त्रिपुरा में HIV मामलों में बढ़ोतरी: 828 छात्र पॉजिटिव, 47 की मौत, प्रशासन में हलचल

जुलाई 9 Roy Iryan 18 टिप्पणि

परिचय

त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (TSACS) द्वारा जारी एक ताजा रिपोर्ट ने राज्य में HIV संक्रमण के खतरनाक स्तर को सामने रखा है। आंकड़ों के अनुसार, 828 छात्र HIV-पॉजिटिव पाए गए हैं और 47 की मौत हो चुकी है। इस संक्रमण का मुख्य कारण गैरकानूनी दवाओं का अति सेवन है।

संक्रमण के आंकड़े और उनका विश्लेषण

इस रिपोर्ट से सामने आया कि अधिकांश संक्रमित छात्र समृद्ध और शिक्षित परिवारों से हैं, जिनके माता-पिता सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। TSACS ने 220 स्कूल और 24 कॉलेजों की पहचान की है जहां पर छात्र ड्रग के अधीन हो गए हैं।

अक्सर यह देखा गया है कि यह छात्र उच्च शिक्षा के लिए त्रिपुरा से बाहर चले गए थे और प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे। इस रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में हर दिन पांच से सात नए HIV मामलों का पता चलता है।

समाज पर प्रभाव

समाज पर प्रभाव

TSACS का मानना है कि HIV और ड्रग एडिक्शन के बीच के जटिल संबध को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक सेवाओं और सामुदायिक सहभागिता को एकीकृत करे।

यह आदान-प्रदान का पहाड़ जैसा कार्य है, लेकिन इससे न केवल त्रिपुरा की बल्कि सम्पूर्ण देश की जनता की स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है। राज्य में कुल 5,674 लोग HIV के साथ जी रहे हैं, जिसमें 4,570 पुरुष, 1,103 महिलाएं और एक ट्रांसजेंडर शामिल हैं।

स्वास्थ्य मजबूत करने के प्रयास

मई 2024 तक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) सेंटर्स में 8,729 लोग पंजीकृत हो चुके हैं। प्रशासन के प्रयत्नों के बावजूद, नए मामलों का अनवरत बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय है।

उपचार के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग HIV और ड्रग एडिक्शन के खतरों को समझ सकें।

समाप्ति

समाप्ति

TSACS की इस रिपोर्ट ने राज्य के प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को चेतावनी दी है। आवश्यक है कि जल्दी और ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में इन मामलों की संख्या को रोका जा सके और लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके।

इसके अलावा, माता-पिता और शिक्षण संस्थानों को भी इसमें सहभागिता करनी होगी, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे और वे एक स्वस्थ समाज का हिस्सा बन सकें।

Roy Iryan

Roy Iryan (लेखक )

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं जो रोज़मर्रा के समाचारों पर लेखन करता हूं। मेरे लेख भारतीय दैनिक समाचारों पर गहन विश्लेषण प्रदान करते हैं। मैंने विभिन्न समाचार पत्र और ऑनलाइन प्लेटफार्म के लिए काम किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है।

rohit majji

rohit majji

ये सब ड्रग्स की वजह से हो रहा है भाई... बच्चे अपने घर से बाहर जाते हैं और फिर क्या होता है? बस एक बार ट्राय कर लेते हैं और फिर डूब जाते हैं। अब ये HIV भी आ गया। क्या हम सब इतने निष्क्रिय हैं?

Uday Teki

Uday Teki

बहुत दुखी हुआ 😢 बच्चे तो भविष्य हैं... अगर ये चलता रहा तो देश का क्या होगा? हमें घर पर भी बात करनी चाहिए, स्कूल में भी।

Haizam Shah

Haizam Shah

ये सब तो बस बातों का खेल है। किसी ने एक रिपोर्ट बनाई, फिर बस इतना ही। कोई असली कार्रवाई नहीं हो रही। जब तक हम ड्रग्स को गैरकानूनी नहीं बनाते, जब तक हम इन बच्चों को नहीं बचाते, ये लहर बढ़ती रहेगी।

Vipin Nair

Vipin Nair

हम अक्सर लक्षणों पर ध्यान देते हैं नहीं कारणों पर। ड्रग्स का अतिसेवन नहीं, बल्कि उन बच्चों की अकेलापन, असुरक्षा, और अनुशासन की कमी है जो इसकी जड़ है। जब तक हम इन बातों को नहीं सुधारेंगे, तब तक ये सिर्फ एक और आंकड़ा बना रहेगा।

Ira Burjak

Ira Burjak

हर दिन 5-7 नए मामले? ये तो एक अंधेरा युग है। और हां, माता-पिता भी जिम्मेदार हैं। बच्चे को फोन देकर अकेला छोड़ देते हैं और फिर बोलते हैं 'हमने तो सब कुछ दे दिया'।

Shardul Tiurwadkar

Shardul Tiurwadkar

मैंने एक बार एक डॉक्टर से पूछा था - अगर हम ड्रग्स को लीगल कर दें तो क्या ये मामले कम हो जाएंगे? उसने कहा - शायद। क्योंकि अब लोग इसे अंधेरे में नहीं, बल्कि जागरूकता के साथ लेंगे। क्या हम इतने डरे हुए हैं कि सोच भी नहीं सकते?

