एक्साइज नीति घोटाला: क्या है, क्यों है खतरा और कैसे बचें
आपने समाचार में ‘एक्साइज नीति घोटाला’ के हेडलाइन देखी होगी। यह शब्द सुनते ही दिमाग में सवाल आते हैं – असल में क्या होता है, क्यों इतना बड़ा स्कैन्डल बन जाता है? आसान भाषा में बात करें तो एक्साइज (शुल्क) से जुड़ी नीतियों में धोखे या छेड़छाड़ करके सरकार के कर को कम दिखाना या चोरी करना ही घोटाला कहलाता है। अक्सर यह बड़े व्यापारियों या कंपनियों द्वारा किया जाता है, लेकिन छोटे स्तर के कार्टन भी फँस सकते हैं।
घोटाले के प्रमुख कारण
सबसे आम कारण हैं नकली इनवॉइस, कम मूल्य पर आयात बताना और निकासी की जाली फाइलें बनाना। जब कोई कंपनी सामान का मूल्य घटा‑घटा कर बताती है, तो उसे कम टैक्स देना पड़ता है, और अंतर से फायदा उठाता है। कुछ लोग पूरी तरह से नकली शिपमेंट बना देते हैं, बस कागज़ पर दिखाते हैं कि माल बाहर गया या अंदर आया। इससे एक्साइज विभाग को सही आंकड़े नहीं मिलते और सरकार को नुकसान होता है।
सरकार की कार्रवाई और आपके कदम
हाल ही में सरकार ने कई बड़े केसों की जांच शुरू कर दी है, जिनमें कंपनियों को भारी जुर्माना और जेल की सजा भी मिली है। एक्साइज विभाग अब डिजिटल ट्रैकिंग, ब्लॉकचेन तकनीक और रीयल‑टाइम डेटा का इस्तेमाल कर रहा है ताकि छेड़छाड़ तुरंत पकड़ी जा सके। आप भी छोटे स्तर पर सावधान रह सकते हैं – खरीद‑बिक्री के बिल को हमेशा असल मूल्य के साथ रखें, किसी भी अनियमित छूट को सवाल पूछें और इलेक्ट्रॉनिक डॉकीमेंट को सुरक्षित रखें। अगर कोई डीलर बहुत कम कीमत पर माल पेश कर रहा हो, तो ‘पैसा बचाने’ के बजाय उसकी वैधता की जाँच करिए।
एक्साइज नीति घोटाले के बारे में जानकारी रहे तो आप न केवल खुद को बचा पाएँगे, बल्कि देश की आय भी सुरक्षित रहेगी। अगर आपको संदेह हो तो तुरंत स्थानीय एक्साइज कार्यालय या एक भरोसेमंद टैक्स कंसल्टेंट से संपर्क करें। छोटे‑छोटे कदम मिलकर बड़े फ़र्क़ लाते हैं, और धुंधली नीति‑धोखाधड़ी को उजागर करने में मदद करते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक्साइज नीति घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत की याचिका दायर की है। यह कदम दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका सुनवाई के लिए 28 जून 2024 को सूचीबद्ध की है।