra Singh Kushwah

ये जो बोल रहे हैं वो सब अपने घर में बैठे हैं। अफ्रीका की असली समस्याएँ तो गाँवों में हैं। ये तो बस शहरी इलाकों की बात है।

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