स्विस कोर्ट ने हिंदुजा परिवार के 4 सदस्यों को घरेलू कामगारों के शोषण के लिए जेल की सजा सुनाई

जून 22 Roy Iryan 8 टिप्पणि

स्विस न्यायालय का फैसला

स्विट्जरलैंड के जिनेवा स्थित एक आपराधिक न्यायालय ने भारतीय मूल के हिंदुजा परिवार के चार सदस्यों को घरेलू कामगारों का शोषण करने के आरोप में जेल की सजा सुनाई है। इनमें प्रमुख उद्योगपति प्रकाश हिंदुजा, उनकी पत्नी, बेटे और बहू शामिल हैं। न्यायालय ने पाया कि इन चारों द्वारा घरेलू कामगारों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे, उन्हें स्विस फ्रैंक की बजाए भारतीय रुपये में भुगतान किया गया और उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर दिया गया था। इनके उत्पीड़न की वजह से कामगारों को लंबी देर तक न्यूनतम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया गया।

घरेलू कामगारों की दुर्दशा

मजदूरों ने न्यायालय को बताया कि उन्हें अत्यधिक कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। उनके पास कोई निर्धारित काम के घंटे नहीं थे और वे हमेशा परिवार की सेवा में तैयार रहने की मजबूरी में थे। न्यायालय ने यह भी पाया कि हिंदुजा परिवार ने अपने पालतू कुत्ते पर एक कामगार की तुलना में अधिक खर्च किया। लेकिन अदालत ने मानव तस्करी के गंभीर आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कामगारों को शुरू से ही इन परिस्थितियों की जानकारी थी।

हिंदुजा समूह का प्रभाव

हिंदुजा समूह का प्रभाव

हिंदुजा परिवार लगभग $20 बिलियन की संपत्ति के मालिक हैं और उनका हिंदुजा समूह विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करता है, जिसमें नौवहन, बैंकिंग, और मीडिया शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने लंदन में भी महत्वपूर्ण संपत्तियां अर्जित की हैं, जिनमें रैफल्स लंदन होटल प्रमुख है। इस घटना ने दुनियाभर में शक्तिशाली व्यापार परिवारों द्वारा अपने नौकरों के शोषण पर प्रकाश डाला है।

कानूनी प्रक्रिया

यह मुकदमा तीन साल से अधिक समय तक चला और इसमें परिवार के कुल आठ सदस्यों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे। इनमें से चार अन्य सदस्यों को अवैध मानव तस्करी के आरोपों से बरी कर दिया गया है। लेकिन प्रकाश हिंदुजा और उनके परिवार के अन्य तीन सदस्यों को दोषी पाया गया है और उन्हें सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने यह भी कहा कि घरेलू कामगारों के अनुबंधों में काम के घंटे या छुट्टियों का कोई उल्लेख नहीं था।

हिंदुजा परिवार का रुख

हिंदुजा परिवार का रुख

हिंदुजा परिवार ने इन आरोपों से इनकार किया है और कह रहे हैं कि वे न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी किसी का शोषण नहीं किया और सारी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है। उनके अनुसार, उन्होंने हमेशा से पारदर्शिता और कानून के आधार पर काम किया है।

उद्योग जगत में चर्चा

यह मामला काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है और अब यह फैसला आने के बाद उद्योग जगत में हलचल मच गई है। कई लोगों का मानना है कि यह फैसला उन लोगों के लिए उदाहरण बनेगा जो अपने कर्मचारियों के साथ अनुचित व्यवहार करते हैं।

मानवाधिकार संगठनों का दृष्टिकोण

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस मुद्दे पर अपना मत व्यक्त किया है और कहा है कि इस प्रकार के मामलों में सख्त कदम उठाना जरूरी है ताकि अन्य लोग भी ऐसी गतिविधियों से बच सकें। उनका मानना है कि इससे दुनिया भर के मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

