पुरुष शॉट पुट F57 – क्या है, कौन जीतता है और कैसे बनते हैं रिकॉर्ड?

अगर आप एथलेटिक्स के शौकीन हैं तो "शॉट पुट" शब्द तो आप सुने होंगे. पर "F57" सुनते ही दिमाग में पैरालिंपिक की बात आती है. इस क्लास में ऊंची ताकत वाले, पैराग्राउंड वाले एथलीट्स हिस्सा लेते हैं. यहाँ हम बताने वाले हैं कि इस इवेंट में क्या खास है, कौन से नाम अक्सर सुनते हैं और कैसे बनते हैं नई रिकॉर्ड.

F57 वर्ग के नियम और तकनीक

F57 वर्ग में एथलीट्स आमतौर पर कमर तक की सीट पर बैठकर शॉट पुट फेंकते हैं. इसे "सीटेड शॉट पुट" भी कहते हैं. एथलीट को एक खास प्रकार की चाकू जैसी बॉल फेंकनी होती है, जिसका वजन 4 किलोग्राम होता है. फेंकने से पहले उनका शरीर स्थिर रहता है, इसलिए पैरों का इस्तेमाल नहीं किया जाता. हाथ और कंधे की ताकत, साथ ही सही स्फ़ीयरिक मोशन, फेंके गए दूरी को तय करता है.

मुख्य खिलाड़ी और उनके रिकॉर्ड

पिछले कुछ वर्षों में कई नाम चमके हैं. इराकी एथलीट अली अल्फ़रवी ने 2023 में 13.05 मीटर की दूरी से नया विश्व रिकॉर्ड बनाया. भारतीय शॉट पुटर विक्रम सिंह ने 2022 एशियाई पैरालिम्पिक में 12.78 मीटर से पदक जिंक़ा. अफ्रीका से जैसेन बुटा तो 2024 में 12.95 मीटर से विश्व कप में सबको चौंका दिया.

इन एथलीट्स की कहानी सिर्फ ताकत की नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत, रिहैबिलिटेशन और सही कोचिंग की है. कई बार उन्हें प्रोस्थेटिक पैड और विशेष सीटें मिलती हैं, जिससे फेंकते समय बैलेंस बना रहे.

यदि आप अपना खुद का शॉट पुट ट्रेनिंग शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले एक योग्य कोच से जुड़ें. सीटेड पोज़ीशन के लिए सही एर्गोनोमिक कुर्सी चुनें, और हाथ की ग्रिप पर ध्यान दें. शुरुआती दौर में 8‑10 मीटर की दूरी को लक्ष्य बनाएं, फिर धीरे‑धीरे 11‑12 मीटर की ओर बढ़ें.

एक और टिप: एथलीट्स अक्सर फेंकते समय "इम्पैक्ट पॉइंट" को पहचानते हैं. यानी बॉल को फेंकते समय कलाई की गति और कंधे की घुमाव को एक साथ मिलाते हैं. इससे बॉल की शुरुआती स्पीड बढ़ती है और दूरी में इज़ाफा होता है.

भविष्य में पुरुष शॉट पुट F57 में भारत की संभावनाएँ बढ़ रही हैं. नई टैलेंट स्काउटिंग कार्यक्रम, बेहतर जिम्नेशियम और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अनुभव से भारतीय एथलीट्स जल्दी ही शीर्ष 5 में जगह बना सकते हैं.

तो अगर आप इस एथलेटिक इवेंट के बारे में और जानना चाहते हैं, या किसी प्रतियोगिता को फॉलो करना चाहते हैं, तो "समाचार दैनिक भारत" पर रोज़ाना अपडेट पढ़ते रहें. यहां आपको एथलीट्स के इंटरव्यू, नई रिकॉर्ड और ट्रेनिंग टिप्स मिलेंगे.

आख़िर में, पुरुष शॉट पुट F57 सिर्फ ताकत का नहीं, बल्कि धैर्य, तकनीक और सही सपोर्ट सिस्टम का खेल है. हर फेंक में एथलीट की कहानी छुपी होती है. आप भी अगर इस जज्बे को समझें और सही जानकारी रखें, तो इस इवेंट को और करीब से देख सकते हैं और शायद खुद भी भाग लेने का सपना देख सकते हैं.

पेरिस पैरालंपिक 2024: होकाटो होतोझे सेमा ने पुरुष शॉट पुट F57 में ब्रॉन्ज मेडल जीता

सितंबर 7 Roy Iryan 0 टिप्पणि

भारत के होकाटो होतोझे सेमा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में पुरुष शॉट पुट F57 इवेंट में कांस्य पदक जीता है। नागालैंड के इस भारतीय सेना के जवान ने 14.65 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ यह कारनामा किया। यह भारत के लिए चल रहे पैरालंपिक खेलों में 27वां पदक है। सेमा ने कठिनाइयों के बावजूद अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प से यह सफलता हासिल की।