भारतीय पैरा शूटर: कहानी और प्रदर्शन
भारत में पैरा शूटरों ने हाल के सालों में कई विदेशीय मंचों पर धूम मचा दी है। छोटे शहरों से लेकर बड़े खेल अकादमियों तक, उनके पीछे मेहनत, सटीकता और राष्ट्रीय समर्थन की कहानी है। अगर आप उनके सफर के बारे में नहीं जानते, तो ये लेख आपको एक झलक देगा।
इतिहास और प्रमुख उपलब्धियां
पहली बार भारत ने 2010 में पैराशूटिंग को एक आधिकारिक खेल के रूप में स्वीकार किया। तभी से कई ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। 2018 में विक्रम सिंह ने पैरासू पॉलिंग में पहला गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उसी साल निशा शेट्टी ने 10 मीटर एयर राइफल में सिल्वर मैडल हासिल किया, जिससे महिला पैरा शूटरों को एक नया सीन मिला।
2022 के एशियन पैरा गेम्स में भारत ने कुल 12 मेडल जीते, जिनमें 5 गोल्ड शामिल थे। विशेषकर अमन कुमर और सुरेश भाटिया की टीम ने 50 मीटर राइफल इवेंट में दोहरा जिंक हासिल किया। इन जीतों ने सरकार को पैरा स्पोर्ट्स में निवेश बढ़ाने की प्रेरणा दी।
हाल ही में 2024 में आयोजित विश्व कप में भारतीय पैरा शूटरों ने 3 गोल्ड, 4 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज़ मैडल हासिल किए। यह रिकॉर्ड उनके निरंतर प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और अनुभवी कोचों के सहयोग को दर्शाता है।
प्रशिक्षण, समर्थन और भविष्य की योजनाएँ
सबसे बड़ी सफलता का मूल कारण सुदृढ़ प्रशिक्षण प्रणाली है। दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय पैरा शूटिंग अकादमी ने उन्नत सिम्यूलेटर, एरोज़ कौशल कार्यशाला और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की है। युवा प्रतिभाओं को शीघ्र स्काउट करने के लिए राज्य स्तर पर स्कूलों के साथ मिलकर टैलेंट हंट आयोजित किया जाता है।
सरकार ने हाल ही में पैरा शूटरों के लिए विशेष वित्तीय सहायता योजना शुरू की। इसमें उपकरण की खरीद, अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए यात्रा खर्च और कोचिंग फीस शामिल है। इसके साथ ही निजी कंपनियों ने भी स्पॉन्सरशिप के माध्यम से खेल को प्रोमोट करने में योगदान दिया है।
आगामी वर्ष में दो बड़े इवेंट तय हैं – 2025 की एशियाई खेल और 2026 की पैरालिम्पिक। इन प्रतियोगिताओं के लिए चयन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। वर्तमान में 30 से अधिक शूटरों को राष्ट्रीय इंटेंस ट्रेनिंग कैंप में बुलाया गया है, जहाँ वे लक्ष्य-निर्धारण, शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्थिरता पर काम करेंगे।
यदि आप पैरा शूटर बने या उनका समर्थन करना चाहते हैं, तो स्थानीय शूटर क्लब से जुड़ सकते हैं या राष्ट्रीय अकादमी की वेबसाइट पर ट्रायल की तिथियों की जांच कर सकते हैं। छोटे-छोटे योगदान, जैसे कि उपकरण दान या ट्रेनिंग सत्र में मदद, भी इस खेल को आगे बढ़ाने में बड़ा अंतर ला सकते हैं।
संक्षेप में, भारतीय पैरा शूटरों की यात्रा रुकने वाली नहीं है। हर जीत उनके दृढ़ संकल्प और समाज की बढ़ती जागरूकता का परिणाम है। अगले बड़े इवेंट्स के साथ हम और भी शानदार कहानियों की उम्मीद कर सकते हैं।
22 वर्षीय भारतीय पैरा शूटर अवनी लेखरा ने पेरिस 2024 पैरालिंपिक में महिला 50 मीटर राइफल 3 पॉज़िशन्स SH1 इवेंट में पांचवां स्थान हासिल किया। उनकी यह शानदार प्रदर्शन उन्हें पहले महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने के बाद प्राप्त हुआ।