साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति बने सिरिल रामाफोसा, निवेशकों ने व्यक्त की सकारात्मक प्रतिक्रिया
सिरिल रामाफोसा का शपथ ग्रहण
साउथ अफ्रीका के सिरिल रामाफोसा को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई, जिसने पूरे देश में एक नई उम्मीद की किरण दिखाई है। यह शपथ ग्रहण समारोह 15 मई 2019 को आयोजित किया गया था, जहां उन्हें 400 सीटों वाली नेशनल असेंबली में 230 वोट मिलकर जीत हासिल हुई। इस जीत ने न केवल देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है, बल्कि आर्थिक जगत में भी एक नई जान फूंक दी है।
निवेशकों का उत्साह
रामाफोसा के राष्ट्रपति बनने के बाद से निवेशकों में एक सकारात्मक उत्साह देखा जा रहा है। उनकी जीत की घोषणा के बाद से साउथ अफ्रीका की मुद्रा रैंड ने डॉलर के मुकाबले मजबूती दिखाई है। इसके साथ ही, देश का प्रमुख शेयर सूचकांक, JSE ऑल-शेयर, भी 1.5% की वृद्धि के साथ बंद हुआ। यह संकेत देता है कि निवेशक रामाफोसा की नीतियों से काफी उम्मीदें रखते हैं और वे भविष्य में आर्थिक सुधारों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं।
रामाफोसा की प्राथमिकताएँ
रामाफोसा ने अपने कार्यकाल के दौरान आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकास को प्राथमिकता देने का वादा किया है। उनका कहना है कि वे देश में उच्च बेरोजगारी दर को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इसके अलावा, उनका लक्ष्य राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों की स्थिति में सुधार और कारोबारी माहौल को और बेहतर बनाना है।
भूमि वितरण का मुद्दा
राजनीतिक तौर पर सबसे प्रभावशाली मुद्दों में से एक, भूमि निरस्तीकरण बिना मुआवजा के, भी रामाफोसा के एजेंडे में सर्वाधिक प्राथमिकता पर है। यह मुद्दा न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक आयाम भी गहरे हैं। रामाफोसा ने इस बारे में एक समावेशी और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाने का वादा किया है।
आर्थिक चुनौतियाँ
हालांकि रामाफोसा की जीत ने आर्थिक क्षेत्र में उत्साह उत्पन्न किया है, लेकिन उन्हें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन में से प्रमुख हैं: देश की वित्तीय संकट, सुस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना, और सामाजिक तथा आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
भावी नीतियाँ और उम्मीदें
रामाफोसा की नई सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे ऐसे नीतिगत कदम उठाएंगे, जो आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करें, शासन में सुधार लाए, और सामाजिक तथा आर्थिक असमानताओं को कम करें। अगर वे अपने वादों को निभा पाते हैं तो निस्संदेह यह देश के लिए एक नया दौर साबित होगा।
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