फेडरल रिजर्व क्या है? आसान शब्दों में समझिए

जब हम "फेडरल रिजर्व" का नाम सुनते हैं, तो अक्सर यह सोचते हैं कि यह सिर्फ़ एक बैंक है। लेकिन असल में यह अमेरिका का मुख्य मौद्रिक संस्थान है, यानी पूरा आर्थिक सिस्टम को नियंत्रित करने वाला केंद्र। इसकी मुख्य जिम्मेदारी पैसा बनाने, ब्याज दरें तय करने और बैंकिंग सिस्टम को सुरक्षित रखने की है।

फेडरल रिजर्व को आम तौर पर "फ़ेड" कहा जाता है। 1913 में कांग्रेस ने इसे बनाया ताकि देश में वित्तीय संकटों को रोका जा सके। तब से फ़ेड ने कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिये हैं, जैसे 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान बड़े पैमाने पर पैसे देना।

फेडरल रिजर्व की मुख्य जिम्मेदारियां

फ़ेड के पास तीन मुख्य काम होते हैं:

  • मौद्रिक नीति बनाना: यह तय करना कि बाजार में कितना पैसा होना चाहिए। अगर महंगाई तेज़ हो रही है, तो फ़ेड ब्याज दर बढ़ा देता है ताकि लोग कम खर्च करें। उल्टा, अगर अर्थव्यवस्था धीमी है तो दर घटाकर खर्च बढ़ाने की कोशिश करता है।
  • बैंकिंग सिस्टम की निगरानी: फ़ेड वह संस्थान है जो पूरे देश के बड़े बैंकें (जैसे JPMorgan, Bank of America) को लाइसेंस देता है और उनके नियम चेक करता है। इससे बैंक का पतन रोककर आम लोगों के पैसों को बचाया जाता है।
  • वित्तीय स्थिरता बनाए रखना: कभी-कभी बाजार में लगातार गिरावट आती है। फ़ेड ऐसे समय में आर्थिक माहौल को स्थिर रखने के लिए ख़ास उपाय (जैसे क्वांटिटेटिव ईज़िंग) अपनाता है।

इन कामों की वजह से फेड अक्सर प्रेस कॉन्फ़्रेंस देता है और अपने निर्णयों को जनता के सामने रखता है, ताकि सबको पता रहे कि नीति किस दिशा में जा रही है।

फ़ेड की नीति का भारत और दुनिया पर असर

फ़ेड की ब्याज दरें सिर्फ़ अमेरिका के भीतर नहीं, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। जब फ़ेड दरें बढ़ाता है, तो डॉलर मजबूत होता है, जिससे भारतीय निर्यात महंगा हो जाता है। इस कारण भारतीय कंपनियों को कम बिक्री मिल सकती है और शेयर मार्केट में गिरावट देखी जा سکتی है।

दूसरी तरफ, अगर फ़ेड दरें घटाता है, तो डॉलर कमजोर हो जाता है और विदेशी निवेशकों को भारतीय रियल एस्टेट, स्टॉक्स या बॉन्ड्स में निवेश करने की प्रेरणा मिलती है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त पूँजी मिलती है। इसलिए निवेशकों को फेड की मौद्रिक नीति पर नज़र रखनी चाहिए, चाहे वे भारत में हों या कहीं और।

संक्षेप में, फेडरल रिजर्व एक ऐसी संस्था है जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक को संभालती है। इसकी नीति सीधे हमारे जीवन पर असर डालती है—खर्च करने की लागत, बचत पर मिलने वाला ब्याज, और यहां तक कि विदेश यात्रा की कीमत भी। इसलिए, फेड के निर्णयों को समझना और उनके बारे में अपडेट रहना आपके वित्तीय निर्णयों को बेहतर बनाने में मददगार हो सकता है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें स्थिर रखीं, सितंबर में संभावित कटौती का संकेत

अगस्त 1 Roy Iryan 13 टिप्पणि

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी जुलाई नीति बैठक में प्रमुख ब्याज दर को 5.25% से 5.5% के बीच बनाए रखा। फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया कि सितंबर में दर कटौती संभव है। इस निर्णय ने बाजार में उत्साह बढ़ाया और नैस्डेक में 2.6% की वृद्धि दर्ज की गई। मुद्रास्फीति में गिरावट और श्रम बाजार के कमजोर होने से दर कटौती की संभावना बढ़ गई है।