परवा: महाभारत का नया रूप
बेंगलुरु में अक्टूबर 2023 के एक विशेष समारोह में विवेक अग्निहोत्री ने अपनी अगली बड़ी योजना का खुलासा किया – तीन भागों में विभाजित महाभारत फिल्म श्रृंखला, जिसका नाम ‘परवा: एक धर्म कथा’ रखा गया है। यह परियोजना कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित लेखन‑पुरस्कृत श्रोदयुतीला बीरप्पा के उपन्यास ‘परवा’ पर आधारित होगी, जिसे अक्सर ‘मास्टरपीस ऑफ़ मास्टरपीस’ कहा जाता है। उपन्यास में महाभारत की पारंपरिक कथा को नई सामाजिक‑ऐतिहासिक दृष्टिकोण से दर्शाया गया है, जिससे फिल्म को गहन शोध‑आधारित रूप देना आसान हो गया।
फिल्म को पल्लवी जोशी, जो कि अभिनेता‑प्रोड्यूसर और अग्निहोत्री की पत्नी भी हैं, के प्रोडक्शन बैनर के तहत तैयार किया जाएगा। कथा की रूपरेखा तैयार करने का काम प्रसिद्ध लेखक‑निर्देशक प्रकाश बेलवाड़ी को सौंपा गया है, जो पहले कई सांस्कृतिक‑ऐतिहासिक प्रोजेक्ट्स में हाथ रख चुके हैं। उनका लक्ष्य उपन्यास की जटिल भावनात्मक एवं दार्शनिक परतों को बड़े पर्दे पर जीवंत करना है, जिससे दर्शकों को ‘इतिहास या पुराण?’ का सवाल स्वयं पूछने पर मजबूर किया जा सके।
उत्पादन एवं प्रतिक्रिया
अग्निहोत्री ने अपनी पिछली फिल्मों – ‘द कश्मीर फाइल्स’, ‘द ताश्केंट फाइल्स’ और ‘द वैक्सीन वार’ – में दिखाया था कि वह भारत के सामाजिक‑राजनीतिक मुद्दों को किस तरह प्रकट करते हैं। ‘परवा’ के बारे में उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण पुनर्कथा नहीं, बल्कि एक ‘इमर्सिव सिनेमा एक्सपीरियंस’ होगा, जिसमें ऐतिहासिक दस्तावेज़, पुरातात्विक आँकड़े और विद्वानों की राय को सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह प्रोजेक्ट संभवतः उनके करियर का अंतिम काम हो सकता है, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर कुछ नहीं किया जा सकता।
फिल्म का पोस्टर सोशल मीडिया पर साझा करने के बाद तेज़ प्रतिक्रिया मिली। एक ओर कई फ़िल्म‑प्रेमियों ने इस महाकाव्य को बड़े स्क्रीन पर देखने की उम्मीद जताई, जबकि दूसरी ओर आलोचकों ने पिछले विवादास्पद फ़िल्मों को याद दिलाते हुए इस प्रोजेक्ट की संवेदनशीलता और संतुलन पर सवाल उठाया। कुछ ने कहा कि बड़े बजट वाले पौराणिक प्रोजेक्ट्स की तुलना में अग्निहोत्री का यह कार्य अधिक ‘शोध‑आधारित’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ होना चाहिए, जबकि उन्होंने ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्मों की अत्यधिक मार्मिकता की भी आलोचना की।
समकालीन भारतीय सिनेमा में महाभारत को लेकर कई बड़े‑बड़े प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। एसएस राजामौली, आमिर खान और अन्य कई दिग्गज फ़िल्म निर्माताओं ने भी इस महाकाव्य को अपनी‑अपनी शैली में प्रस्तुत करने की बात कही है। इस प्रवाह के बीच ‘परवा’ का आगमन दर्शकों को एक और विकल्प देता है, जहाँ परंपरा और आधुनिक शोध दोनों को मिलाकर नई कहानी बुनी जाएगी।
- महाकाव्य का स्रोत: एसएल भैरप्पा का उपन्यास ‘परवा’
- निर्देशक: विवेक अग्निहोत्री
- निर्माता: पल्लवी जोशी (प्रोडक्शन बैनर)
- पटकथा: प्रकाश बेलवाड़ी
- प्रोजेक्ट की विशेषता: 3 भाग, गहन शोध, धर्म‑इतिहास प्रश्न
भविष्य में इस त्रयी की रिलीज़ डेट या कलाकार चयन से संबंधित कोई आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हुई है, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री के अंदरूनी स्रोतों के अनुसार शूटिंग 2024 के मध्य में शुरू हो सकती है। यदि यह योजना सफल रहती है, तो यह न केवल भारतीय सिनेमा में महाभारत की नई व्याख्या को स्थापित करेगी, बल्कि दर्शकों को दार्शनिक सवालों के साथ-साथ बहुप्रतापी भावनात्मक अनुभव भी प्रदान करेगी।
