बीपीएससी परीक्षा विवाद में खान सर की भूमिका
पटना पुलिस ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी करते हुए फैज़ल खान, जिन्हें सभी 'खान सर' के नाम से जानते हैं, की गिरफ्तारी की खबरों का खंडन किया है। खान सर, पटना के एक जाने-माने शिक्षक और यूट्यूबर हैं, जिनका सोशल मीडिया पर बड़ा प्रभाव है। मामला तब गरमा गया जब उन्हें बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) ऑफिस के बाहर हुए एक अनधिकृत प्रदर्शन से जुड़ा बताया गया।
यह प्रदर्शन बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में प्रस्तावित सामान्यीकरण प्रक्रिया के विरोध में किया गया था, जो 13 दिसंबर को होने जा रही है। शिक्षार्थियों ने इस प्रक्रिया को कथित रूप से अनुचित बताते हुए इसके खिलाफ आवाज उठाई। प्रदर्शन के दौरान स्थिति गंभीर हो गई और प्रशासन का हस्तक्षेप आवश्यक हो गया।
खान सर का प्रदर्शन में शामिल होना
खान सर ने अपनी ओर से प्रदर्शनकारियों के प्रतिरोध को समझा और उनके साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। लेकिन यह साफ़ है कि उन्होंने किसी अन्य गैरकानूनी गतिविधि में कोई भूमिका नहीं निभाई। पुलिस स्टेशन का स्वैच्छिक दौरा करने के बाद, उन्होंने सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए समर्थन प्रकट किया। हालांकि पुलिस द्वारा उन्हें बार-बार जाने को कहा गया। बाद में, खान सर ने पुलिस अधिकारियों से अनुरोध किया कि उन्हें उस स्थान तक छोड़ा जाए जहां उनकी कार खड़ी थी।
तथ्यों की गलत व्याख्या और प्रशासन की प्रतिक्रिया
सूचना के फैलाव के इस युग में गलत जानकारी तेजी से फैल सकती है। 'खान ग्लोबल स्टडीज' नामक एक सोशल मीडिया प्रोफाइल ने यह दावा किया कि खान सर को गिरफ्तार कर लिया गया था। इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ जलवायु कार्यवाही शुरू की, जिसने यह गलत सूचना फैलाई। सब-डिवीजनल पुलिस ऑफिसर अनु कुमारी ने जोर देकर कहा कि खान सर की गिरफ्तारी संबंधी दावे पूरी तरह से आधारहीन और उकसाने वाले थे।
बीपीएससी की नियुक्ति प्रणाली पर विवाद
बीपीएससी ने स्पष्ट किया है कि सामान्यीकरण प्रक्रिया को लागू नहीं किया जाएगा। परीक्षा को अपने मूल रूप से एक ही शिफ्ट में आयोजित करने की घोषणा की गई है। यह निर्णय अभ्यर्थियों के मन में उत्पन्न भ्रम को दूर करने और परीक्षा की पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए है।
इस विवाद के चलते प्रदर्शन के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा छात्रों को हिरासत में लिया गया, और दो अलग-अलग एफआईआर छात्र नेता दिलीप कुमार के खिलाफ दर्ज की गईं। एक प्रदर्शन अनधिकृत रूप से आयोजित करने और कानून व्यवस्था को बाधित करने के लिए, और दूसरी फर्जी जानकारी फैलाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट के संचालक के खिलाफ।
प्रदर्शन की तेजी तब बढ़ गई जब अन्य एक शिक्षक, गुरु रहमान ने भी खान सर के साथ मिलकर बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन का समर्थन किया, खासकर तब जब पटना पुलिस ने उनके खिलाफ लाठीचार्ज किया।
Chirag Desai
खान सर को गिरफ्तार करने की बात सुनकर तो मैंने सोचा अब तो बिहार में कोई भी बात कहने लायक नहीं रह गया। पुलिस ने साफ कर दिया, अच्छा हुआ।
Shubham Yerpude
यह सब एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र है। जब तक बीपीएससी के अधिकारी अपने अधिकार के बारे में अपनी शिक्षा नहीं लेते, तब तक यह विवाद जारी रहेगा। शिक्षा एक राष्ट्रीय संपत्ति है, और इसे अंधेरे में रखा जा रहा है।
Hardeep Kaur
खान सर जैसे लोगों की मदद से ही छात्रों को सही जानकारी मिलती है। उनकी शांति और समझदारी को तारीफ चाहिए। इस तरह के शिक्षकों को समर्थन देना हमारा कर्तव्य है।
Abhi Patil
इस प्रक्रिया के विरोध में जो आंदोलन हुआ, वह एक बुद्धिजीवी विद्रोह का उदाहरण है। जब शिक्षा को ब्यूरोक्रेटिक नियमों के अधीन किया जाता है, तो वह एक अस्तित्व के लिए संघर्ष में बदल जाता है। खान सर ने न केवल एक व्यक्ति के रूप में, बल्कि एक सामाजिक चेतना के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज की। यह एक ऐतिहासिक घटना है।
Prerna Darda
यह सब एक अतिरिक्त ब्यूरोक्रेसी का अभिनय है। जब तक हम अपनी परीक्षा प्रणाली को डिजिटल और डेटा-ड्रिवन बनाने की ओर नहीं बढ़ेंगे, तब तक ऐसे विवाद बने रहेंगे। खान सर ने सही दिशा में एक छोटा सा कदम उठाया है - अब बाकी हमें इसे बड़ा करना है।
rohit majji
yrr ye sab kuchh bhot accha hua.. khansar ko support krna chahiye.. bhaiyo aur behno, hum bhi apne rights ke liye khade ho sakte hain!
Devi Rahmawati
इस प्रकार की घटनाओं में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका समर्थन छात्रों के लिए न केवल भावनात्मक रूप से बल्कि नैतिक रूप से भी एक आधार है। बीपीएससी का निर्णय सही था, और पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया ने अफवाहों को रोकने में सफलता प्राप्त की।