प्रधानमंत्री मोदी ने संसद बजट सत्र से पहले दी विपक्ष को चेतावनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के बजट सत्र से पूर्व मीडिया से बातचीत की और विपक्षी दलों पर कड़े शब्दों में प्रहार किया। उन्होंने उन पर समय को बर्बाद करने और संसद की मर्यादा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा कि कुछ पार्टियों ने अपने गलतियों को छुपाने के लिए संसद का अनुचित उपयोग किया है।
नकारात्मक राजनीति पर प्रधानमंत्री की नाराजगी
मोदी ने खुलासा किया कि पिछले सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने उन्हें बोलने से रोका। उन्होंने इसे लोकतंत्र-विरोधी कदम बताते हुए इसकी निंदा की। पीएम का मानना है कि ऐसी रणनीतियां लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं और सभी राजनीतिक दलों को इससे बचना चाहिए। उन्होंने संसद की गरिमा बनाए रखने और सहयोग के लिए आगे आएं, यह अपील भी की।
देश के विकास के लिए आपसी मतभेद भुलाने का संदेश
प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि सभी राजनीतिक दल अपने मतभेदों को भुलाकर देश के विकास के लिए काम करें। उनका कहना था कि बजट सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी है, जिनका सीधा प्रभाव देश की जनता पर पड़ेगा। उन्होंने इस सत्र को आने वाले पांच वर्षों के लिए दिशा-निर्देशक बताया और सभी से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा की।
वित्त मंत्री का बजट पेश करने का महत्वपूर्ण अवसर
मोदी ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी। यह बजट न केवल सरकार की योजनाओं का खाका खींचेगा, बल्कि 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को भी साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि अवसरों के शिखर पर है और इसे आगे बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
पिछले 60 वर्षों में सरकारी का तीसरा कार्यकाल
मोदी ने इस सत्र को भारत के लोकतांत्रिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताया, खासकर इसलिए क्योंकि मौजूदा सरकार तीसरी बार सत्ता में आई है। उन्होंने इस संबंध में अपने आत्मविश्वास को भी व्यक्त किया कि इस बार भी उनकी सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी उतरेगी।
‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की स्थापना
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बजट सत्र अगले पांच वर्षों के लिए भारत की यात्रा को दिशा देगा। उन्होंने ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को वर्ष 2047 के लिए स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना साझा की। उनका कहना था कि यह बजट सत्र इस दिशा में बुनियादी नींव रखेगा।
प्रधानमंत्री का सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील
मोदी ने अपनी बात समाप्त करते हुए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की और कहा कि देश की जनता की भलाई के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। इस दिशा में बढ़ते कदम ही भारत को उसके 'विकसित भारत' के लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं।
Uday Teki
बस एक बात कहूं - बजट तो देश के लिए होता है, न कि राजनीति के लिए।
Prerna Darda
मोदी का बयान एक राजनीतिक अर्थशास्त्र का उदाहरण है - विपक्ष को अनुचित ठहराकर अपने अधिकार का दावा करना। लेकिन संसद एक संस्था है, न कि एक रैली। जब विपक्ष बोलने से रोका जाता है, तो यह लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। विकसित भारत का सपना तभी सच होगा जब विचारों की आजादी होगी, न कि एकतरफा निर्णयों की।
आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए विविधता जरूरी है। एक दल की आँखों से देखने की कोशिश करना असंभव है। बजट के मुद्दे जनता के जीवन से जुड़े हैं - रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा। इन पर बहस नहीं, तो क्या है?
हम जिस विकास की बात कर रहे हैं, वह बिना समीक्षा के अधूरा है। अगर विपक्ष को चुप कराया जा रहा है, तो यह विकास नहीं, अनुशासन है।
हमारे शासन के लिए विपक्ष का अस्तित्व जरूरी है। वह एक प्रतिबिंब है, एक नियंत्रण है। इसे अनदेखा करना लोकतंत्र के लिए आत्महत्या है।
बजट एक दस्तावेज है, न कि एक धर्मग्रंथ। इसे जांच-पड़ताल के बिना अपनाना अविवेकपूर्ण है।
2047 तक का सपना तभी संभव है जब हम आज के विवादों को बुद्धिमानी से सुलझाएं।
Vipin Nair
मोदी के बयान में कुछ सच है लेकिन वह अपने आप को शहीद बना रहे हैं। विपक्ष बोलता है तो वह राजनीति कर रहा है, चुप रहता है तो वह निष्क्रिय है। ये दोहरा मानक असहनीय है।
बजट एक आर्थिक दस्तावेज है न कि राजनीतिक बयानबाजी का मंच।
संसद की गरिमा तब बनती है जब सभी दल एक साथ बैठकर काम करें।
हम बात कर रहे हैं विकसित भारत की, तो ये विवाद अब तक क्यों चल रहे हैं?
