Joe Root का ऐतिहासिक शतक: ओवल में भारत के खिलाफ रिकॉर्ड टूटे, WTC में 6000 रन पार
ओवल में रूट का काबू: रिकॉर्ड्स की बरसात
लंदन की बदली हुई दोपहर, ओवल की भरी हुई गैलरी और इंग्लैंड के सामने 374 का विराट लक्ष्य—यहीं से कहानी बदली। चौथे दिन Joe Root ने 137 गेंदों पर बेहतरीन शतक जमाया और कई पड़ाव एक साथ पार किए। शतक का मोड़ भी यादगार रहा: लॉन्ग-लेग की ओर नरम पुश, दो रन, हेलमेट उठा कर ड्रेसिंग रूम की ओर बल्ला, फिर जेब से हेडबैंड निकाल कर ग्राहम थोर्प को मौन सलाम। उसी पल स्टैंड्स में बैठे उनके माता-पिता खड़े हो गए—गर्व साफ दिख रहा था।
यह रूट के करियर का 39वां टेस्ट शतक है, जिससे उन्होंने कुमार संगकारा (38) को पीछे छोड़ा और अब ऑल-टाइम सूची में सचिन तेंदुलकर (51), जाक कैलिस (45) और रिकी पोंटिंग (41) के बाद चौथे नंबर पर पहुंच गए। 34 साल की उम्र में यह निरंतरता बताती है कि लंबे फॉर्मेट में उनकी तकनीक और संयम कितने भरोसेमंद हैं—कवर ड्राइव, स्ट्रेट ड्राइव और सिंगल-डबल से स्ट्राइक रोटेशन, सब कुछ सधे अंदाज में।
इस पारी का एक और बड़ा पड़ाव वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) में 6000 रन पार करना था—वे ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज बने। यह उपलब्धि उनके WTC के 69वें टेस्ट में आई। मौजूदा चार्ट्स में उनके पीछे स्टीव स्मिथ (4,278), मार्नस लाबुशेन (4,225), बेन स्टोक्स (3,616) और ट्रैविस हेड (3,300) जैसे नाम हैं, जो दिखाता है कि रूट ने इस चक्र में कितना आगे निकल कर रन बनाए हैं।
भारत के खिलाफ यह उनका 13वां टेस्ट शतक है—किसी भी बल्लेबाज के लिए भारत के विरुद्ध सर्वाधिक। इस मामले में उन्होंने स्टीव स्मिथ (11) को पीछे छोड़ दिया। इंग्लैंड की पिचों पर सीम मूवमेंट और भारत के स्पिन-सीम कॉम्बो के सामने रूट का तरीका साफ था: शुरुआती समय निकालना, गैप में धैर्य से खेलना और बाउलरों को लंबा स्पैल डालने पर मजबूर करना।
रूट ने अपनी फिफ्टी बैकवर्ड स्क्वायर लेग की दिशा में एक सहज सिंगल से पूरी की—हल्का सा बैट-रेज़, न कोई ड्रामा। शतक तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने जोखिम कम रखा, गेंद को देर से खेला और आउटफील्ड की स्पीड का फायदा उठाया। ओवल की आउटफील्ड तेज थी, पर रूट ने बाउंड्री की दौड़ नहीं लगाई, बल्कि टेम्पो को नियंत्रण में रखा—यही मैच स्थिति की मांग थी।
मैच की सूरत, साझेदारियां और बड़े दांव
इंग्लैंड 374 का पीछा कर रहा था, यानी छोटी गलती भी महंगी पड़ सकती थी। इसी दबाव में हैरी ब्रूक ने भी शतक लगाया और दूसरे छोर से ढाल बनकर खड़े रहे। इस साझेदारी ने भारतीय बाउलिंग को लंबा स्पेल कराने पर मजबूर किया और नए-पुराने बॉल के बीच की खिड़की में इंग्लैंड ने रन बटोरे। ओवल की पिच दिन चढ़ने के साथ थोड़ी सपाट हुई, लेकिन बादल और रुक-रुक कर आती हवा गेंद को कभी-कभी खतरनाक भी बना रही थी—रूट का गेम मैनेजमेंट यहां साफ दिखा।
रूट की पारी में दो पल खास रहे—फिफ्टी तक का धैर्य और शतक का जश्न। फिफ्टी एक सिंपल सिंगल से, और सेंचुरी तक दो रन लेकर पहुंचना इस बात का इशारा था कि वे शॉट्स से नहीं, मैच परिस्थितियों से लड़ रहे थे। उनके कंधों पर चेस का बोझ था, लेकिन उन्होंने किसी फ्लैम्बॉएंस से ज्यादा बुनियादी बल्लेबाजी पर भरोसा किया।
- 39वां टेस्ट शतक: ऑल-टाइम सूची में सचिन (51), कैलिस (45) और पोंटिंग (41) के बाद अब रूट (39) चौथे स्थान पर।
- WTC में 6000+ रन: वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में 6000 रन पार करने वाले पहले खिलाड़ी; यह पड़ाव उनके 69वें WTC टेस्ट में आया।
- भारत के खिलाफ 13 शतक: किसी भी बल्लेबाज द्वारा भारत के विरुद्ध सबसे ज्यादा टेस्ट शतक।
- 50+ स्कोर का रिकॉर्ड: घरेलू परिस्थितियों में किसी एक विपक्ष के खिलाफ सबसे ज्यादा 50+ स्कोर के मामले में पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज हरबी टेलर की बराबरी।
- WTC चार्ट्स में निर्णायक बढ़त: उनके पीछे स्टीव स्मिथ, लाबुशेन, स्टोक्स और ट्रैविस हेड जैसे नाम—रन टैली में स्पष्ट फासला।
टीम इंग्लैंड के लिए यह पारी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, रणनीति की जीत भी है। बेन स्टोक्स–ब्रेंडन मैक्कलम का सेट-अप आक्रामक इरादों के लिए जाना जाता है, पर चौथी पारी में रूट ने आक्रामकता के बजाय नियंत्रण चुना—जो इस मॉडल का जरूरी दूसरा चेहरा है। बड़े लक्ष्य में एंकर रोल वही निभाता है जो पूरी बल्लेबाजी को दिशा देता है, और रूट ने ठीक वही किया।
भारतीय गेंदबाजी की योजना साफ थी—कठोर लाइन-लेंथ, कभी-कभी फील्ड फैलाकर सिंगल रोकना और जाल बिछाना। लेकिन रूट ने उन स्पेल्स में रन निकालने का तरीका खोज लिया—कभी पैड से हटकर लेट-डिफेंस, कभी हल्का-सा ओपन फेस और स्क्वायर-थर्ड मैन की तरफ गेप, ताकि बॉलर को लय न मिले।
जैसे-जैसे दिन ढला, ओवल की गूंज में एक ही नाम बार-बार सुनाई दिया—रूट। मैच का नतीजा तब तक तय नहीं हुआ था, पर यह शतक इंग्लैंड की ड्रेसिंग रूम और स्टैंड्स में बैठे फैन्स को बता गया कि बड़ी चौथी पारी कैसे बनाई जाती है—बिना शोर, बस सधे कदमों से।
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