50 मीटर राइफल क्या है? आसान समझ और उपयोग टिप्स

अगर आप शूटर या फ़ैशन के शौकीन नहीं, फिर भी 50 मीटर राइफल की बात सुनते ही दिमाग में एक लंबी नली और लक्ष्य बोर्ड की छवि आती है। असल में यह राइफल खास तौर पर 50 मीटर दूरी पर निशाने को मारने के लिए डिज़ाइन की गई है। इस दूरी पर सटीकता बहुत मायने रखती है, इसलिए सही जानकारी और अभ्यास जरूरी है। चलिए, इस टॉपिक को आसान भाषा में तोड़‑मोड़ कर समझते हैं।

राइफल की मुख्य विशेषताएँ

50 मीटर राइफल में मुख्य तौर पर दो चीज़ें होती हैं – बैरल (नली) और साईटिंग सिस्टम। बैरल का लंबा होना ज़रूरी है क्योंकि इससे गोली तेज़ी से निकलती है और लक्ष्य पर कम डिफ्लेक्शन होता है। साईटिंग सिस्टम में अक्सर कर्सर और रिवर होते हैं, जो आपको लक्ष्य को सही ढंग से एलाइन करने में मदद करते हैं। कुछ राइफल में रिवर्सीबिलिटी होती है, यानी आप गोली की रेंज के हिसाब से सिलेंटर को बदल सकते हैं। इस प्रकार की राइफलें अक्सर क्लब या प्रशिक्षण केन्द्रों में मिलती हैं और उनके साथ सुरक्षा गाइडबुक भी आती है।

सुरक्षा और अभ्यास के बुनियादी नियम

राइफल संभालते समय सबसे पहला नियम – हमेशा न्यूट्रल मोड में रखिए। मतलब, मौजुदा कबाड़ या शॉर्टकट नहीं, बल्कि सुरक्षित वस्तु पर ही रखिए। कभी भी बैरल को किसी इंसान या अनजान चीज़ की ओर नहीं करना चाहिए। ट्रिगर को केवल तब दबाएँ जब आप लक्ष्य के ठीक सामने हों और बैरल साफ़ हो। इसके अलावा, हमेशा अपने कान और आँखों की सुरक्षा के लिए इयर और आय प्रोटेक्शन पहनिए। यह छोटे-छोटे कदम बहुत बड़े हादसों से बचाते हैं।

जब आप पहली बार शूटर रेंज पर जाएँ, तो इन्स्ट्रक्टर से पूछें कि किस तरह की राइफल और अम्युनिशन (गोला) आपके लेवल के लिए सही हैं। आमतौर पर, शुरुआती के लिए .22 कैरेट की राइफल सबसे आसान रहती है, क्योंकि इसकी रीकॉयल कम होती है और कंट्रोल बेहतर रहता है।

अब बात करते हैं अभ्यास की। सबसे पहले, अपने राइफल को सही पोस्चर में पकड़ें – पैर कंधे‑चौड़ाई पर रखें, बाएँ पैर थोड़ा आगे रखें और राइफल को कंधे पर सपोर्ट दें। फिर धीरे‑धीरे सांस छोड़ें, लक्ष्य पर फोकस करें और ट्रिगर को धीरे‑धीरे दबाएँ। एक बार गोली चलाने के बाद, राइफल को पुनः सेट करें और फिर से कोशिश करें। इस साइकिल को दोहराते रहें जब तक कि आप लगातार 50 मीटर पर लक्ष्य का केंद्र नहीं मार रहे हों।

आम गलतियों में से एक है बहुत ज़्यादा ताक़त से ट्रिगर दबाना। इससे गोली बहुत तेज़ निकलती है और लक्ष्य छूट सकता है। दूसरा गलती है कि बैरल को बहुत नीचे या बहुत ऊपर रख देना, जिससे पॉइंटिंग ऑफ़ सेट हो जाता है। इन चीज़ों से बचने के लिए आईडियल स्कोप या साईटिंग डिवाइस का प्रयोग करें और हर शॉट के बाद नज़रें मिलाएँ कि आप कहाँ ग़लत हुए।

अंत में, अगर आप रेंज पर नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं, तो धीरे‑धीरे आप 50 मीटर राइफल की फाइन ट्यून्सिंग भी सीखेंगे। जैसे बैरल की क्लीयरेंस, ट्रिगर सेंसिटिविटी, और एम्परर मैटेरियल का चुनाव। ये सारे छोटे‑छोटे बदलाव आपके सटीकता को कई गुना बढ़ा सकते हैं। तो संक्षेप में, सही जानकारी, सुरक्षा का पालन और निरंतर प्रैक्टिस से आप 50 मीटर राइफल में प्रो बन सकते हैं।

पेरिस 2024 पैरालिंपिक: अवनी लेखरा ने महिला 50 मीटर राइफल 3 पॉज़िशन्स में पांचवां स्थान हासिल किया

सितंबर 3 Roy Iryan 0 टिप्पणि

22 वर्षीय भारतीय पैरा शूटर अवनी लेखरा ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में महिला 50 मीटर राइफल 3 पॉज़िशन्स SH1 इवेंट में पांचवां स्थान हासिल किया। उनकी यह शानदार प्रदर्शन उन्हें पहले महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद प्राप्त हुआ।