19 मिनट का वीडियो वायरल: स्वीट जन्नत नहीं, डीपफेक ने बनाया ये धोखा

दिसंबर 16 Roy Iryan 0 टिप्पणि

अंतिम नवंबर 2025 में, एक 19 मिनट 34 सेकंड का निजी वीडियो इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम और एक्स (पहले ट्विटर) पर वायरल हो गया — और एक अज्ञात और अनुचित सामग्री के रूप में फैलने लगा। लेकिन यहाँ का सच बहुत अलग था। वीडियो में जिस औरत को दिखाया गया, उसका चेहरा किसी और का था — और वो थी स्वीट जन्नत, मेघालय के महेंद्रगंज की 3.5 लाख फॉलोअर्स वाली डिजिटल क्रिएटर। उन्हें बिना किसी साक्ष्य के दोषी ठहराया गया। और इसके बाद, उनके कमेंट सेक्शन में गंदी बातें बरसने लगीं।

वीडियो वायरल हुआ, लेकिन वो नहीं थी

जब वीडियो पहली बार चला, तो लोगों ने तुरंत स्वीट जन्नत के नाम को जोड़ दिया। उनके इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर हजारों लोगों ने वीडियो शेयर करने की मांग की। कुछ ने तो उन्हें धमकियां भी भेजीं। लेकिन जब उन्होंने अपनी आवाज़ में जवाब दिया — एक वीडियो में जो 28 नवंबर, 2025 को अपलोड किया गया — तो उसने 1.6 करोड़ व्यूज हासिल किए। उन्होंने कहा: "वीडियो में जो लड़की है, वो मुझे जैसी नहीं लगती।" उनकी आवाज़, चेहरे की बनावट, आंखों की चमक — सब कुछ अलग था।

डीपफेक का खेल: भारत में 40% बढ़ोतरी

क्या ये सिर्फ एक गलत अनुमान था? नहीं। डिजिटल नियामक और साइबर एक्सपर्ट्स ने एक स्पष्ट तथ्य बताया: ये एक डीपफेक था। YouTube के चैनल 'Sweet Zannat: कौन है इनफ्लुएंसर स्वीट जन्नत?' की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत में डीपफेक वीडियो के मामले 40% बढ़ गए। ये तकनीक अब इतनी आसान हो गई है कि किसी भी आम इंसान का चेहरा किसी अनुचित सामग्री में लगाया जा सकता है। ISH News की फैक्ट-चेकिंग रिपोर्ट ने साफ कहा: "उनका चेहरा, शरीर की हरकतें, अंग्रेजी बोलने का तरीका — सब कुछ वीडियो से मेल नहीं खाता।"

असली जड़: बंगाल के इन्फ्लुएंसर्स का दर्द

लेकिन ये वीडियो कहाँ से आया? जवाब आया सोफिक एसके और डस्टू सोनाली से — दो बंगाली इन्फ्लुएंसर्स जिन्होंने अपने एक 15 मिनट के निजी वीडियो की बात की। उन्होंने बताया कि ये वीडियो उन्होंने अपने एक घुल-मिल दोस्त के साथ बनाया था — एक रोमांटिक और अनुचित लेकिन सहमति से बनाया गया वीडियो। लेकिन उस दोस्त ने इसे चुरा लिया, और फिर उन्हें काला धोखा देकर इसे ऑनलाइन डाल दिया। उन्होंने ISH News को बताया: "हम शर्मिंदा हैं। दर्द हो रहा है।"

हर उस लड़की को निशाना बनाया गया

इस वायरल वीडियो का असर केवल स्वीट जन्नत तक सीमित नहीं रहा। जिन औरतों के चेहरे या शरीर की बनावट वीडियो में दिख रही थी — वो सभी ऑनलाइन हरासमेंट का शिकार बन गईं। कुछ इन्फ्लुएंसर्स के कमेंट सेक्शन में लाखों गंदी बातें आईं। कुछ लोगों ने तो सोशल मीडिया पर वीडियो खरीदने के लिए ₹500 से ₹5,000 तक का ऑफर दिया। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, ये एक नया रुझान बन गया है: अनुचित सामग्री को शेयर करना, इसे बेचना — और फिर उसकी शिकायत करना।

