हिज़्बुल्लाह: आसान शब्दों में समझें
हिज़्बुल्लाह नाम सुनते ही बहुत से लोग राजनीति, सुरक्षा या धार्मिक समाचार याद करते हैं। लेकिन असल में यह क्या है, कब बना और इसका मकसद क्या है? इस लेख में हम इसे एकदम साधारण भाषा में देखेंगे, ताकि आप तुरंत समझ सकें।
हिज़्बुल्लाह का गठन और मुख्य विचारधारा
हिज़्बुल्लाह 1980 के दशक में लेबनान में उभरा, जब देश में नागरिक युद्ध चल रहा था। इसका मतलब है "ईश्वर की पार्टी"। ये लोग शिया मुस्लिमों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए लड़ते हैं, साथ ही इज़राइल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध भी करते हैं। उनका मानना है कि इज़राइल का अस्तित्व लेबनान और आसपास के मुस्लिम देशों के लिए खतरा है।
समूह ने सबसे पहले सामाजिक सेवा जैसे स्कूल, अस्पताल और सड़कों की मरम्मत करके अपनी लोकप्रियता बढ़ाई। लोग देख रहे थे कि सरकारी संस्थाएँ अक्सर काम नहीं कर रही थीं, तो हिज़्बुल्लाह की मदद से रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी हो रही थीं। इस कारण से उनका आधार मजबूत हुआ।
हिज़्बुल्लाह की मुख्य गतिविधियाँ और असर
संदेह नहीं कि हिज़्बुल्लाह ने कई बड़े सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया है। 2006 का इज़राइल‑लेबनान युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहाँ उन्होंने खुफिया, रॉकेट और द्रोणों से इज़राइल पर बड़े पैमाने पर हमला किया। इससे लेबनान में उनका सैन्य मान बढ़ा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें बहुत ही विवादास्पद माना गया।
आज हिज़्बुल्लाह का कार्यक्षेत्र सिर्फ सशस्त्र प्रतिरोध तक सीमित नहीं है। वे लेबनान की राजनीति में भी सक्रिय हैं, कई बार चुनाव जीत कर संसद में सीटें धारण करते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया, टीवी चैनल और यूजर ग्रुप्स के जरिए जनमत को भी प्रभावित करते हैं। उनका कहना है कि वे लेबनान की स sovereignty और सामाजिक विकास के पक्ष में काम कर रहे हैं।
हालिया समाचारों में देखा गया है कि हिज़्बुल्लाह इज़राइल के साथ हुए तनाव को लेकर बार-बार बयान देता रहता है। वे अक्सर इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयों को ‘प्रतिकार’ कह कर, अपने समर्थकों को प्रेरित करते हैं। साथ ही, आर्थिक प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद वे नई तकनीकी हथियारों को अपनाते दिखे हैं।
दूसरी ओर, कई देशों, विशेषकर अमेरिक़ा और यूरोपीय संघ ने हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। इस सूची में रहने के कारण उन्हें बैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में कई बाधाएँ आती हैं। फिर भी उनके स्थानीय समर्थक इन प्रतिबंधों को कम करके काम चलाते हैं, जैसे कि स्वयंसेवी संस्थान और स्थानीय बाजार।
अगर आप इस समूह के बारे में गहराई से जानना चाहते हैं, तो कुछ बातों पर ध्यान दें: उनका सामाजिक कार्य, राजनीतिक भागीदारी, सैन्य रणनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध। इन सभी पहलुओं को समझने से आपको यह पता चलेगा कि हिज़्बुल्लाह मौजूदा मध्य पूर्वी राजनीति में कितना बड़ा खिलाड़ी है।
आखिर में, हिज़्बुल्लाह एक जटिल संगठन है – जहाँ सामाजिक मदद और राजनीतिक शक्ति दोनों दिखते हैं, वहीं सशस्त्र संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय विवाद भी हैं। अगर आप खबरें पढ़ते रहे तो इन पहलुओं को देखते रहें, ताकि आप वास्तविक तस्वीर से रूबरू हो सकें।
27 सितंबर, 2024 को, इसराइल ने बेरूत के दाहीयेह इलाके में हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर एक बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले में चार इमारतें धराशायी हो गईं। हसन नसरल्लाह की स्थिति पर विभिन्न स्रोतों द्वारा विरोधाभासी जानकारी मिल रही है, जिससे स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है।