अमेरिकी राजनीति के दृश्य में एक बड़ा बदलाव हुआ जब राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रम्प ने 12 नवंबर, 2024 को एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को नए गठित 'डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE)' का नेतृत्व सौंपने की घोषणा की। इस घोषणा ने राजनीतिक गलियारों में एक हलचल मचा दी है, क्योंकि ट्रम्प ने सरकार की नौकरशाही को खत्म करने और फेडरल एजेंसियों को पुनर्गठित करने का लक्ष्य स्पष्ट कर दिया है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने गहन सुधार के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडा बनाया है, जहां मस्क और रामास्वामी सरकारी व्यय को कम कर, अतिरिक्त नियमों को काट, और एक छोटे लेकिन अधिक प्रभावी सरकार का निर्माण करने की दिशा में काम करेंगे। ट्रम्प के अनुसार, यह पहल अमेरिकी जनता को स्वतंत्रता प्राप्ति की 250वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सरकार का एक 'उपहार' होगा।
एलन मस्क, जो दुनिया की अग्रणी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और स्पेसएक्स के प्रमुख हैं, तथा विवेक रामास्वामी, जो एक फार्मास्युटिकल कंपनी के संस्थापक और पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं, को इस अहम भूमिका के लिए चुना गया है। रामास्वामी ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में ट्रम्प का समर्थन किया था, जिनसे उनकी दोस्ती किसी से छुपी नहीं है।
मस्क के DOGE नेतृत्व के समर्थन में ट्रम्प का एक स्पष्ट संदेश है कि वे सरकारी दक्षता को प्राथमिकता देंगे। एलन मस्क, जिन्होंने ट्रम्प की प्रचार अभियान के लिए लाखों डॉलर का योगदान दिया था, ने इस कदम को 'हमारे समय के मैनहट्टन प्रोजेक्ट' के साथ तुलना की है। मस्क की नजर में, यह पहल सरकारी बेपरवाही के खिलाफ एक साहसिक कदम होगा।
वहीं, विवेक रामास्वामी, जिनके पास आर्थिक और राजनीतिक रणनीति का अनुभव है, भी इस विभाग में एक अहम भूमिका निभाएंगे। RAM स्विफ्ट तथा निर्णायक दृष्टिकोण अपनाने के लिए जाने जाते हैं, जिससे पूरा सरकारी ढांचा अधिक कुशल और वित्तीय दृष्टि से अनुशासित बन सके।
DOGE का पूरा कामकाज 4 जुलाई 2026 तक पूरा हो जाना है, जो अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस के साथ मेल खाता है। यह योजना अमेरिका को एक प्रभावी और न्यूनतर सरकार का उपहार देने का उद्देश्य रखती है। इस पहल की सफलता कितनी होगी यह समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल इसने राजनीति और उद्योग जगत में एक नई दिशा और उम्मीदें जगाई हैं।
इस नए विभाग के शॉर्ट नाम DOGE का संयोग क्रिप्टोकरेंसी डॉजकोइन के नाम से भी हो रहा है, जिसको प्रमोट करने में मस्क खासे आगे रहे हैं। यह देखने होगा कि डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी कैसे सरकारी तंत्र में बदलाव लाता है।
Chirag Desai
ये सब क्या बकवास है? DOGE? असली डॉजकोइन वाले लोग तो अभी तक समझ नहीं पाए कि ये क्या हो रहा है।
Uday Teki
भाई ये तो बहुत बढ़िया बात है! 😊 सरकार छोटी होगी तो ज्यादा तेज़ चलेगी। बस थोड़ा धैर्य रखो, सब ठीक हो जाएगा 🙌
Abhi Patil
मैं इस घोषणा को एक पोस्ट-मॉडर्न राजनीतिक अलंकार के रूप में देखता हूँ - एक निर्माणात्मक अस्तित्ववादी अभिव्यक्ति जो ब्यूरोक्रेसी के निर्माण के विरुद्ध एक डिकोन्स्ट्रक्शनिस्ट अभियान का प्रतीक है। मस्क का डिजिटल नियंत्रण और रामास्वामी का नैतिक निर्णय एक नए राष्ट्रीय अभियान की नींव है, जो राष्ट्रीय सार्वजनिक विचारधारा को अपने अधिकार के अंतर्गत लाता है। यह केवल एक विभाग नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है।
Hardeep Kaur
मैं तो सोच रहा था कि ये सब किसी मजाक का हिस्सा है। लेकिन अगर ये सच है, तो बस एक बात कहूँ - इन दोनों के पास अगर थोड़ा भी ज्ञान होता कि सरकारी काम कैसे चलता है, तो ये नहीं करते।
Ira Burjak
अरे यार, तुम सब इतना गंभीर क्यों हो रहे हो? डॉजकोइन के नाम पर विभाग बनाना? ये तो ट्रम्प का एक और ट्वीट है जिसे किसी ने असली समझ लिया। 😏
Prerna Darda
इसका विश्लेषण एक नए नियंत्रण संरचना के रूप में किया जाना चाहिए - एक अल्गोरिदमिक निर्णय लेने की विधि जो नियमों के बजाय डेटा-संचालित आउटपुट पर आधारित है। मस्क के एक्स-एनालिटिक्स और रामास्वामी के फार्माको-इकोनॉमिक मॉडल्स का संगम एक नए गवर्नेंस ऑप्टिमाइज़ेशन फ्रेमवर्क की ओर ले जाता है। ये ब्यूरोक्रेसी के विनाश का नहीं, बल्कि उसके रूपांतरण का एक अभिनव प्रयोग है। हम अभी बहुत शुरुआती चरण में हैं।
rohit majji
ये तो बहुत बढ़िया हुआ! अब तो सरकार भी टेस्ला जैसी हो जाएगी 😍 जल्दी से सब कुछ ठीक हो जाएगा, मैं भी तैयार हूँ इस बदलाव के लिए! 💪
Haizam Shah
तुम सब बस बातें कर रहे हो, लेकिन ये कदम असली है! अगर एलन मस्क और विवेक ने ये लिया, तो ये अमेरिका के लिए एक नया युग है। ब्यूरोक्रेसी को तोड़ो, नहीं तो देश तबाह हो जाएगा। कोई नहीं रोक सकता अब।
Devi Rahmawati
इस घोषणा के संदर्भ में, एक सावधानीपूर्ण विश्लेषण आवश्यक है। यदि इस विभाग का उद्देश्य दक्षता को बढ़ावा देना है, तो निश्चित रूप से उसके लिए एक स्पष्ट, पारदर्शी और नैतिक रूपरेखा की आवश्यकता है। व्यक्तिगत विश्वासों और व्यावसायिक हितों के आधार पर सरकारी संस्थानों का पुनर्गठन एक गंभीर जोखिम प्रस्तुत करता है। जनता के लिए लोकतांत्रिक जवाबदेही की सुरक्षा के लिए, इस योजना के लिए एक स्वतंत्र निगरानी निकाय की आवश्यकता है।