IMD की साइकलोन ‘शक्ति’ चेतावनी: महाराष्ट्र के 6 तटीय जिलों में तीव्र बारिश व तेज़ हवा

अक्तूबर 5 Roy Iryan 6 टिप्पणि

जब इंडिया मेटियोरोलॉजिकल डेपार्टमेंट ने 3 अक्टूबर 2025 को साइकलोन “शक्ति”अरब समुद्र को महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में चेतावनी जारी की, तो यह खबर तुरंत ही घर-घर में चर्चा का विषय बन गया। यह चेतावनी 3 से 7 अक्टूबर तक सक्रिय रहेगी, जिसमें मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग को उच्च‑मध्यम जोखिम श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। तेज़ हवाओं, खतरनाक लहरों और भारी वर्षा से जीवन व संपत्ति दोनों को खतरा महसूस हो रहा है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: महाराष्ट्र में पूर्व साइकलोन‑आधारित आपदाएँ

पिछले दो दशकों में इस राज्य ने कई बार समुद्री तूफानों का सामना किया है। 1996 में आया ‘ऑपेज’ और 2006 में ‘हैएरा’ ने मुंबई के किनारों पर किनारी क्षति तथा बाढ़ की मार छोड़ी थी। इन घटनाओं ने राज्य सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए सख्त योजना बनाना अनिवार्य कर दिया था। आज जब मराठवाड़ा और विदर्भ में भारी बारिश की भविष्यवाणी है, तो याद दिलाता है कि ऐतिहासिक डेटा हमेशा भविष्यवाणियों को मजबूत बनाता है।

साइकलोन ‘शक्ति’ के विस्तृत आंकड़े और अनुमान

IMD ने अनुमान लगाया है कि तट के पास हवा की गति 45‑55 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है, जबकि झंझाकर 65 किमी/घंटा तक गिर सकती है। समुद्र की स्थिति ‘बहुत उथली’ से ‘उथली’ तक रेटेड है, और यह स्थिति 5 अक्टूबर रविवार तक बनी रहने की संभावना है। वहीं आंतरिक भाग में अगले चार दिनों में 150‑200 मिमी तक भारी वर्षा हो सकती है, विशेषकर पूर्व विदर्भ और माराठवाड़ा के कुछ क्षेत्रों में।

  • चेतावनी अवधि: 3‑7 अक्टूबर 2025
  • प्रभावित जिलों: मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग
  • अधिकतम अनुमानित हवा: 65 किमी/घंटा (झंझाकर)
  • समुद्र की स्थिति: बहुत उथली से उथली
  • संभावित वर्षा: 150‑200 मिमी (आंतरिक भाग)

सरकारी और स्थानीय स्तर पर प्रतिक्रिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इंकनाथ शिंदे ने तुरन्त आपदा प्रबंधन प्रणाली को सक्रिय करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है, इसलिए सभी तटीय और निचले स्तर के इलाकों में तत्काल निकासी योजना बनायी जाएगी।” जिला प्रशासनों को जारी निर्देशों में समुद्र की ओर सुरक्षा कवच स्थापित करने, जलावरोधक तैयार करने और जनसंचार माध्यमों से चेतावनी जारी करने का विशेष महत्व दिया गया है।

डॉ. अनिल मिश्रा, IMD के प्रवक्ता ने कहा, “साइकलोन ‘शक्ति’ अभी भी विकसित हो रहा है, इसलिए हवा की गति और वर्षा के स्तर में परिवर्तन की संभावना है। समुद्र में जहाजों की हरकतें तुरंत रोक दी जाएँ।” इस पर महाराष्ट्र समुद्री विभाग ने तुरंत सभी मछुआरों को समुद्र में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है और फसलनियों को सुरक्षित आश्रयों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है।

प्रभाव का आकलन: जीवन, व्यापार और बुनियादी ढाँचा

प्रभाव का आकलन: जीवन, व्यापार और बुनियादी ढाँचा

मुंबई के प्रमुख बंधरगली क्षेत्रों में अगली 48 घंटों में जलभराव की संभावना है, जिससे स्थानीय यातायात में अड़चनें आ सकती हैं। पोर्ट बॉम्बे में कंटेनर टर्मिनल पर काम रुकने की संभावना है, जिससे निर्यात‑आयात पर आर्थिक नुक़सान हो सकता है। छोटे व्यवसायियों और विक्रेताओं ने पहले ही अपने सामान को ऊँची जगहों पर रखने की तैयारी शुरू कर दी है।

