पोप फ्रांसिस द्वारा 21 नए कार्डिनलों की नियुक्ति: चर्च में महत्वपूर्ण परिवर्तन

अक्तूबर 7 विवेक शर्मा 0 टिप्पणि

पोप फ्रांसिस की नई नियुक्तियाँ: चर्च के भविष्य की दिशा

पोप फ्रांसिस ने घोषणा की है कि वह दिसंबर 8 को 21 नए कार्डिनलों की नियुक्ति करेंगे। यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण कदम है, जो कैथोलिक चर्च के धर्मानुयायियों के लिए न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी राजनैतिक और सामाजिक प्रभाव भी होंगे। नए नियुक्तियों के माध्यम से, पोप फ्रांसिस ने यह स्पष्ट किया है कि वह चर्च में विविधता और समावेशिता के लिए प्रतिबद्ध हैं। नियुक्ति प्रक्रिया को धर्मसभा, जिसे कौंसील कहा जाता है, के माध्यम से पूरा किया जाएगा।

कैथोलिक चर्च की संरचना और कार्डिनलों की भूमिका

कैथोलिक चर्च की संरचना में कार्डिनलों का स्थान पोप के ठीक नीचे होता है। इन्हें 'चर्च के राजकुमार' के रूप में जाना जाता है। हालांकि, पोप फ्रांसिस इन्हें सरलता की ओर प्रेरित करते हैं, ताकि वे समाज के कमज़ोर वर्ग के साथ खड़े रहें। कार्डिनल्स का मुख्य कार्य पोप के निकट सलाहकार के रूप में काम करना है और पोप के अनुउपस्थित होने पर उनका उत्तराधिकारी चुनने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर होती है।

धर्मसभा और भविष्य की दृष्टि

धर्मसभा, जिसे कौंसील कहा जाता है, में नए कार्डिनलों की नियुक्ति की जाएगी। यह पोप फ्रांसिस की दसवीं कौंसील होगी। विभिन्न देशों से आए नए नियुक्त कार्डिनल्स चर्च को सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान करेंगे। यह पहली बार नहीं है जब पोप ने इस दिशा में पहल की है। उन्होंने पहले भी चर्च की पारंपरिक संरचनाओं को चुनौती दी है और नए दृष्टिकोण पेश किए हैं।

1970 में ऊमर सीमा को लागू किया गया था, जिसके अनुसार 80 साल से कम उम्र के कार्डिनलों को पोप के चुनाव में वोट देने का अधिकार होता है। वर्तमान में चर्च में 122 कार्डिनल्स हैं जो वोट देने में सक्षम हैं, भले ही नियमिक संख्या 120 है। इसके बावजूद, यह कदम एक संकेत है कि पोप फ्रांसिस युवा कार्डिनलों में ऊर्जा और दृष्टिकोण को तवज्जो दे रहे हैं।

आने वाला समय और पोप के सपने

इन नई नियुक्तियों के माध्यम से, पोप फ्रांसिस एक ऐसे चर्च की स्थापना करने की कोशिश कर रहे हैं जो अधिक सामाजिक रूप से संवेदनशील और जन-समर्थक हो। चर्च के इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर कार्डिनल, उनकी उम्र के बावजूद, जनरल कांग्रेगेशन में योगदान कर सकता है। इन बैठकों में, वे अपने दृष्टिकोण साझा कर सकते हैं कि किस प्रकार का व्यक्ति युवा कार्डिनल्स को उनके बीच चुनना चाहिए।

यह फैसला चर्च के भीतरी राजनीति को भी संशोधित करने की संभावना दिखाता है। चूंकि पोप फ्रांसिस खुद लैटिन अमेरिका के पहले पोप हैं, उनके कदम इस दिशा में स्पष्ट संकेत देते हैं कि वह चर्च की अंतरराष्ट्रीय छवि को और अधिक व्यापक बनाना चाहते हैं। इसका परिणाम एक ऐसा चर्च होगा जो सिर्फ यूरोपीय नहीं, बल्कि विश्व स्तर पर विविध और समावेशी होगा।

विवेक शर्मा

विवेक शर्मा (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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