कानून का जवाब: अभी तक कोई नहीं, लेकिन जांच चल रही है

कानून का जवाब: अभी तक कोई नहीं, लेकिन जांच चल रही है

अब तक कोई पुलिस या सरकारी एजेंसी ने वीडियो में दिख रहे वास्तविक व्यक्तियों की पहचान नहीं की है। लेकिन जांच शुरू हो चुकी है। साइबर क्राइम यूनिट ने वीडियो के डाउनलोड और शेयरिंग के पैटर्न को ट्रैक करना शुरू कर दिया है। अगर आप इस वीडियो को शेयर करते हैं — चाहे आप जानते हों या नहीं — तो आप भी आईटी एक्ट के तहत दोषी ठहराए जा सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं: "ये सिर्फ एक वीडियो नहीं, ये एक नया आईटी अपराध है।"

क्या अब और कोई भी डिजिटल व्यक्ति सुरक्षित है?

ये मामला भारत के डिजिटल युग की एक बड़ी चेतावनी है। अब कोई भी आम इंसान — चाहे वो एक छोटा सा रील क्रिएटर हो या एक बड़ा इन्फ्लुएंसर — अपने चेहरे को खो सकता है। और जब आपका चेहरा किसी अनुचित सामग्री में दिखे, तो आपकी प्रतिष्ठा, आय, और जिंदगी भी बर्बाद हो सकती है। एक डीपफेक वीडियो बनाने के लिए अब कोई एडवांस टेक्नोलॉजी की जरूरत नहीं। एक सस्ता ऐप, एक फोन — और आप एक अपराधी बन सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या स्वीट जन्नत वास्तव में वीडियो में हैं?

नहीं। कई फैक्ट-चेकिंग एजेंसियों और साइबर विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि वीडियो में दिख रही औरत का चेहरा, शरीर की हरकतें और अंग्रेजी बोलने का तरीका स्वीट जन्नत से मेल नहीं खाता। ये एक डीपफेक है, जिसमें उनका चेहरा किसी और के वीडियो पर लगाया गया है।

इस वीडियो का असली स्रोत क्या है?

वास्तविक वीडियो बंगाल के इन्फ्लुएंसर्स सोफिक एसके और डस्टू सोनाली ने अपने निजी रिश्ते में बनाया था। इसे उनके एक दोस्त ने चुराकर ऑनलाइन लीक कर दिया। दोनों ने इसे अपने आप शेयर नहीं किया।

इस वीडियो को शेयर करने पर क्या कानूनी परिणाम हो सकते हैं?

भारतीय आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67 के तहत, अश्लील सामग्री को शेयर करना अपराध है। अगर आप इस वीडियो को भेजते, डाउनलोड करते या फॉरवर्ड करते हैं, तो आपको तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है — चाहे आप जानते हों या नहीं कि ये डीपफेक है।

डीपफेक वीडियो क्यों इतने आम हो रहे हैं?

2025 में भारत में डीपफेक मामलों में 40% की बढ़ोतरी हुई। ये तकनीक अब फोन ऐप्स के जरिए सिर्फ 10 मिनट में उपलब्ध है। आप एक तस्वीर अपलोड कर सकते हैं, और एक AI उसे किसी भी वीडियो में लगा सकता है — बिना किसी टेक्निकल ज्ञान के।

इस घटना ने समाज पर क्या प्रभाव डाला है?

इस घटना ने डिजिटल निजी जीवन के प्रति एक बड़ी डर की भावना फैलाई है। कई युवा महिलाएं अब अपने वीडियो शेयर करने से डर रही हैं। ऑनलाइन हरासमेंट के मामले बढ़े हैं, और लोग अब किसी भी लड़की को अनुचित वीडियो का टारगेट मानने लगे हैं।

क्या सरकार इस समस्या का समाधान कर रही है?

सरकार ने अभी तक कोई विशेष कानून नहीं बनाया है, लेकिन साइबर क्राइम यूनिट्स ने वीडियो के डिस्ट्रीब्यूशन के पैटर्न की जांच शुरू कर दी है। अगले तीन महीनों में डीपफेक के खिलाफ एक नया नियामक ढांचा तैयार किया जाना है — जिसमें ऐप्स को डीपफेक टूल्स बनाने से रोकने का प्रावधान होगा।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

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