कुल मिलाकर, यदि चेतावनियों का पालन किया गया तो जीवन‑संकट की संभावना कम रह सकती है, लेकिन असावधानी बरतने पर बाढ़, जलजाल और शारीरिक चोटों की सूचना सुनने को मिल सकती है।

आगे क्या होगा? अगले कदम और दीर्घकालिक योजना

IMD ने कहा है कि 6 अक्टूबर तक साइकलोन ‘शक्ति’ का ट्रैकिंग जारी रहेगा और यदि गति में तेज़ी आती है तो चेतावनी को दोबारा वर्गीकृत किया जा सकता है। राज्य सरकार ने आकस्मिक राहत केंद्रों को तैयार किया है और शेष समय में सतत् जनसंपर्क को प्राथमिकता दी जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की मौसमी घटनाओं के लिए जलवायु‑परिवर्तन की भूमिका को समझना और शहरों में जल निकासी प्रणाली को आधुनिकीकरण करना अनिवार्य है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

साइकलोन ‘शक्ति’ से किन क्षेत्रों में सबसे अधिक जोखिम है?

मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे तटीय जिले सबसे अधिक जोखिम में हैं। इन क्षेत्रों में तेज़ हवा, खतरनाक लहरें और जलभराव की संभावना है।

क्या मछुआरों को अभी भी समुद्र में जा सकते हैं?

IMD और महाराष्ट्र समुद्री विभाग ने सभी मछुआरों को समुद्र में जाने पर पूरा प्रतिबंध लगा दिया है। यह नियम चेतावनी समाप्त होने तक बरकरार रहेगा।

अंतिम चेतावनी कब तक वैध रहेगी?

साइकलोन ‘शक्ति’ के लिए जारी चेतावनी 7 अक्टूबर 2025 तक सक्रिय रहेगी। स्थिति के अनुसार समय‑समय पर विस्तार या संशोधन किया जा सकता है।

सरकार ने किन उपायों की घोषणा की है?

महाराष्ट्र सरकार ने तटीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन इकाइयों को सक्रिय किया, निकासी योजनाएँ तैयार कीं, वर्जित क्षेत्रों में यात्रा पर प्रतिबंध लगाया और जलमानवियों के लिए अस्थायी आश्रय स्थापित किए हैं।

जलवायु परिवर्तन का इस साइकलोन से क्या संबंध है?

विशेषज्ञों का कहना है कि समुन्द्र के तापमान में वृद्धि से अधिक तीव्र और बार‑बार साइकलोन बनते हैं। इस पर दीर्घकालिक नीति‑निर्माण में जलवायु‑अनुकूलन उपायों को शामिल करना जरूरी है।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Abirami Nagarajan

Abirami Nagarajan

धन्यवाद, सभी को सुरक्षित रहने की शुभकामनाएँ।

shefali pace

shefali pace

शक्ति की ये चेतावनी देख कर दिल थरथरा गया है, पर मैं आशा करता हूँ कि हम सब मिलकर इस कठिन घड़ी को पार करेंगे।
तूफ़ान की आँधी में भी लोग एक-दूसरे की मदद करने का प्रयास करेंगे, यही भारतीयता है।
हर शाम की बारिश में उम्मीद की बूंदें छिपी होती हैं, जो हमें नई ऊर्जा देती हैं।
समुद्री किनारे के लोगों के लिए सुरक्षा उपायों का पालन सबसे अहम है, तभी हम सुरक्षित रहेंगे।
चलो, इस चुनौती को एक नई दोस्ती और सहयोग का अवसर बनाते हैं।

sachin p

sachin p

इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है, जब साइक्लोन ने तटवर्ती शहरों को नुकसान पहुँचाया, लेकिन हमने हमेशा से साहस दिखाया है।

sarthak malik

sarthak malik

IMD ने जो आँकड़े दिए हैं, उसके आधार पर मुंबई और नजदीकी जिलों में 45‑55 किमी/घंटा की तेज़ हवाएँ और 150‑200 मिमी वर्षा हो सकती है।
स्थानीय प्रशासन ने पहले ही निकासी योजना तैयार कर ली है, इसलिए यदि आवश्यक हो तो तुरंत उच्च जगह पर जाएँ।
समुद्र किनारे के क्षेत्रों में जहाजों को रोकना और मछुआरों को घर में रहना सबसे सुरक्षित कदम है।
अगर आप अपने घर में हैं तो खिड़कियों और दरवाजों को कसकर बंद रखें और बिजली की तारों से दूर रहें।
सावधानी अपनाने से नुकसान को न्यूनतम रखा जा सकता है।

