ड्रग एडिक्शन क्या है और इसे कैसे पहचानें?

ड्रग एडिक्शन यानी नशा की लत, बहुत से लोगों की जिंदगी को उलझन में डाल देती है। अक्सर हम इसे केवल शराब या सिगरेट तक ही सीमित समझते हैं, पर ड्रग्स की दुनिया बहुत बड़ी है—कोकीन, हेरोइन, मारिजुआना, या फिर प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की लत भी इस में शामिल है। अगर आप या आपके आस‑पास कोई लगातार दवाइयों पर भरोसा कर रहा है, काम या पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पा रहा, तो ये नशे का संकेत हो सकता है।

आइए कुछ आम लक्षणों पर गौर करें: लगातार दवा का सेवन, बिना कारण बेचैन रहे, खर्चे में अचानक वृद्धि, सामाजिक रिश्तों में दूरी, और मूड में तेज उतार‑चढ़ाव। अगर इनमें से दो‑तीन चीजें आपके या किसी दोस्त के साथ हो रही हों, तो तुरंत कदम उठाना सही रहेगा।

ड्रग एडिक्शन के कारण: क्यों शुरू होता है?

नशा के पीछे कई कारण होते हैं। कभी‑कभी सामाजिक दबाव या टेस्टिंग के लिए लोग ड्रग आज़माते हैं, लेकिन शरीर जल्दी ही इसकी आदत बना लेता है। तनाव, डिप्रेशन, अकेलापन या असफलता के समय लोग अक्सर राहत की तलाश में ड्रग्स की ओर रुख करते हैं। परिवार में नशे की इतिहास, जीनस भी भूमिका निभाते हैं, पर ये हमेशा तय नहीं करता कि आप लत में पड़ेंगे।

कभी‑कभी ऐसी परिस्थितियाँ भी मिलती हैं जहां आसानी से मिलने वाले ड्रग्स, जैसे कि कुछ पेन किलर्स, की लत बन जाती है। इसलिए डॉक्टर की दवा को बिना परामर्श के बढ़ाना या बंद करना खतरनाक हो सकता है।

मदद और उपचार के आसान रास्ते

ड्रग एडिक्शन से बाहर निकलना मुश्किल नहीं, बस सही मदद चाहिए। सबसे पहला कदम है स्वीकार करना—कि समस्या है और उसे ठीक करना है। फिर आप इन तरीकों को अपनाकर खुद या अपने प्रियजन को सहारा दे सकते हैं:

  • डॉक्टर या काउंसलर से मिलें: प्रोफेशनल मदद सबसे भरोसेमंद उपाय है। वे डिटॉक्सिफिकेशन, काउंसलिंग और दवाओं की सपोर्ट थैरेपी दे सकते हैं।
  • पुनर्वास केंद्र में दाखिला: कई शहरों में रिहैब सेंटर होते हैं जहाँ संरक्षित माहौल में इलाज किया जाता है। इसमें समूह थेरेपी, योग, ध्यान और व्यायाम शामिल होते हैं।
  • समर्थन समूह: नालैंडर या अज्ञात समूहों में मिलकर अनुभव बांटने से मन को शक्ति मिलती है। आप ‘नशा मुक्त भारत’ जैसे फोरम भी देख सकते हैं।
  • परिवार का सहयोग: घर वाले जब समझदारी से बात करें और बिना टोक-टाक के सुनें, तो रोगी को भरोसा मिलता है। कठिन समय में कहना, “मैं तुम्हारे साथ हूँ” बहुत असरदार होता है।
  • स्वस्थ आदतें बनाएं: नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, संतुलित भोजन और शौक (जैसे संगीत, पेंटिंग) नशे की इच्छा को कम कर देते हैं।

ध्यान रखें, एक बार फेल हो गया तो हार मत मानिए। हर बार उठना सीखना है, और हर उठाव के साथ आप मजबूत बनते हैं। अगर आप या आपका कोई दोस्त ड्रग एडिक्शन से जूझ रहा है, तो आज ही कदम उठाएँ—क्योंकि समय ही सबसे बड़ा इलाज है।

त्रिपुरा में HIV मामलों में बढ़ोतरी: 828 छात्र पॉजिटिव, 47 की मौत, प्रशासन में हलचल

जुलाई 9 Roy Iryan 0 टिप्पणि

त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (TSACS) के हालिया रिपोर्ट ने राज्य में HIV मामलों पर चिंताजनक आंकड़े उजागर किए हैं। 828 छात्रों के HIV-पॉजिटिव होने और 47 की मौत की सूचना है। अधिकांश छात्र समृद्ध परिवारों से हैं, और इनके माता-पिता सरकारी सेवा में हैं। ड्रग के सेवन को प्रमुख कारण माना जा रहा है।