Tarun Gurung
अरे भाई, जब तक लोग बजट के बारे में बात नहीं करेंगे, तब तक ये बजट किसी के लिए अर्थपूर्ण नहीं होगा। मोदी जी कह रहे हैं कि विपक्ष बहस कर रहा है, लेकिन अगर वो बोले तो उन्हें गुस्सा आता है। ये तो एक तरह का डर है।
मैं तो बस चाहता हूं कि कोई भी आदमी अपनी बात बिना डर के कह सके।
हम सब जानते हैं कि बजट में कितने नए योजनाएं आ रही हैं, लेकिन क्या वो सब जनता तक पहुंचेंगी? ये सवाल तो किसी के मन में नहीं आता।
हम जिस देश की बात कर रहे हैं, वो देश तो अपने बच्चों के लिए बन रहा है, न कि राजनीतिक ट्वीट्स के लिए।
अगर आपको लगता है कि विपक्ष को चुप करा देना ही देश के लिए अच्छा है, तो आप गलत हैं।
हमें एक साथ बैठकर बात करनी होगी, न कि एक दल के लिए दूसरे को बर्बाद करना।
जब तक हम अपने आप को एक दल के रूप में नहीं देखेंगे, तब तक हमारा भारत कभी विकसित नहीं होगा।
हम लोग बहुत बड़े हैं, लेकिन हमारे नेता छोटे हैं।
Karan Chadda
विपक्ष तो हमेशा बोलता है, लेकिन उनकी बातों में कोई विकास का विचार नहीं होता। हम तो देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं, न कि उनके नारों के लिए वक्त बर्बाद करना।
मोदी जी सही कह रहे हैं।
इंडिया फर्स्ट! 🇮🇳🔥
Shivani Sinha
भाई सब बहस कर रहे हo लेकिन बजट के बारे में कोई नहीं बोल रहा... अरे बाप रे, ये तो बस राजनीति है।
किसी के घर में बिजली नहीं है तो वो क्या करेगा? बहस करेगा या बिजली चाहेगा?
विपक्ष को चुप कराने की जगह उन्हें बताओ कि वो क्या सुझाव दे सकते हैं।
मैं तो बस चाहती हूं कि हम सब एक साथ बैठे और बात करें।
VIKASH KUMAR
अरे भाई, ये जो बातें हो रही हैं वो तो बहुत बड़ी हैं! जब तक विपक्ष बोलता है, तब तक मोदी जी का चेहरा लाल हो जाता है।
मैंने तो एक वीडियो देखा जहां एक विपक्षी नेता ने बोला - 'आपका बजट हमें नहीं चाहिए!' और मोदी जी ने उसे देखकर मुस्कुरा दिया।
ये तो बिल्कुल बॉलीवुड फिल्म है।
अब तो ये बजट भी एक सीन हो गया है।
क्या हम इसे एक ड्रामा नहीं समझ सकते?