Nasrin Saning

Nasrin Saning

समुद्र की लहरें बढ़ रही हैं लेकिन साथ में हमारी एकजुटता भी बढ़ रही है हम सब मिलकर इस तूफ़ान का सामना करेंगे

gaganpreet singh

gaganpreet singh

साइकलोन ‘शक्ति’ का आगमन निस्संदेह एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, लेकिन हमारे पूर्वजों ने भी समान परिस्थितियों का सामना किया था और उनका साहस हमारे लिये प्रेरणा का स्रोत है।
पहले, हमें यह समझना चाहिए कि मौसम विज्ञान के आंकड़े केवल भविष्यवाणी हैं, वे बदल भी सकते हैं, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है।
दूसरे, तटीय क्षेत्रों में निर्माण सामग्री की मजबूती, जल निकासी व्यवस्था और आपातकालीन सेवाओं की तत्परता को अब और अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए।
तीसरे, स्थानीय प्रशासन ने पहले ही बचाव कार्यों के लिए रेस्क्यू टीमों को तैनात कर दिया है, लेकिन आम जनता का सहयोग भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
चौथा, घर में रह रहे लोग अपने घर की छत और खिड़कियों को मजबूत करने के लिए टेप या लकड़ी का उपयोग कर सकते हैं, जिससे टूट-फूट कम होगी।
पाँचवां, बिजली के डिब्बे को सटे रहने से बचें और गैस सिलिंडर को धूप से दूर रखें, सायं में रात्रि में बिजली कटौती होने की संभावना अधिक है।
छठा, यदि समुद्र किनारे पर रहते हैं तो तुरंत सुरक्षित ऊँचे स्थान पर जाएँ और अपने परिवार के साथ मिलकर एक छोटा आपातकालीन किट तैयार रखें।
सातवां, बाजारों में मौजूद सूखे माल को सुरक्षित स्थान पर रखें ताकि बाढ़ में नुकसान न हो।
आठवां, बच्चों को समझाएँ कि तेज़ हवा में बाहर नहीं जाना चाहिए और घर के अंदर सुरक्षित रहना सबसे बेहतर उपाय है।
नवां, सामाजिक मीडिया और स्थानीय रेडियो के माध्यम से वास्तविक समय में अपडेट लेते रहें।
दसवां, यदि आप किसी सार्वजनिक स्थल पर हैं तो प्रशासन द्वारा दी गई दिशा-निर्देशों का पालन करें, खिड़कियों को बंद रखें और इमारत के भीतर रहना सुरक्षित रहेगा।
ग्यारहवां, इस साइक्लोन के दौरान आयुर्वेदिक उपायों जैसे हल्दी दूध या अदरक की चाय पीने से शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ती है, जिससे तनाव कम होता है।
बारहवां, यद्यपि बारिश भारी हो सकती है, लेकिन जल-प्रदूषण की समस्या को रोकने के लिए अपने नलों को कवर करके रखें।
तेरहवां, बुज़ुर्ग और दिव्यांग व्यक्तियों की विशेष देखभाल आवश्यक है, उन्हें अकेला न छोड़ें और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
चौदहवां, इस प्रक्रिया में स्थानीय NGOs और स्वयंसेवकों की मदद लेना न भूलें, वे अक्सर राहत सामग्री और जानकारी प्रदान करते हैं।
पन्द्रहवां, अंत में, हमें यह याद रखना चाहिए कि प्राकृतिक आपदाएँ अस्थायी हैं, लेकिन हमारी एकजुटता और सहयोग हमेशा स्थायी रहता है।
सोलहवां, इसलिए, चलिए हम सब मिलकर सुरक्षित रहें, अपनी जिम्मेदारियों को निभाएँ और इस कठिन समय को पार करने में एक दूसरे का समर्थन करें।

अपनी टिप्पणी टाइप करें