बिहार में प्रधानमंत्री मोदी के पांव छूने की घटना के पीछे का संदेश और उसकी राजनीतिक गहराई
नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी: मंच पर एक अनोखी घटना
बिहार की राजनीति में एक ऐसी घटना देखने को मिली जो लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रह सकती है। दरभंगा के एक आयोजन के दौरान, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की, तो इसने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। यह घटना तब घटित हुई जब प्रधानमंत्री मोदी राज्य में विभिन्न महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे थे।
यह घटना अपने आप में अनूठी थी। जैसे ही नीतीश कुमार, 73, हाथ जोड़कर प्रधानमंत्री मोदी की ओर बढ़े और उनके पैरों की ओर झुके, प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत उन्हें रोक दिया। इसके बजाय, उन्होंने नीतीश को गले लगाया और उन्हें अपने पास बैठने का अनुरोध किया। यह वीडियो बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और पूरे देश में इस घटना की चर्चा होने लगी।
भीतर का विनम्रता संदेश
इस घटना ने एक बार फिर से नीतीश कुमार की विनम्रता का प्रदर्शन किया। यह पहली बार नहीं था जब नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का प्रयास किया। इससे पहले, जून में संसद के सेंट्रल हॉल और अप्रैल में नवादा में एक लोकसभा चुनाव रैली में भी उन्होंने ऐसा ही करने का प्रयास किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री की प्रशंसा की। उन्होंने उनके नेतृत्व और बिहार के विकास में उनके प्रयासों की सराहना की। मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने राज्य को 'जंगल राज' के दौर से निकालकर सुशासन की एक मिसाल कायम की है। उन्होंने बिहार की बाढ़ समस्याओं के समाधान के लिए 11,000 करोड़ रुपये की परियोजना का भी उद्घाटन किया।
स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव
प्रधानमंत्री ने दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की आधारशिला रखी। यह परियोजना न केवल मिथिला, कोसी, और तिरहुत के लोगों को सेवा देगी बल्कि पश्चिम बंगाल और नेपाल के निकटवर्ती क्षेत्रों के लोगों को भी लाभान्वित करेगी। इसके परिणामस्वरूप छोटे शहरों में स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सुधारने और नई रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में हुए सुधार से राज्य नए मॉडल के रूप में उभरा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से इलाज को सुलभ और किफायती बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस परियोजना से न केवल राज्य के लोगों को लाभ होगा, बल्कि यह राज्य के आर्थिक विकास को भी सहयोग करेगी।
इस पूरे आयोजन ने राजनीति के भीतरी दायरे में कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह सिर्फ एक नेता की विनम्रता थी, या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक संदेश छुपा था? बिहार की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले लोग इस घटना की अलग-अलग व्याख्या कर सकते हैं। परंतु यह निश्चित है कि इसने भाजपा और जनता दल यूनाइटेड के बीच के रिश्तों के नए आयामों को उजागर किया है।
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