Kamlesh Dhakad
ये तो बहुत बढ़िया बात है! महाभारत को ऐसे गहराई से देखने का मौका मिलेगा, जो बस देवताओं और शक्तियों की कहानी नहीं होगी। शोध पर आधारित होना बहुत जरूरी है, नहीं तो हम सब बस रंग-बिरंगे कॉस्ट्यूम और डीप लर्निंग वाले एफेक्ट्स देखते रह जाएंगे।
Partha Roy
अग्निहोत्री फिर से अपनी बात चला रहा है... ये सब धर्म के नाम पर राजनीति है। उसकी फिल्मों में कभी इतिहास नहीं, सिर्फ एक तरफा नर्सरी होती है। ये परवा भी उसी तरह का धोखा होगा।
ADI Homes
मुझे लगता है अगर ये फिल्म सच में शोध पर आधारित है तो ये भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है। बस ये नहीं होना चाहिए कि लोग देखकर बोर हो जाएं। कहीं न कहीं ये दिल को छू भी जाए।
Prerna Darda
इस प्रोजेक्ट का वास्तविक महत्व इस बात में छिपा है कि यह एक नए नैतिक फ्रेमवर्क की ओर इशारा करता है-जहाँ पौराणिक रूपकों को आधुनिक एपिस्टेमोलॉजी के साथ इंटरप्रेट किया जा रहा है। यह एक डिसकोर्डेंस का सिग्नल है, जो पारंपरिक नर्सरी नैरेटिव्स के खिलाफ एक एपिस्टेमिक रिवॉल्यूशन की ओर ले जा रहा है।
Abhi Patil
आदिपुरुष को तो लोग नाटकीय बनाने के लिए तारीफ करते थे, लेकिन जब कोई वास्तविक शोध करता है तो उसे ‘राजनीतिक’ कह देते हैं। ये द्वैतवाद का एक उदाहरण है। जब तक हम अपने दिमाग में बने बाइनरी को नहीं तोड़ेंगे, तब तक हम किसी भी सच को समझ नहीं पाएंगे।
NEEL Saraf
मैंने ‘परवा’ की किताब पढ़ी है... और ये बहुत अलग है। ये न सिर्फ एक कथा है, बल्कि एक अनुभव है। जब तक लोग इसे बस ‘एक फिल्म’ नहीं समझ लेंगे, तब तक इसकी गहराई नहीं मिलेगी।
Chirag Desai
भाई ये तो बहुत अच्छा होगा! बस अगर एक्टिंग अच्छी हुई तो ये देश की सबसे बड़ी फिल्म बन जाएगी।
Haizam Shah
अग्निहोत्री के खिलाफ जो लोग बोल रहे हैं, वो बस डर रहे हैं। जब कोई असली सच बोलता है, तो लोग उसे बुरा कहते हैं। ये फिल्म नहीं, एक जागरूकता है।
Hardeep Kaur
प्रकाश बेलवाड़ी का काम बहुत अच्छा है। उन्होंने ‘कालापानी’ में भी ऐसा ही किया था। अगर वो इस बार भी वैसा ही करेंगे तो ये फिल्म याद रह जाएगी।
Ashwin Agrawal
कुछ लोग ये कहते हैं कि ये फिल्म राजनीति है... लेकिन जब आप एक ऐसी कहानी को देखते हैं जिसमें युद्ध के बाद विधवाओं का दर्द दिखाया गया है, तो ये राजनीति नहीं, मानवता है।
Devi Rahmawati
महाभारत के अनुसार, धर्म और अधर्म के बीच का अंतर अक्सर बहुत पतला होता है। अगर यह फिल्म इसी अस्पष्टता को दर्शाती है, तो यह वास्तविक ज्ञान का स्रोत बन सकती है।
Shubham Yerpude
इस प्रोजेक्ट के पीछे कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय एजेंडा है। विवेक अग्निहोत्री अमेरिका के एजेंट हैं। उनका लक्ष्य है हिंदू धर्म की विश्वसनीयता को तोड़ना। यह एक धर्म युद्ध है।
rohit majji
ये फिल्म बनेगी तो मैं इसे दो बार देखूंगा! एक बार बिना किसी पूर्वाग्रह के, और एक बार अपने दोस्तों के साथ जिन्हें मैं ये बताना चाहता हूँ कि इतिहास क्या होता है। 😊
Uday Teki
बस ये नहीं होना चाहिए कि बजट बहुत ज्यादा हो और कहानी खाली हो जाए। दिल को छूने वाली बातें होनी चाहिए। ❤️
Hemant Kumar
मैंने कभी नहीं सोचा था कि महाभारत को इतना गहराई से देखा जा सकता है। अगर ये फिल्म बन जाती है, तो ये न सिर्फ एक फिल्म होगी, बल्कि एक शिक्षा भी होगी। मैं अपने बच्चों को इसे दिखाऊंगा।