मुरली मनोहर जोशी – राजनीति और विचारों की गहराई
अगर आप भारतीय राजनीति में रुचि रखते हैं तो मुरली मनोहर जोशी का नाम अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने 1980 के दशक से ही जनता दल का समर्थन करके कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं। इनके विचार अक्सर शिक्षण नीति, राष्ट्रभाषा और विकास के मुद्दों पर केंद्रित होते हैं।
जोशी जी ने 1990 के दशक में भारत सरकार में शिक्षा विभाग की संधि संभाली थी। तब उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कई बदलाव लाकर शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने की कोशिश की। इस दौर में उन्होंने स्कूलों में हिंदी को मुख्य भाषा बनाना भी प्राथमिकता दी।
मुख्य राजनीतिक योगदान
मुरली मनोहर जोशी ने कई बार संसद में शीघ्रता से सवाल उठाए और राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी बात रखी। उनका सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान में सहयोग था, जहाँ उन्होंने ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ावा दिया।
बाजार में उनके आर्थिक विचार भी ठोस हैं। उन्होंने सातवां पाँच साला योजना में कृषि सुधारों को प्राथमिकता दी और छोटे किसानों को उचित कीमत दिलाने की दिशा में कदम उठाए। इस कारण से किसान वर्ग में उनकी इज्जत बनी हुई है।
अभी क्या चल रहा है?
हाल ही में मुरली मनोहर जोशी ने कई सार्वजनिक मंचों पर चुनावी रणनीति के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को मेहनत, ईमानदारी और नई तकनीक के साथ काम करना चाहिए। इस बात को सुनकर कई युवा सक्रिय हुए हैं।
साथ ही, वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 की ड्राफ्ट पर भी चर्चा कर रहे हैं। उनका मानना है कि डिजिटल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाना चाहिए, खासकर दूर-दराज के क्षेत्रों में। वह अक्सर कहते हैं, "शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है"।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार केंद्र में सरकार गठन के लिए दावा पेश करने से पहले वरिष्ठ भाजपा नेता LK आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। NDA गठबंधन के नेता चुने जाने के बाद मोदी ने सभी घटक दलों का धन्यवाद किया और भारतीय लोकतंत्र की ताकत का उल्लेख किया। भाजपा और NDA नेताओं ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया।