Joe Root: इंग्लैंड के प्रमुख टेस्ट बॅट्समैन की कहानी

क्रिकेट के दीवाने अक्सर कहते हैं, "जो रूट बिना गेंद के भी डर नहीं देखते"। अगर आप भी क्रिकेट देखना पसंद करते हैं, तो ज़रूर आपने उनका नाम सुना होगा। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे एक छोटे शहर वाला लड़का आज इंग्लैंड की टीम का कोर बना और क्यों उसे कई लोग ‘टेस्ट का राजा’ कहते हैं।

बचपन से बचपन तक: शुरुआती कदम

Joe Root का जन्म 30 दिसंबर 1990 को शेरफ़र्ड, इंग्लैंड में हुआ था। बचपन में उन्होंने स्कूल की क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई और जल्दी ही बॉलिंग से ज्यादा बैटिंग में रुचि दिखाने लगे। 2008 में उन्होंने इंग्लैंड के अंडर‑19 टीम में कदम रखा और कुछ ही सालों में घरेलू लीग में उल्लेखनीय स्कोर बना लिया। यही स्कोर उन्हें 2012 में इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम में बुलाने का कारण बना।

इंग्लैंड के टेस्ट टीम में उभरना

Root ने अपना पहला टेस्ट मैच 2012 की ऑस्ट्रेलिया टूर में किया। शुरुआती दिनों में उन्होंने कुछ फेल्योर देखे, लेकिन जल्दी ही अपने तकनीकी कौशल और धैर्य से सबको प्रभावित किया। 2014 में जहाँ उन्होंने 100 रनों की पहली सदी बनाई, वहीं पाँच साल बाद 2015 में वे इंग्लैंड के कैप्टेन बने। उनका कैप्टनशिप स्टाइल शांत और रणनीतिक था, जिससे टीम को कई कठिन परिस्थितियों में संतुलन मिला।

उनकी बैटिंग की खास बात है कि वे लंबी औसत (average) और बार‑बार सदी बनाने में माहिर हैं। विशेषकर सिडनी और पुणे की पिच पर उन्होंने उच्च स्कोर बनाकर विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान मजबूत की। आज उनका टेस्ट औसत 50 से ऊपर है, जो आज के कई बड़े बल्लेबाज़ों से बेहतर है।

कॉलर में भी उनका योगदान कम नहीं है। वन‑डे और टी‑20 में वे कभी‑कभी अपने तेज़ फैंटेसी शॉर्ट इंटर्न बाउंड्री के साथ जलवे दिखाते हैं, लेकिन टेस्ट में उनका धैर्य और क्लासिक तकनीक सबसे अधिक सराही जाती है।

अगर आप उनके आँकड़े देखेंगे, तो पता चलेगा कि 2025 तक उन्होंने 80 से अधिक टेस्ट मैच खेले हैं और 10,000 रनों से अधिक सुर्खियों को लिख दिया है। इन आंकड़ों के साथ साथ, उन्होंने कई बार ‘प्ले ऑफ द इयर’ और ‘मैन ऑफ द सीज़न’ के इनाम भी जीते हैं।

संक्षेप में, Joe Root सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता हैं जो टीम को दबाव में भी शांति प्रदान करते हैं। उनका खेल-शैली, उनका अनुशासन और उनका फिटनेस रूटीन युवा खिलाड़ीओं के लिए एक बेहतरीन मिसाल है। अगर आप कभी अपनी बैटिंग को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो उनके कुछ आयाम—जैसे की ग्राउंड में धीरज, शॉट चयन और निरंतर प्रैक्टिस—को अपनाएँ।

आगे भी हमें उम्मीद है कि Root अपने करियर के आखिरी चरण में भी इंग्लैंड को कई जीत दिलाएंगे। चाहे वह पिच के तेज़ बॉल हों या फिर घुमावदार स्पिन, उनका नाम हमेशा ‘आत्मविश्वास’ का प्रतीक रहेगा।

Joe Root का ऐतिहासिक शतक: ओवल में भारत के खिलाफ रिकॉर्ड टूटे, WTC में 6000 रन पार

सितंबर 8 Roy Iryan 0 टिप्पणि

ओवल टेस्ट के चौथे दिन Joe Root ने 137 गेंदों पर शतक जड़ते हुए इतिहास रच दिया। यह उनका 39वां टेस्ट शतक और भारत के खिलाफ 13वां शतक है—सबसे ज्यादा। रूट वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में 6000 रन पार करने वाले पहले बल्लेबाज बने। जश्न के दौरान उन्होंने हेडबैंड निकालकर ग्राहम थोर्प को समर्पित किया, जबकि स्टैंड्स में मौजूद उनके माता-पिता खड़े होकर तालियां बजाते दिखे।