मैं तो बस चाहता हूं कि ये सब जल्दी खत्म हो जाए।
और जब बजट आएगा, तो मैं बस एक चाय के साथ बैठ जाऊंगा। ☕
Abhijit Padhye
मोदी जी ने बहुत सही कहा। विपक्ष को चुप कराने की जरूरत नहीं, बल्कि उन्हें एक तरह से शिक्षित करना चाहिए।
उन्हें ये समझाना चाहिए कि बजट क्या है, और इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ता है।
जब तक विपक्ष बात नहीं समझेगा, तब तक ये बहस चलती रहेगी।
हम लोगों को तो बस ये चाहिए कि बजट आए और देश आगे बढ़े।
विपक्ष को बस ये बताओ कि अगर वो कुछ बेहतर चाहते हैं, तो वो अपने विचार लाएं।
ये बहस तो बस वक्त बर्बाद कर रही है।
Shardul Tiurwadkar
मोदी जी ने बहुत अच्छा कहा। विपक्ष को चुप कराने की बजाय, उन्हें एक तरह से बुद्धिमान बनाना चाहिए।
लेकिन जब तक विपक्ष अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करेगा, तब तक ये बहस चलती रहेगी।
और जब तक हम इसे एक राजनीतिक खेल नहीं समझेंगे, तब तक ये सब बेकार है।
अरे भाई, ये तो बस एक नाटक है।
हम लोगों को तो बस ये चाहिए कि बजट आए।
और अगर विपक्ष को कुछ बेहतर चाहिए, तो वो अपने विचार लाएं।
ये बहस तो बस वक्त बर्बाद कर रही है।
मैं तो बस एक चाय के साथ बैठ जाऊंगा। ☕
UMESH ANAND
प्रधानमंत्री जी के बयान को राष्ट्रीय गरिमा का प्रतीक माना जाना चाहिए। लोकतंत्र का अर्थ विपक्ष के विरोध करना नहीं, बल्कि राष्ट्र के हित में सहयोग करना है।
संसद एक संस्था है, जिसका उद्देश्य देश की आर्थिक समृद्धि है, न कि राजनीतिक रंगमंच बनाना।
जब विपक्षी दल अपने अहंकार के कारण संसद की गरिमा को नष्ट करते हैं, तो वे देश के लिए खतरा बन जाते हैं।
भारत के विकास के लिए एक निर्णायक नेतृत्व की आवश्यकता है, और वह नेतृत्व आज भी अखंडित है।
हमें अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए विवादों को अनदेखा करना चाहिए।
यह बजट सत्र भारत के भविष्य के लिए एक निर्णायक पल है।
सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे अपने व्यक्तिगत हितों को छोड़कर राष्ट्रीय हित की ओर ध्यान दें।
हमें इस दिशा में एकजुट होना होगा।
Rohan singh
मैं तो बस ये चाहता हूं कि बजट आ जाए।
बहस तो हमेशा होती रहेगी।
लेकिन देश के लिए बजट तो जरूरी है।
अगर विपक्ष को कुछ बेहतर चाहिए, तो वो अपने विचार लाएं।
हम लोग तो बस इंतजार कर रहे हैं।
Rutuja Ghule
मोदी जी के बयान में कोई तर्क नहीं है, बस एक राजनीतिक चाल है।
विपक्ष को चुप कराने की बजाय, उन्हें सुनना चाहिए।
यह बजट सत्र एक राजनीतिक खेल है, न कि देश के लिए एक निर्णय।
क्या आप जानते हैं कि विपक्ष के विचार भी देश के लिए लाभदायक हो सकते हैं?
ये सब बस एक नाटक है।
और आप इसे असली समझ रहे हैं।
लोकतंत्र का अर्थ एक दल के नेतृत्व में दूसरे को चुप कराना नहीं है।
आप जो कर रहे हैं, वह तो एक तानाशाही है।
इसे अपने आप को शहीद बनाने के बजाय, सच्चाई को स्वीकार करें।
Haizam Shah
मोदी जी की बात सही है, लेकिन विपक्ष को चुप कराने की बजाय उन्हें एक तरह से बुद्धिमान बनाना चाहिए।
अगर विपक्ष को कुछ बेहतर चाहिए, तो वो अपने विचार लाएं।
हम लोग तो बस इंतजार कर रहे हैं।
ये बहस तो बस वक्त बर्बाद कर रही है।
मैं तो बस एक चाय के साथ बैठ जाऊंगा। ☕
लेकिन अगर विपक्ष बोलता है, तो उन्हें देश के लिए बहुत कुछ देना होगा।
विपक्ष को बस ये बताओ कि वो क्या सुझाव दे सकते हैं।
ये बहस तो बस एक नाटक है।
Ira Burjak
मोदी जी के बयान पर एक बात कहूं - विपक्ष को चुप कराने की बजाय, उन्हें सुनना चाहिए।
ये बहस तो बस वक्त बर्बाद कर रही है।
हम लोग तो बस इंतजार कर रहे हैं।
Vipin Nair
विपक्ष को चुप कराने की बजाय, उन्हें सुनना चाहिए।
हम लोग तो बस इंतजार कर रहे हैं।