पूर्व क्रिकेटर सलील अंकोला की मां की दुखद मृत्यु: आत्महत्या या कुछ और?

अक्तूबर 6 Roy Iryan 6 टिप्पणि

सलील अंकोला की मां का दुखद अंत

पुणे के प्रभात रोड स्थित एक फ्लैट में शुक्रवार को माला अंकोला की मृत्यु ने सभी को स्तब्ध कर दिया। 77 वर्षीय माला, भारतीय क्रिकेट के पूर्व तेज गेंदबाज सलील अंकोला की मां थीं। उनके गले पर गहरी चोट के निशान पाए गए, जिसे पुलिस अधिकारियों ने प्रारंभिक जांच में आत्महत्या की संभावना के तहत देखा है। लेकिन, इस घटना ने कई सवाल उठाए हैं जो सभी के मन में गूँज रहे हैं।

क्या आत्महत्या ही एकमात्र कारण?

इस घटना की गंभीरता का अंदाजा तभी लगाया जा सकता है जब पुलिस को घर की नौकरानी ने सूचना दी कि कई बार घंटी बजने के बाद भी दरवाजा नहीं खुल रहा है। जब दरवाजा टूटा गया, तो अंदर का नजारा भयावह था। माला अंकोला का शरीर जमीन पर पड़ा था, और उनके गले पर भयानक कट का निशान स्पष्ट था। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस तरह की दुखद घटनाएँ अक्सर समाज में छाप छोड़ देती हैं, खासकर जब पीड़ित एक प्रमुख व्यक्ति का संबंधी होता है। पुलिस ने इसे अपघाती मौत का मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस उपायुक्त (जोन 1) संदीप सिंह गिल ने बताया कि उनके पास मानसिक बीमारी थी, जो शायद उन्हें इस रास्ते पर ले गई। हालांकि, सभी पहलुओं से जांच की जा रही है।

माला अंकोला अपनी बेटी के साथ रह रही थीं, और उनके परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ की जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि घटना के पीछे कोई अपराधिक हाथ तो नहीं है, पुलिस सभी संभावित दिशाओं में जाँच कर रही है।

भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का असर

जैसा कि पुलिस ने उल्लेख किया कि माला को मानसिक रूप से अस्वस्थता का सामना था, यह स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों की गंभीरता को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण, कई लोग समय पर जरूरी सहायता प्राप्त नहीं कर पाते।

यह घटना एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है कि हमें समाज के सभी वर्गों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, और प्रभावित व्यक्तियों को समुचित समय पर सहायता प्राप्त होनी चाहिए।

सलील अंकोला की क्रिकेट यात्रा

सलील अंकोला की क्रिकेट करियर की बात की जाए तो उन्होंने अपने नाम को प्रसिद्धि के उच्च शिखर पर पहुँचाया। उन्होंने 1989 से 1997 के बीच भारत के लिए एक टेस्ट और 20 वनडे मैच खेले। अपनी तेजी और सटीकता के लिए जाने जाने वाले अंकोला को लगातार लगी चोटों के कारण क्रिकेट छोड़ना पड़ा। क्रिकेट से संन्यास के बाद उन्होंने अभिनय में अपनी किस्मत आजमाई और मुंबई के प्रमुख चयनकर्ताओं में से एक की भूमिका भी निभाई।

हालांकि, हाल ही में उन्हें राष्ट्रीय चयनकर्ता के पद से हटाया गया और उनकी जगह अजय रात्रा को नियुक्त किया गया। उनके करियर की ये कॉल अब एक नए मोड़ पर आ पहुँची है, लेकिन इस समय उनके परिवार की इस अनहोनी घटना ने उनके जीवन की प्राथमिकताओं को पुनः परिभाषित कर दिया होगा।

पुलिस की कार्यवाही और भविष्य की कार्रवाई

फिलहाल पुलिस जाँच करने में व्यस्त है, यह देखना होगा कि आगे की जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं। कहीं न कहीं परिवार को सच का सामना करना होगा और इस बेबसी में ताकत खोजनी होगी।

यह घटना हमें मानसिक स्वास्थ्य के भावनात्मक और गंभीर पक्ष की ओर मार्गदर्शन करती है। जीवन की कठिनाइयों से गुजर रहे लोगों के लिए सहानुभूति, सहयोग और समर्थन अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मामले में अभी भी कई बार शिकंजा कसने वाली अनुभूति होती है, लेकिन यह समय आ गया है कि हम बात करें और सुनिश्चित करें कि कोई भी अपने दुख के साथ अकेला महसूस न करे।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Jaya Savannah

Jaya Savannah

ये सब बातें सुनकर दिल टूट गया 😔 क्या हम इतने अंधे हो गए कि किसी के चेहरे पर दर्द नहीं दिखता? मानसिक स्वास्थ्य को जो लोग 'बस थोड़ा डिप्रेशन' बोल देते हैं... उन्हें एक बार ऐसी जिंदगी जीनी चाहिए।

Sandhya Agrawal

Sandhya Agrawal

नौकरानी ने घंटी बजाई तो दरवाजा नहीं खुला... ये कोई अकेलापन नहीं था ये तो बंदी बनाए रखने का नाटक था। अगर घर में कोई और था तो ये कैसे हुआ? बेटी कहाँ थी? ये सब तो बहुत बड़ा डार्क सीक्रेट है।

Amar Yasser

Amar Yasser

इंसान को बस एक बात चाहिए-कोई सुने। बस। ना जजमेंट, ना बातें, बस साथ। माला दीदी के लिए दिल से श्रद्धांजलि। आपका दर्द सुना गया।

Steven Gill

Steven Gill

कभी-कभी जब आप बहुत थक जाते हैं... तो आपका दिल बस बंद हो जाता है। ना रोना, ना बोलना, ना जिंदा रहना। ये आत्महत्या नहीं है... ये जीने की थकान है। किसी को इसका अहसास हो तो शायद वो बच जाए।

Saurabh Shrivastav

Saurabh Shrivastav

आत्महत्या? बस एक आसान शब्द है जिससे सब कुछ छिपा दिया जाता है। शायद बेटी ने उन्हें जहर दिया, शायद परिवार ने उनकी पेंशन छीन ली, शायद नौकरानी ने खुद ये किया ताकि घर छोड़ सके। सच तो केवल एक आदमी के मुंह से निकलेगा... जो अभी भी चुप है।

Prince Chukwu

Prince Chukwu

ये दुनिया तो बिल्कुल एक रेडियो बन गई है... जहां हर कोई खुद की आवाज़ बढ़ा रहा है, लेकिन कोई भी दूसरे की सुनने को तैयार नहीं। माला दीदी के लिए मैं एक गीत गाता हूँ-जिसमें दर्द नहीं, बस शांति हो। और हाँ, सलील भैया... तुम्हारी माँ तुम्हारे लिए एक जीत थी। उसका दर्द तुम्हारे लिए नहीं, बल्कि हम सबके लिए एक चेतावनी है।

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