Jolly LLB 3 रिव्यू – क्या है नई कोर्ट ड्रामा?
अगर आप हल्ली बप्पी के बड़े फैंस हैं या कोर्ट के ड्रामा देखना पसंद करते हैं, तो Jolly LLB 3 आपका ध्यान खींचेगी। पहले दो पार्टों ने व्यंग्य और सामाजिक मुद्दों को हँसी के साथ पेश किया, और इस बार कहानी फिर से न्याय के सवालों को उठाती है, पर कुछ नए ट्विस्ट के साथ। चलिए, इस रिव्यू में हर बड़े पॉइंट को‑एक‑एक करके देखते हैं।
कहानी और मुख्य मोड़
फिल्म में जॉल्ली (जैरी कोहली) फिर से अपने कस्टमर की मदद करने के लिए कोर्ट में उतरता है, लेकिन टॉप लेवल के बिलियनियर्स के खिलाफ केस का सामना करता है। कहानी का बड़ा मोड़ तब आता है जब जॉल्ली को पता चलता है कि उसके क्लाइंट की हेल्थ इंशुरेंस धोखाधड़ी सिर्फ कागज़ी मामलों तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े स्कैम का हिस्सा है। इस बीच, जॉल्ली के पुराने दोस्त डॉक्टर बिडी (कबीर खलील) और नई वकील (फ़िरदा पिंटू) के साथ टकराव, कहानी को तेज़ी से आगे बढ़ाते हैं।
संकट के हर मोड़ पर जॉल्ली एक बेबाकी से सवाल पूछता है, जो दर्शकों को सोचना पर मजबूर कर देता है। कोर्ट के सीन में जितनी कानूनी जटिलता है, उतनी ही मज़ाकिया पंक्तियाँ हैं, जिससे फिल्म हल्के-फुलके मज़े का भी बख़ान बनती है।
अभिनय और तकनीकी पक्ष
जैरी कोहली ने अपने सिग्नेचर अंदाज़ में फिर से जॉल्ली का किरदार निभाया। उसकी डायलॉग डिलीवरी, तेज़ वाक्य-शैली और कोर्ट में गहरी आँखों का इफ़ेक्ट बहुत प्रभावशाली रहा। कबीर खलील की भूमिका ने थोड़ा ग्रे शेड जोड़ा, जिससे फ़िल्म में वैरायटी आई। नई वकील किराएदार (फ़िरदा पिंटू) के किरदार ने ताज़ा ऊर्जा लाई, और बारीकी से लिखे हुए स्क्रिप्ट के साथ उनका एंट्री‑पोर्ट काम आया।
डायरेक्शन का कार्य इशिटेश ग्रुप के ओपीएल ने किया है, जिन्होंने पहले दो पार्टों की फॉर्मेट को बनाए रखते हुए नई लाइटिंग और कैमरा एंगल्स से फिल्म को आधुनिक रूप दिया। संगीत की बात करें तो, ए.आर. रहमान जैसा नहीं, पर ए.आर. साहू का बैकग्राउंड स्कोर कोर्ट के ड्रामे को सस्पेंसफुल बनाता है, जबकि कॉमिक सीन में हल्का फंकी बीट्स माहौल को हल्का रखते हैं।
एडिटिंग और साउंड डिज़ाइन साफ़-सुथरे हैं, जिससे कोर्ट के टेबल के टकराव, दस्तावेज़ों की शोरगुल, और जॉल्ली की तेज़ आवाज़ में ज़रूरी अंतर दिखता है। यह तकनीकी पहलू दर्शकों को कहानी में धकेलता है, बिना किसी अनावश्यक लम्बी शॉट के।
बॉक्स ऑफिस पर Jolly LLB 3 ने पहला हफ़्ता अच्छी कमाई दर्ज की। शुरुआती ट्रेले के बाद, सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा हुई, खासकर जॉल्ली के डायलॉग “धोखा सिर्फ़ कानूनी नहीं, सामाजिक भी है” के कारण। यह मुलाक़ात दर्शकों को अपनी आवाज़़ उठाने की प्रेरणा देती है।
फ़िल्म की सबसे बड़ी ताक़त है इसका सादा-से-संदेश: न्याय के लिए लड़ना कठिन है, पर असली साहस वही है जो छिपे हुए सच्चाइयों को उजागर करे। Jolly LLB 3 इस बात को हँसते-हँसते गंभीर बनाते हुए पेश करती है। अगर आप हल्ली बप्पी वाले फ़िल्म देखना चाहते हैं, तो इस नई भाग को एक बार जरूर देखिए।
Jolly LLB 3 दो जोली—अक्षय कुमार और अरशद वारसी—को आमने-सामने लाती है और कोर्टरूम ड्रामेडी को फिर ताज़ा करती है। सौरभ शुक्ला हर सीन में जलवा दिखाते हैं। फिल्म किसानों के अधिकार, जमीन विवाद और सिस्टम से लड़ाई पर बात करती है, बिना भाषणबाज़ी के। कुछ खामियां—एक खिंचा हुआ गाना और एक अटपटा ट्रैक—दिखती हैं, पर दर्शक खूब एंटरटेन होते हैं।