आगे का रास्ता

अब देखना यह है कि हिंदुजा परिवार इस फैसले के खिलाफ क्या कदम उठाता है और आगे की कानूनी प्रक्रिया क्या होगी। इस बीच, जिन लोगों को इन घटनाओं से प्रभावित होना पड़ा है, उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Saravanan Thirumoorthy

Saravanan Thirumoorthy

ये लोग तो भारत के नाम पर शर्मसार हो रहे हैं। घरेलू मजदूरों को ऐसा बर्ताव करना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। जेल जाना चाहिए ये सब।
भारत की तस्वीर खराब हो रही है।

Tejas Shreshth

Tejas Shreshth

अरे भाई ये सब तो बस एक नए लेवल का फैसला है जो ग्लोबल पावर एलिट के खिलाफ है। जब तक आप अपने घर में अपने नौकर को अपने बच्चों की तरह नहीं पालते तब तक ये सब न्याय का नाम नहीं बल्कि वेस्टर्न हाइपोक्रिसी है।
कुत्ते पर जितना खर्च किया वो भी एक फिलॉसफिकल स्टेटमेंट है। आधुनिक समाज ने जानवरों को इंसान से ऊपर ठहरा दिया है।

Hitendra Singh Kushwah

Hitendra Singh Kushwah

मैं तो समझता हूँ कि इन लोगों के पास दुनिया भर में बिजनेस है। लेकिन घर में नौकर के साथ ऐसा व्यवहार करना बिल्कुल अनुचित है। अगर ये लोग अपने बच्चों के लिए इतना पैसा खर्च करते हैं तो नौकरों के लिए भी कुछ बचाना चाहिए था।
ये सब एक नए तरीके से ब्रिटिश कॉलोनियल एथिक्स को रिइम्प्लीमेंट कर रहे हैं।

sarika bhardwaj

sarika bhardwaj

💔 ये बात सुनकर दिल टूट गया। इन लोगों ने इतना अमीर होकर भी मानवता को भूल दिया। कामगारों के पासपोर्ट जब्त करना? ये तो गुलामी है। 🚫🇮🇳
हमें इस तरह के मामलों में आवाज उठानी चाहिए। न्याय कभी नहीं टलता।

Dr Vijay Raghavan

Dr Vijay Raghavan

इन लोगों के घर में जो कामगार रहते थे वो शायद अपने गाँव में भी इतना अच्छा नहीं रहते थे। लेकिन ये बात नहीं कि उन्हें इंसान नहीं माना जाए।
अगर ये लोग अपने कुत्ते को जितना प्यार देते हैं उतना ही इन नौकरों को देते तो आज ये सब नहीं होता।
ये लोग अपने पैसे से इंसानियत खरीद नहीं सकते।

Partha Roy

Partha Roy

ये हिंदुजा लोग तो बस एक बड़ा बिजनेस घराना है जिनके लिए नौकर बस एक टूल है। अब जब ये लोग जेल में जा रहे हैं तो देखो कितने लोग अपने घर में नौकर को बुलाते हैं और उन्हें दिल से नहीं बुलाते।
इससे पहले भी ऐसे कई मामले हुए थे लेकिन इस बार लोगों ने आवाज उठाई।
कानून अब बस एक नोटिस नहीं है ये असली शक्ति है।

Kamlesh Dhakad

Kamlesh Dhakad

मैंने अपने घर में भी एक नौकर को रखा है। उसे हमेशा खाना देते हैं, उसकी बात सुनते हैं। उसके बच्चे को भी स्कूल में भर्ती करवाया।
क्योंकि वो इंसान है। न कि सामान।
अगर ये लोग इतने अमीर हैं तो इतना बड़ा बुरा बर्ताव क्यों? इससे पहले अपने दिल की जाँच कर लेते।

ADI Homes

ADI Homes

ये फैसला अच्छा है। लेकिन ये एक बड़ा सवाल भी उठाता है। क्या हम अपने घरों में भी ऐसा बर्ताव करते हैं? बस इतना छोटा अंतर है।
हम सब एक दूसरे के साथ इंसानियत के साथ रहना सीखें।
ये बात बड़े परिवारों के लिए नहीं बल्कि हर घर के लिए है।

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