Abhijit Padhye

Abhijit Padhye

ये सब तो बस एक राजनीतिक धोखा है। जब तक बुराई का नाम 'ड्रग्स' नहीं लगा देते, तब तक कोई नहीं सुनता। असली समस्या? हमारा शिक्षा सिस्टम। जहां बच्चों को डर से नहीं, बल्कि जागरूकता से पढ़ाया जाए।

VIKASH KUMAR

VIKASH KUMAR

अरे भाई ये तो बस शुरुआत है 😭 अब तो बच्चे अपने घरों में ही ड्रग्स ले रहे हैं... मेरी बहन का बेटा भी एक बार बीमार पड़ा था, उसके पास एक छोटी सी गोली थी... फिर क्या? कोई नहीं बोला। अब ये HIV... अगर ये चलता रहा तो हम सब जान जाएंगे 😭

UMESH ANAND

UMESH ANAND

यह एक गंभीर राष्ट्रीय संकट है। ऐसी स्थिति में जहां शिक्षित परिवारों के बच्चे भी इस विषय में शामिल हो रहे हैं, तो यह नैतिक पतन का संकेत है। अत्यधिक आधुनिकता और नियंत्रणहीनता के कारण हम अपने बच्चों को खो रहे हैं।

Rohan singh

Rohan singh

हम सब इसे दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि बच्चे क्यों ड्रग्स की ओर जा रहे हैं? क्या उनके पास कोई सुरक्षित जगह है? क्या उन्हें कोई सुन रहा है?

Karan Chadda

Karan Chadda

हमारे देश में ड्रग्स का बाजार तो बढ़ रहा है, लेकिन अभी तक कोई बड़ा नेता इस पर बोला नहीं। बस इंटरनेट पर रिपोर्ट बनाई जाती है और फिर भूल जाते हैं। अब ये HIV भी आ गया... अरे भाई ये देश का अंत हो रहा है 😒

Shivani Sinha

Shivani Sinha

मैंने सुना है कि लोग अब ड्रग्स को इंस्टाग्राम पर दिखाते हैं... बच्चे देख रहे हैं। क्या हम अभी तक नहीं समझ पाए कि ये सोशल मीडिया हमारे बच्चों को मार रहा है?

Tarun Gurung

Tarun Gurung

मैंने एक बार एक स्कूल में वॉलंटियर किया था। एक लड़का बोला - 'मैं ड्रग्स लेता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि ये मुझे अपने दर्द से छुटकारा दिलाता है।' उसके माता-पिता दोनों डॉक्टर थे। इसका मतलब? हम सब अपने बच्चों को अकेला छोड़ रहे हैं।

Rutuja Ghule

Rutuja Ghule

यह विषय बेहद दुखद है, लेकिन यह सिर्फ एक व्यक्तिगत असफलता नहीं है। यह एक सामाजिक विफलता है। हमने अपने बच्चों को नैतिक आधार नहीं दिया, बल्कि उन्हें अस्थायी सुख की ओर धकेल दिया। यह नैतिक अवनति का परिणाम है।

nasser moafi

nasser moafi

अगर हम अपने बच्चों को अपनी जिम्मेदारी दें तो क्या होगा? अगर हम उन्हें बताएं कि जीवन का मतलब क्या है, तो क्या वे ड्रग्स की ओर जाएंगे? शायद नहीं। लेकिन हम तो बस उन्हें फोन दे देते हैं और चुप रह जाते हैं 😅

Saravanan Thirumoorthy

Saravanan Thirumoorthy

हमारे देश में बच्चों के लिए कोई रास्ता नहीं है। अगर आप अच्छे से पढ़ते हैं तो नौकरी नहीं मिलती। अगर आप ड्रग्स लेते हैं तो फिर भी कोई नहीं रोकता। ये देश बदल गया है।

Tejas Shreshth

Tejas Shreshth

मुझे लगता है कि ये सब एक बड़े सामाजिक अनुसंधान का हिस्सा है। हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां भावनाएं दबाई जाती हैं। ड्रग्स तो बस एक रास्ता है। लेकिन हम इसे बर्बरता कह देते हैं। असली समस्या? हमारी नैतिकता।

Hitendra Singh Kushwah

Hitendra Singh Kushwah

मैं एक शिक्षक हूँ। मेरे छात्रों में से एक ने मुझसे पूछा - 'सर, अगर मैं ड्रग्स ले लूं तो क्या मैं अपने जीवन को बदल सकता हूँ?' मैंने कुछ नहीं कहा। क्योंकि मैं जानता था... कोई जवाब नहीं है।

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